एक्स रिपोर्टर न्यूज । राजनांदगांव
शहर सहित जिले भर में बोतल बंद, पाऊच व जार में बिना बीआईएस (ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड) पंजीयन के ही पानी की बिक्री की जा रही है। आलम यह है कि बिना बीआईएस पंजीयन कराए या फिर लाइसेंस नवीनीकरण कराए बिना कई कंपनियां अवैध रूप से पानी की बिक्री कर रही हैं। जबकि गत वर्ष जारी किए गए आदेश में इसे अनिवार्य किया जा चुका है। बीआईएस मार्क नहीं होने से पानी की गुणवत्ता पर सवाल खड़ा होता है और मिनरल वाटर बताकर इसे धड़ल्ले से बेचा जा रहा है। नियमानुसार फूड लाइसेंस लेने के बाद बीआईएस से पंजीयन कराना अनिवार्य है। इसके बावजूद यह काला व्यापार बेधड़क चल रहा है। ऐसे कंपनी और व्यापारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के बजाय फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट कुंभकरण की नींद सो रहा है।
भारत सरकार ने कई वस्तुओं की गुणवत्ता के लिए उन्हें अनिवार्य प्रमाणन के लिए अधिसूचित किया है। ऐसे उत्पादों के निर्माण के लिए बीआईएस से लाइसेंस लेना अनिवार्य है। पैकेजबंद पानी भी इसी में आता है। अनिवार्य प्रमाणन के तहत आने वाले उत्पादों का बिना आईएसआई मार्क के निर्माण करना या उन्हें विक्रय करना या विक्रय के लिए भंडारण करना भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध है।
दो श्रेणी में मिलता है आईएसआई मार्क
दो तरह के बोतलबंद पानी की बिक्री की जाती है। इनमें एक मिनरल वाटर होता है तो दूसरा पैकेज ड्रिंकिंग वाटर है। पैकेज ड्रिंकिंग वाटर के लिए बीआईएस से आईएसआई-14543 मार्क तो मिनरल वाटर के लिए आईएसआई-13428 मार्क लेना होता है। मिनरल वाटर प्राकृतिक तरीके से लिए गए पानी को टेस्ट करके बोतल में बंद करके बेचा जाता है। वहीं पैकेज ड्रिंकिंग वाटर बोरबेल, नगर निगम के पानी को निकालकर आरओ की प्रक्रिया करके पैकेज बोतल बंद करके बेचा जाता है। जब तक पानी सीलबंद नहीं होता है तब तक वह किसी भी नियम की जद में नहीं आता है।
फूड लाइसेंस का भी पता नहीं
राजनांदगांव शहर सहित जिले में कई फर्म पानी की सप्लाई कर रही हैं। जो कि बोतल बंद पानी से लेकर पाउच व बड़े जार में भी भरकर लोगों को पानी की सप्लाई कर रही हैं। मजे की बात तो यह है कि ऐसी कंपनियों ने फूड के लाइसेंस भी नहीं लिए हैं। भारतीय मानक ब्यूरो बोतलबंद पानी में फर्जी आईएसआई मार्क लगाने या फिर नहीं लगाने पर कार्रवाई करता है। वहीं फूड विभाग सील पानी की जांच करने के हिसाब से कार्रवाई करते हैं। कई बार पानी की जांच को लेकर दोनों विभाग में गफलत बनी रहती है।
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