IMG-20241026-WA0010
IMG-20241026-WA0010
previous arrow
next arrow

कर्णकान्त श्रीवास्तव

एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव

जिलेभर में इनदिनों मिनरल वाटर के नाम पर शुद्ध पानी उपलब्ध कराने का धंधा जोरों पर है। अवैध तरीके से संचालित वाटर प्लांट के संचालक मिनरल वाटर के नाम पर लोगों को बोतल बंद आरओ वाटर थमा रहे है। इन बोतलों में एक्सपायरी डेट भी नहीं लिखी हुई है। ऐसे प्लांट संचालकों पर कार्रवाई करने की बजाय फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट के अफसर विभाग में आराम फरमा रहे है।
बोतल में पानी उपलब्ध कराने के लिए वॉटर प्लांट संचालकों के पास ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड का लाइसेंस होना अनिवार्य है, इस लाइसेंस को लेने के लिए कई जरुरी मापदंड बनाए गए है, इन नियमों को दरकिनार कर बाजार में बोतल बंद पानी बेचा जा रहा है। जो मानव स्वास्थ के लिए हानिकारक है। नियमों की अनदेखी कर हो रहे पानी के इस कारोबार के प्रति जिम्मेदार भी उदासीन रवैया अपनाए हुए हैं। यही वजह है कि चिल्हर विक्रेता भी ज्यादा कमाई के चक्कर में लोगों को मिनरल वाटर की जगह बोतल बंद आरओ पानी थमा रहे है।

कुछ ऐसा है नियम
मिनरल वाटर प्लांट लगाने के बाबत लाइसेंस के लिए आवेदन दिल्ली में ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड को करना होता है। इसकी फीस लाख रुपये से अधिक है। ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंडर्ड के अधिकारी मौके पर जांच करते हैं और पानी का नमूना लेते हैं। नमूना पास होने के बाद अनुमति पत्र जारी किया जाता है। यह पत्र जिला स्तर पर खाद्य विभाग को दिखाया जाता है। इसके बाद प्लांट का लाइसेंस जारी होता है। लाइसेंस से पहले मशीन की गुणवत्ता की जांच सहित कई अन्य औपचारिकताएं पूरी कराई जाती हैं। अनाधिकृत रूप से लगाए गए आरओ प्लांट संचालकों पर नियमों के उल्लंघन के मामले में दो लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक का जुर्माना और कम से कम छह माह की जेल का प्रावधान भी है।

आरओ और मिनरल वाटर में फर्क

आरओ वाटर- आरओ से आशय है रिवर्स ओस्मोसिस वाटरं यह पानी शुद्ध करने की एक प्रक्रिया है। इसके माध्यम से पानी के टीडीएस का कंट्रोल कर हार्डनेस खत्म की जाती है। सेंड फिल्टर, प्री और पोस्ट मेम्ब्रनियम फिल्टर, कार्बन फिल्टर, प्री और पोस्ट कॉटेज लेयर ये 5 प्रतिक्रयाएं हैं। इस प्रक्रिया से पानी की हार्डनेस कम होकर उसमें घुली अशुद्धियां खत्म होती हैं। साथ ही पानी में मौजूद खनिज पदार्थ भी हट जाते है। ऐसे में पानी में बाहर से मिनरल एड करने की जरुरत पड़ती है, यह प्रोसेस काफी महंगा होता है, इसलिए अधिकांश प्लांट संचालक खर्च बचाने के लिए मिनरल एड नहीं करते है।

मिनरल वाटर – मिनरल वाटर में आवश्यक तत्व कैल्श्यिम, पोटेशियम, आयरन व क्लोराइड होते हैं। यह पानी में अलग से मिलाए जाते हैं, जिससे पानी की गुणवत्ता बढ़ जाती है और अगर शरीर में इन तत्वों की कमी है तो मिनरल वाटर उसकी पूर्ति कर सकता है।

लगातार आरओ पानी पीने से शरीर में हो जाती है पोषक खनिज की कमी
एक्सपर्ट डॉक्टरों की माने तो लगातार आरओ का पानी पीने से शरीर में मिनरल और खनिजों की कमी होने लगती है, क्योंकि आरओ पानी से मिनरल और खनिजों को अवशोषित कर लेता है,यदि भोजन में पोषक तत्वो की कमी हो तो, शरीर पर इसके दुष्परिणाम तुरन्त दिखाई देने लगते हैं,पानी से सल्फर की मात्रा कम होने से शरीर मे प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है, हड्डियाँ कमजोर होने लगती हैं, शरीर के जोड़ों में दर्द होने लगता है, बच्चो के शरीर पर इसके दुष्परिणाम और भी भयंकर होते हैं और उनका मानसिक विकास रुक जाता है, लेकिन लोग इनको समझ नहीं पाते हैं।

ये है जरूरी

-पैक्ड मिनरल वाटर प्लांट के लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंटर्ड का लाइसेंस जरूरी।

-फूड एंड सेफ्टी एक्ट के तहत किसी मिनरल वाटर प्लांट को संचालित करने के लिए भूगर्भ जल संचय विभाग से एनओसी लेना जरूरी

-प्लांट लगाने से पहले वाटर हारवेस्टिंग की व्यवस्था जरूरी है

-कामर्शियल एरिया में होना चाहिए प्लांट

ये है प्लांट की वर्किंग

– पानी में गंदगी और तलछट रेत को फिल्टर करना।

– बारीक कार्बन, फिल्टर पानी से क्लोरीन और नए आर्गेनिक्स गंध के जरिए गंदगी को कम करना।

– हानिकारक केमिकल को खत्म करना।

– खनिज को जरूरत के हिसाब से मेंटेन रखना।

ये होना जरूरी बोतल बंद पानी में

– फ्लोराइड 0.5 से 1.5 मिलीग्राम

– घुलनशील लवण 500 से 1500 मिग्रा

– नाइट्रेट 0 से 45 मिलीग्राम

– क्लोराइड 10 से 500 मिलीग्राम

– पीएचपीए 6.5 से 8.5 मिलीग्राम

(डब्ल्यूएचओ के तैयार किए गए मापदंड के अनुसार)

*******

कर्णकांत श्रीवास्तव
(B.J.M.C.)
सीनियर जर्नलिस्ट, फाउंडर एंड चीफ एडिटर- सेंट्रल रिपोर्टर समाचार पत्र एवं एक्स रिपोर्टर न्यूज वेबसाइट, सिटी चीफ- दैनिक अग्रदूत समाचार पत्र, मीडिया प्रभारी- जिला पत्रकार महासंघ, राजनांदगांव एवं विशेष सदस्य- प्रेस क्लब राजनांदगांव।
मो. 9752886730

error: Content is protected !!