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कर्णकान्त श्रीवास्तव

एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव

शंखनाद होने के बाद विधानसभा चुनाव 2023 की कार्यवाही तेजी से चल रही है। दोनो प्रमुख पार्टी कांग्रेस और भाजपा ने अपने-अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। अधिकांश उम्मीदवारो ने नामांकन के साथ अन्य प्रक्रिया पूरी कर ली है। लेकिन इस बार चुनाव में कांग्रेस की नैया डूब सकती है। इसका सबसे बड़ा कारण है गुटबाजी। सत्ता सरकार आने के बाद से ही कांग्रेस में गुटबाजी चरम पर है। हर नेता अपने को अव्वल मानकर चल रहा है। यही वजह है कि अच्छा खासा समर्थन रहने के बावजूद वर्तमान विधायको को टिकट नहीं मिल पाया। टिकट कटने को लेकर विधायको की अपनी-अपनी पीड़ा है, जो अब सार्वजनिक हो रही है। किसी को चरण वंदन के बदले विश्वासघात मिला तो कोई आपसी खेमे की टकरार का शिकार हो गया। ऊर्जावान जवानो को छोड़कर रिटायरमेंट में जा चुके बड़े बुजुर्गो पर दांव लगा दिया गया है। इस उलट पलट के खेल में एक स्थानीय नेता का नाम सामने आ रहा है। यह वही नेता है जिसने राजनांदगांव विधानसभा के स्थानीय नेताओ को ना-लायक बताकर पैराशूट प्रत्याशी उतारने की सलाह आला कमान को दे डाली। आखिर कौन है इस स्टोरी का खलनायक।

भाई के नाम से संबोधित नेताजी के कारनामे की वजह कांग्रेसियों में बगावत शुरू हो चुकी है। जगह-जगह विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने, पार्टी पलायन, इस्तीफा और विरोध प्रदर्शन का दौर चल पड़ा है। कांग्रेसी कार्यकर्ता खुद दूसरी पार्टी के प्रत्याशी को वोट देने की बात कह रहे है। इन सबके बीच कयास लगाया जा रहा है कि इस बार अविभाजित राजनांदगांव जिले के 6 विधानसभा सीटो में से एक पर भी कांग्रेस को जीत मिल गई तो बहुत है। आइए जानते है 6 विधानसभा सीट में उतारे गए कांग्रेस प्रत्याशियो की स्थिति कैसी है-

राजनांदगांव
इस सीट में हर बार की तरह कांग्रेस ने पैराशूट प्रत्याशी को उतार दिया है। पैराशूट प्रत्याशी को स्थानीय कांग्रेस कार्यकर्ता ही पसंद ही नहीं कर रहे हैं तो आम जनता की बात दूर ही है। ऐसा नहीं है कि स्थानीय स्तर पर कांग्रेसी नेताओ की कमी थी, वर्तमान महापौर हेमा देशमुख, कुलबीर छाबड़ा, निखिल द्विवेदी सहित अन्य कांग्रेसी नेता उम्मीदवारी की लाइन में खड़े थे। लेकिन पार्टी के ही एक नेता के कहने पर आला कमान ने स्थानीय नेताओ को ना-लायक साबित कर दिया।

डोंगरगढ़
इस सीट के वर्तमान विधायक अपने कार्यकाल के दौरान तथाकथित नेताजी का चरण वंदन करते नहीं थके। पार्टी के मनोनीत नेता जी ने विधायक को यह विश्वास दिला रखा था, कि 2023 में दोबारा उन्हे ही मौका दिया जाएगा। लेकिन ऐसा हुआ नहीं नेता जी ने अपना रंग दिखाया और विधायक से विश्वासघात कर टिकट से वंचित करवा दिया। अब विधायक खुद बागी हो चुके है और कार्यकर्ताओ को लेकर विरोध कर रहे है।

खुज्जी
इस सीट की वर्तमान विधायक छन्नी साहू को दोबारा मौका न देना, आपसी तकरार का प्रतीक है। खिलाड़ी नेताजी काफी समय से इस सीट पर नजरे गड़ाए बैठे थे। नेताजी ने खुद इस विधानसभा से उम्मीदवारी के लिए अपना नाम दे रखा था। लेकिन मजबूत जनाधार की कमी और न खाऊंगा और ना खाने दूंगा के हिसाब में वर्तमान विधायक को बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। इस सीट पर भी सत्ता पलट के स्वर ऊंचे हो चुके है। इस सीट से बुजुर्ग प्रत्याशी को उतारना भी बड़ी वजह है।

डोंगरगांव
इस सीट पर लंबे समय से एक ही विधायक कब्जा जमाए बैठे है। इस बार उम्मीद की जा रही थी पार्टी के किसी दूसरे चेहरे को मौका दिया जाएगा। लेकिन यहां भी उल्टी गंगा बह निकली। एक बार फिर कांग्रेस ने वर्तमान विधायक दलेश्वर साहू पर दांव खेल दिया। आपको बता दें कि पिछले कार्यकाल में विधायक की कार्यप्रणाली कुछ खास नहीं रही है। फिर भी आखिरी फैसला जनता ही करेगी।

मानपुर-मोहला
इस सीट में भी प्रत्याशी को रिपिट किया गया है। जबकि मानपुर-मोहला में विधायक इंदरशाह मंडावी का जबरदस्त विरोध होता रहा है। कई मामलों में नाम उछलने के कारण स्थानीय वोटर मंडावी पर भरोसा नहीं जता रहे है। इसके बावजूद मंडावी को टिकट देना पार्टी के सोच पर प्रश्नचिन्ह लगा रहा है। इस सीट पर कांग्रेस का विजयी होना संदेहास्पद है।

खैरागढ़
यहां से उपचुनाव की विजयी विधायक को दोबारा मौका दिया गया है। मौजूदा विधायक के कार्य को लेकर खैरागढ़ विस की मतदाताओं में निराशा देखने को मिल रही है। वही दूसरी ओर विरोधी पार्टी ने इस सीट से टिकाऊ उम्मीदवार को उतारा है, इन हालातो में इस सीट पर दोबारा काबिज होना कांग्रेस के लिए टेढ़ी खीर से कम नहीं है।

भाजपा की पोजीशन भी कुछ खास अच्छी नहीं

इधर इस बार भाजपा की स्थिति भी कुछ खास अच्छी नहीं दिख रही है। राजनांदगांव विधानसभा सीट से पूर्व की तरह वर्तमान विधायक और पूर्व मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह को टिकट दिया गया है। जबकि इस बार लोकल नेता को टिकट देने की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। डॉ साहब के साथ जन संवाद एक बड़ी समस्या है। सुरक्षा प्रोटोकॉल की वजह से विधायक महोदय से मिलना इतना आसान नहीं है। यही वजह है कि अब लोग उनसे दूरी बनाने लगे है। इसका परिणाम चुनाव में नजर आ सकता है। दूसरी ओर जिले के अन्य विधानसभा सीटों में भाजपा ने इस बार नए चेहरों को मौका दिया है, इन चेहरों से क्षेत्र की जनता उतनी मुखातिब नहीं हो पाई है, जितना होना चाहिए। अब देखना यह है दोनों पार्टियों की खामियों का फायदा किसको मिलता है।

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कर्णकांत श्रीवास्तव
(B.J.M.C.)
सीनियर जर्नलिस्ट, फाउंडर एंड चीफ एडिटर- सेंट्रल रिपोर्टर समाचार पत्र एवं एक्स रिपोर्टर न्यूज वेबसाइट, सिटी चीफ- दैनिक अग्रदूत समाचार पत्र, मीडिया प्रभारी- जिला पत्रकार महासंघ, राजनांदगांव एवं विशेष सदस्य- प्रेस क्लब राजनांदगांव।
मो. 9752886730

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