एक्स रिपोर्टर न्यूज । राजनांदगांव
जिले में अवैध चखना दुकान और शराब का कारोबार चरम पर है। यूं तो आबकारी विभाग का काम इन अवैध कार्यों पर अंकुश लगाना है, लेकिन मोटा कमीशन लेकर अवैध कारोबार को फलने फूलने दिया जा रहा है। अवैध कारोबार को आबकारी विभाग का खुला संरक्षण होने की वजह से पुलिस की कार्रवाई भी फीकी पड़ रही है। हद तो तब हो गई जब शहर के भीतर ही अघोषित अहाता और अवैध चखना सेंटर खोल दिया गया। यहां सुबह से लेकर देर रात तक शराब खोरी कराई जाती है। जब हमने संचालक से किसी भी तरह की अनुमति होने की जानकारी मांगी तो उसने बेखौफ होकर दो टूक कहा-अपनी सेटिंग ऊपर तक है, अफसरों को हर महीने पैसा पहुंचा दिया जाता है।
शहर के रेवाडीह वार्ड पहुंच मार्ग पर नेशनल हाईवे से सटकर सरकारी प्रीमियम वाइन शॉप का संचालन किया जा रहा है। कुछ समय पहले तक सिर्फ वाइन शॉप का ही संचालन हो रहा था, अब वाइन शॉप के ठीक बगल में अघोषित अहाता का निर्माण कराकर अंदर अवैध चखना सेंटर का संचालन बेखौफ तरह से किया जा रहा है। बगल की वाइन शॉप से लोग यहां शराब लेकर पहुंचते है। यहां शराब पीने के लिए बकायदा बेंच टेबल और कुर्सी की व्यवस्था कराकर रखी गई है। चखना सेंटर से पानी, खाने का सामान मंहगे दामों पर खरीदकर बिना किसी भय के लोग देर रात तक शराब पीते आसानी से देखे जा सकते है। एक तरह से अघोषित अहाता के अंदर कम बजट के मीनी बार का संचालन किया जा रहा है। गौरतलब है कि रेवाडीह के रहवासियों ने कुछ वर्ष पहले यहां प्रीमियम वाइन शॉप खोलने का विरोध किया था। उनका कहना था कि शराब दुकान खुलने से इलाके में असामाजिक गतिविधियां बढ़ जाएगी और लोगो का रहना मुश्किल हो जाएगा। इसके बावजूद यहां पर वाइन शॉप खोल दी गई और अब अघोषित अहाता और अवैध चखना सेंटर इलाके का वातावरण और बिगाड़ रहे है।
वर्षों से चल रहे चखना सेंटर
पिछले कई वर्षोँ से अघोषित अहाता और चखना दुकानों का संचालन किया जा रहा है। शराब दुकान के सामने चखना दुकान लगे रहने के कारण शराबी यहीं बैठ जाते हैं। असामाजिक तत्व गली-गलौच और मारपीट को अंजाम देते हैं। इससे आसपास के रहवासी काफी परेशान रहते हैं और इसका बच्चों पर बुरा प्रभाव पड़ रहा है। दरअसल, ज्यादातर अवैध चखना सेंटर राजनीतिक दलों से जुड़े लोगों या गुंडे-बदमाशों के हाथ है। सरकारी अमले से इनकी जुगलबंदी ऐसी कि कभी किसी सेंटर को बंद कराने की कोशिश ही नहीं की गई।
रोजाना और माहवार की जाती है वसूली
छोटे-बड़े चखना दुकानों को बांटकर रोजाना और माहवार वसूली की जा रही है। छोटे चखना दुकानों से आबकारी विभाग प्रतिदिन 100 से 200 रुपए की वसूली कर रहा है, वहीं बड़े दुकानों से पांच से सात हजार रुपए तक की वसूली की जाती है। वसूली का जिम्मा शासकीय शराब दुकान में काम करने वाले सेल्समेन को दे दिया गया है। यह एक निश्चित समय में वसूली करने दुकानों में पहुंच जाते है। आबकारी के साथ पुलिस से भी इन दुकानदारों की सेंटिंग है। जो रकम आबकारी एक दिन में इनसे लेता है वहीं पुलिस के पास उतने ही पैसे हर माह पहुंच जाता है। यही वजह है कि ढाबों में सख्ती दिखाने वाली पुलिस अभी तक चखना दुकानों से दूर है।
50 मीटर पर दुकान व डिस्पोजल बेचने पर रोक
राज्य सरकार ने खुद के हाथों में शराब बिक्री का काम लेने के साथ अहाता पर प्रतिबंध लगा दिया है। नियम अनुसार दुकान के 50 मीटर में चखना दुकान लगाने की अनुमति नहीं है पर नियम से किसी को कोई लेना देना नहीं। इसी तरह निर्देश के अनुसार दुकान के पास खाने के या प्लास्टिक के सामानों का बिक्री करने मनाही है। पर इन नियमों का कहीं पालन नहीं हो रहा है। देशी और विदेशी शराब दुकानों को एक ही स्थान पर संचालित किए जाने के कारण अहाता सिस्टम को भी खत्म कर दिया गया था। फिर भी यहां पर अहाता बनाकर चखना सेंटर का संचालन किया जा रहा है।
शहर के अघोषित अहातो को राजनीतिक संरक्षण
शराब दुकान के पास ही चखना सेंटर है। इन सेंटरों को राजनीतिक संरक्षण भी है। नेताओं के जान पहचान के लोग भी इस काम में लगे हुए हैं और वसूली करते हैं। प्रशासन कार्रवाई नहीं कर रहा है। आबकारी विभाग के अधिकारी रोज शराब दुकानों की जांच करने जाते हैं पर चखना सेंटर की ओर ध्यान नहीं देते। मामला गंभीर है मूकदर्शक बने रहने के बजाय प्रशासन को इसके खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरुरत है।
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