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एक्स रिपोर्टर न्यूज। राजनांदगांव

जिला प्रशासन और खनिज विभाग के नाक के नीचे शिवनाथ नदी से रेत का अवैध उत्खनन बदस्तूर जारी है। पहले माफिया अब ग्राम पंचायत और ग्रामीण रेत के अवैध उत्खनन में हाथ अजमाने लगे है। ऐसा ही बड़ा उदाहरण सामने आया है राजनांदगांव जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर ग्राम पंचायत भर्रेगांव (सुरगी पुलिस चौकी क्षेत्र) में। यहां गांव के कुछ प्रभावशाली लोगों ने फर्जी तरह से ग्राम सभा प्रस्ताव तैयार कर सैकड़ों ट्रीप रेत का अवैध उत्खनन कर लिया, अब इस मामले के संबंध में जवाब देने में महिला सरपंच के पसीने छूटने लगे हैं।
मौखिक सूचना के आधार पर मीडिया कर्मियों की एक टीम मौका निरीक्षण करने भर्रेंगांव पहुंची। यहां पुल के नीचे बने एनीकट से कुछ ही दूरी पर रेत का अवैध उत्खनन हो रहा था, टीम को देखते ही ग्रामीण रेत से भरी ट्राली मौके पर छोड़ ट्रैक्टर समेत फरार हो गए। काफी दूर तक नदी एरिया सर्च करने पर पता चला कि उक्त स्थान पर लंबे समय से रेत का अवैध उत्खनन चल रहा था, खासतौर पर रात के वक्त उत्खनन अधिक मात्रा में किया गया। हजारों घन मीटर रेत नदी से निकाल ली गई।

रेत को खुले बाजार में बेचा
शासकीय कार्य में आवश्यकता के नाम पर भर्रेगांव में रेत का अवैध उत्खनन कराया गया। बाद में रेत को खुले बाजार में बेचा गया। मिली जानकारी अनुसार बाहर से बिल्डिंग मटेरियल सप्लायर की गाड़ी बुलाकर रातो रात रेत की ढुलाई कराई गई। प्रत्येक ट्रैक्टर ट्राली रेत भरवाने के लिए 300 से 500 रुपए वसूल किया गया। इसके लिए बकायदा पर्ची सिस्टम तैयार किया गया, रकम देकर पर्ची कटवाने के बाद ही सप्लायर को रेत ले जाने दिया जाता था। रोजाना करीब 50 से 60 ट्राली रेत निकालने की जानकारी सामने आई है। यदि बाजार भाव से इसका आंकलन करें तो करीब 2 लाख रुपए प्रतिदिन के हिसाब से रेत निकासी कराई गई।

पर्यावरण को बड़ा नुकसान
नियम के मुताबिक जलभराव के लिए बनाए गए एनीकट से सटकर रेत निकासी पर प्रतिबंध लगाया गया है, लेकिन भर्रेंगांव में सभी नियमों को दरकिनार कर जहां मन आया वहां पर बेधड़क रेत उत्खनन किया गया। यही वजह है कि शिवनाथ नदी का पाट हद से ज्यादा चौड़ा हो चुका है। इससे पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचा है। यही हाल रहा तो आने वाले समय में उक्त स्थान पर बाढ़ का सर्वाधिक खतरा रहेगा।

खनिज अमले ने भी किया दौरा
जिस दिन मीडियाकर्मी पहुंचे थे उसी दिन खनिज अमला भी मौके पर पहुंचा था, यहां उन्होंने वस्तु स्थिति का जायजा लिया, शिवनाथ नदी के बीच रेत से भरे ट्रालियों को खाली करवाया, लेकिन इस मामले में अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। जबकि गंभीर प्रकरण बनाकर ट्रैक्टर ट्राली मालिक के अलावा अवैध उत्खनन कराने वाले गांव के लोगों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए।

 धारा 379 के तहत कार्रवाई का प्रावधान
खनिज संपदा का अवैध उत्खनन चोरी ही कहलाता है। ऐसे में इस प्रकरण में अवैध उत्खनन करने वाले संबंधित व्यक्ति के खिलाफ धारा 379, 414 भादवि एवं खान एवं खनिज अधिनियम की धारा 4, 21 के तहत कार्रवाई और प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए। प्रशासन को अवैध उत्खनन के मामले को गंभीरता से लेने की जरुरत है, क्योंकि अवैध उत्खनन से राजस्व का नुकसान होने के साथ ही पर्यावरण को भी क्षति पहुंच रही है।

जानकारी देने से बचती रही सरपंच
मामले की जानकारी लेने के लिए मीडिया कर्मी भर्रेगांव की महिला सरपंच एकता चंद्राकर के पास पहुंचे। सरपंच ज्यादा कुछ बताने से बचती रही। उन्होंने पहले कहा कि शासकीय कार्यों में जरुरत को देखते हुए ग्राम सभा में प्रस्ताव तैयार कर रेत उत्खनन कराया गया। लेकिन उन्होंने दस्तावेज दिखाने से इंकार किया और कहा कि गांव के कुछ प्रमुख लोगों ने आपस में बैठक कर मौखिक तौर पर प्रस्ताव तैयार किया है, रेत निकासी के लिए कुछ शुल्क भी तय किया गया है।
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कर्णकांत श्रीवास्तव
(B.J.M.C.)
सीनियर जर्नलिस्ट, फाउंडर एंड चीफ एडिटर-एक्स रिपोर्टर न्यूज वेबसाइट, ब्यूरोचीफ-दैनिक सत्यदूत संदेश, मीडिया प्रभारी- जिला पत्रकार महासंघ, राजनांदगांव, विशेष सदस्य-प्रेस क्लब राजनांदगांव।
मो. 9752886730

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