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राजनांदगांव। गरीब बच्चों के फीस की राशि डकारने वालों की खैर नहीं, क्योकि शिक्षा विभाग ने आरटीई प्रतिपूर्ति राशि गबन करने वालों को जेल भेजवाने की ठान ली है। बीते दिनों जांजगीर-चांपा में पूर्व डीईओ, डिलिंग क्लर्क और प्रायवेट स्कूल के प्राचार्य जिन्होंने आरटीई प्रतिपूर्ति राशि मिल बांट हड़प ली, उन्हें जेल की हवा खानी पड़ी थी। वैसे ही जशपुर में आरटीई प्रतिपूर्ति राशि में गड़बड़ी करने वाले के विरूद्ध कार्यवाही की गई थी।

छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के द्वारा विगत एक वर्ष से लगातार उच्च अधिकारियों को दस्तावेजी साक्ष्य देकर जानकारी दी जा रही थी कि राजनांदगांव जिले में भी आरटीई फीस घोटाला हुआ है, और डीईओ-डिलिंग क्लर्क ने प्रायवेट स्कूलों के साथ दुरभिसंधि कर फर्जी दस्तावेज तैयार कर गरीब बच्चों की फीस की राशि हड़प ली है, लेकिन जिले के जिम्मेदार अधिकारियों ने जांच तक करने में कोई रूचि नहीं दिखाया, क्योंकि मामला जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय से जुड़ा हुआ था, इसलिए गड़बड़ी करने वालों को बचाने का प्रयास किया जा रहा था, लेकिन जब जांच राज्य सरकार के आदेशानुसार हुआ और संयुक्त संचालक कार्यालय से उच्च स्तरीय जांच समिति ने जांच किया तो आरटीई प्रतिपूति राशि में हुए वित्तीय अनियमितता उजागर हो पाया।

शिक्षा सचिव ने मामले को समय सीमा में लेकर डीपीआई को जांच के आदेश दिए और डीपीआई ने दो बार दो प्रायवेट स्कूलों की जांच कराया और अब जांच रिपोर्ट डीपीआई को सौंपा गया है और मंगलवार को स्वयं शिक्षामंत्री ने सदन में बताया कि राजनांदगांव के दो स्कूलों में आरटीई राशि में वित्तीय अनियमितता की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है।

फैक्ट फाईल

० दोनों जांच रिपोर्ट से यह तो प्रमाणित हो रहा है कि रविन्द्रनाथ टैगोर स्कूल, खैरानर्मदा जिला खैरागढ़-गंडई-छुईखदान के प्राचार्य, नोडल, जिला शिक्षा अधिकारी एवं आरटीई कक्ष प्रभारी के द्वारा मार्च 2022 तक आरटीई पोर्टल में जानकारी जनरेट कर स्कूल को संचालित बताया गया था, जबकि यह स्कूल वर्ष 2019-2020 के बाद से पूर्ण रूप से बंद है। शाला भवन में कोई गतिविधि संचालित नहीं थी और प्राचार्य और डीईओ ने सत्र 2019-2020 के पश्चात् शाला संचालित या चालू रहने संबंधी कोई अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया गया, लेकिन आरटीई प्रतिपूर्ति राषि वर्ष 2019-2020 एवं 2020-2021 का प्राप्त किया गया था।

० जांच रिपोर्ट के अनुसार रविन्द्रनाथ टैगोर स्कूल, खैरानर्मदा जिला खैरागढ़-गंडई-छुईखदान के बैंक खाते में डीपीआई द्वारा वर्ष 2019-2020 की प्रतिपूर्ति राशि दिनांक 08.12.2020 को 6,023,50 (छह लाख तेईस हजार पचास रूपए) हस्तांतरित किया गया था।

० जांच रिपोर्ट के अनुसार रविन्द्रनाथ टैगोर स्कूल, खैरानर्मदा जिला खैरागढ़-गंडई-छुईखदान के बैंक खाते में डीपीआई द्वारा वर्ष 2020-2021 की प्रतिपूर्ति राशि दिनांक 06.10.2021 को 5,55,420 (पांच लाख पछपन हजार चार सौ बीस रूपए) हस्तांतरित किया गया था।

० दोनों जांच रिपोर्ट में यह तो प्रमाणित हो रहा है कि रविन्द्रनाथ टैगोर स्कूल, खैरानर्मदा जिला खैरागढ़-गंडई-छुईखदान में वर्ष 2019-2020 एवं 2020-2021 में जितने बच्चों के हिसाब से मांग पत्र भर कर उसे स्वीकृत कर, सत्यापित कर डीपीआई से राशि प्राप्त किया गया उतने बच्चे प्रवेशित नहीं थे।

० दोनों जांच रिपोर्ट से यह तो प्रमाणित हो रहा है कि रविन्द्रनाथ टैगोर स्कूल, उदयपुर, जिला खैरागढ़-गंडई-छुईखदान को दिनांक 31.03.2021 तक अनुमति मान्यता जिला शिक्षा अधिकारी से प्राप्त था इसके बावजूद शिक्षा सत्र 2021-2022 में आरटीई पोर्टल में जानकारी जनरेट कर शाला को संचालित बताया गया। शाला का नाम आरटीई पोर्टल से मार्च 2022 को विलोपित किया गया।

० दोनों जांच रिपोर्ट से यह तो प्रमाणित हो रहा है कि रविन्द्रनाथ टैगोर स्कूल, उदयपुर, जिला खैरागढ़-गंडई-छुईखदान के द्वारा सत्र 2019-2020 एवं 2020-2021 में जितने बच्चों की जानकारी मांग पत्र में भर कर प्रतिपूर्ति राशि का दावा कर, स्वीकृत कर, सत्यापित कर राशि प्राप्त किया गया, उतने बच्चे स्कूल में अध्ययनरत् नहीं थे।

० जांच अधिकारियों ने बताया है कि जिला शिक्षा अधिकारी ने जांच में सहयोग नहीं किया, मांगी गई जानकारी एवं दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराया गया। यानि जिला शिक्षा अधिकारी के द्वारा जानकारी और दस्तावेज छिपाने का प्रयास किया गया।

० छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल का कहना है कि जांच रिपोर्ट से यह तो प्रमाणित हो रहा है कि कूट रचित दस्तावेज तैयार कर उसे साक्ष्य के रूप में पेश कर, नोडल अधिकार का फर्जी हस्ताक्षर कर डीपीआई-डीईओ से प्रतिपूर्ति राशि प्राप्त किया गया, जो गंभीर प्रवृति का आपराधिक कृत्य है और यह संगठित अपराध है, और सभी दोषियों के विरूद्ध तत्काल प्राथमिकी दर्ज कराया किया जाना उचित होगा, जैसे जांजगीर-चांपा में किया गया।

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