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राजनांदगांव। शहर में संचालित श्री कृष्णा हॉस्पिटल और पारस डायग्नोस्टिक सेंटर मामले की जांच में स्वास्थ्य विभाग द्वारा अकारण ही लेटलतीफी की जा रही है। ऐसे में मामले में मिलीभगत की आशंका तेज हो गई है। दोनों पक्षों के बयान के बावजूद फाइनल रिपोर्ट अभी तक तैयार नहीं की गई है। विभाग के जिम्मेदार अधिकारी भी इस मामले में ठीक तरह से जवाब नहीं दे पा रहे हैं, जिससे जांच और कार्रवाई की प्रक्रिया दोनों सवालों के घेरे में आ चुकी है।

Health reporter राजनांदगांव: श्री कृष्णा हॉस्पिटल और पारस डायग्नोस्टिक सेंटर मामले की जांच अंतिम चरण में, दोनों पक्षों का बयान हुआ, कलेक्टर की टेबल पर जल्द होगी फाइनल रिपोर्ट…

सूत्रों की माने तो विभागीय अफसर दोनों संस्थानों को बचाने के फिराक में है, इसलिए जानबूझकर जांच प्रक्रिया में देरी की जा रही है। लिखित शिकायत के बावजूद जांच में इस तरह की कोताही बरतना स्वास्थ विभाग और प्रशासन के लिए माइनस पॉइंट है। आमजन का भरोसा प्रशासनिक सिस्टम से उठने लगा है। दूसरी ओर कार्रवाई नहीं होने के चलते निजी अस्पतालों के हौसले और बुलंद हो चले हैं। भर्ती मरीजों से स्मार्ट कार्ड के अतिरिक्त मनमाने रकम की वसूली बदस्तूर जारी है।

कार्रवाई से बचने पहले ही करा रहे शपथ पत्र पर हस्ताक्षर

स्मार्ट कार्ड पैकेज के अलावा अतिरिक्त रकम लेने के मामले में फंसने से बचने के लिए शहर के अधिकांश निजी अस्पतालों ने एक खास हथकंडा अपना लिया है। मरीज के अस्पताल में दाखिले के दौरान ही परिजन से विभिन्न औपचारिक फार्म के साथ स्मार्ट कार्ड से अतिरिक्त किसी भी तरह का शुल्क नहीं लिए जाने के संबंध में एक शपथ पत्र में हस्ताक्षर करा लिया जा रहा है। इसके बाद मरीज व उसके परिजनों से बेखौफ तरीके से अतिरिक्त रकम की वसूली की जा रही है। भविष्य में मरीज व उसका परिजन इसका विरोध करता है तो निजी अस्पताल शपथ पत्र को दिखाकर मामले से साफ बरी हो जाएंगे। लोगों से अपील है कि इस तरह के शपथ पत्र में पहले से हस्ताक्षर न करें, इलाज होने के बाद यदि संबंधित निजी अस्पताल की ओर से अतिरिक्त रकम की वसूली नहीं की गई है, तब डिस्चार्ज लेते समय शपथ पत्र पर हस्ताक्षर कर सकते हैं।

दो अलग-अलग शिकायत की चल रही है जांच

गौरतलब है कि स्मार्ट कार्ड के पैकेज के अलावा अतिरिक्त रुपए वसूलने के मामले में श्री कृष्णा हॉस्पिटल और गलत सोनोग्राफी रिपोर्ट देने के मामले में पारस डायग्नोस्टिक सेंटर खिलाफ शिकायत स्वास्थ विभाग में की गई है। इस मामले की जांच के लिए स्वास्थ विभाग द्वारा तीन सदस्यों के टीम का गठन किया गया था। लेकिन जांच रिपोर्ट अभी तक नहीं मिल पाई है।

नर्सिंग होम एक्ट का पालन नहीं कर रहे निजी अस्पताल

बता दें कि अस्पताल में सुविधा और व्यवस्था कैसी होनी चाहिए, इसके लिए शासन की ओर से नर्सिंग होम एक्ट बनाया गया है। लेकिन शहर सहित जिलेभर में संचालित अधिकांश निजी अस्पताल नर्सिंग होम एक्ट का पालन नहीं कर रहे है और न ही आयुष्मान योजना की गाइडलाइन को फॉलो किया जा रहा है। इसके बावजूद स्वास्थ विभाग निजी अस्पतालों पर कार्रवाई करने से बचता चला आ रहा है। जिससे निजी अस्पताल प्रबंधन की मनमानी बढ़ गई है।

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कर्णकांत श्रीवास्तव
(B.J.M.C.)
सीनियर जर्नलिस्ट, फाउंडर एंड चीफ एडिटर-एक्स रिपोर्टर न्यूज वेबसाइट, ब्यूरोचीफ-दैनिक सत्यदूत संदेश, मीडिया प्रभारी- जिला पत्रकार महासंघ, राजनांदगांव, विशेष सदस्य-प्रेस क्लब राजनांदगांव।

मो. 9752886730

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