भिलाई। श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी में आयोजित एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय व्याख्यान का आयोजन किया गया, जिसमें मॉरीशस से पधारी मुख्य अतिथि डॉ. सरिता बुधू (अध्यक्ष, भोजपुरी स्पीकिंग यूनियन, कला एवं संस्कृति मंत्रालय, मॉरीशस) ने ‘मॉरीशस : गिरमिटिया से गवर्नमेंट बनने की कहानी’ विषय पर बोलते ही कहा कि मॉरीशस को आजाद कराने में महात्मा गांधी की एक बड़ी भूमिका थी। डॉ. बुधू ने भारत और मॉरीशस के आपसी संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत का वह मजदूर वर्ग, जिनको शर्त बंद तरीके से मॉरीशस ले जाया गया और वहां उनको ले जाकर मजबूरन बेघर कर दिया गया।
जिनकी वजह से वहां बड़े बड़े औद्योगिक निर्माण कार्य हुए। अपने अनुभवों को आगे साझा करते हुए उन्होंने कहा कि उस समय आप्रवासी मजदूर अनपढ़ थे, लेकिन धीरे धीरे उन्होंने जब अपनी मातृभाषा के साथ साथ फ्रेंच और इंग्लिश भाषा में पढ़ना, लिखना शुरू किया तो गिरमिटिया समाज में एक बड़ा बदलाव हुआ। महात्मा गांधी जब मॉरीशस आये, तो उन्होंने गिरमिटिया मजदूरों को उनके हक और अधिकार के लिए लड़ना सिखाया। इसलिए गांधी की मॉरीशस को आज़ाद कराने में कही न कही एक बड़ी भूमिका रही। यही वजह है कि वहां के लोगों ने सरकारी सेवाओं में अपना योगदान देना शुरू किया और इस तरह मॉरीशस को गुलाम देश से आजाद कराया गया। मॉरीशस में 12 लाख से ज्यादा गिरमिटिया लोग रहते है, जिनमें भोजपुरी बोलने वाले लोगों की संख्या सबसे अधिक है।
इस अवसर पर कुलाधिपति श्री आई. पी. मिश्रा ने अपने उद्बोधन में ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ की ओर इशारा करते ही कहा कि हमें अपनी संस्कृति को अपनाना होगा साथ ही साथ हमें बहुभाषी का भी होना होगा। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. सदानंद शाही ने कहा कि भारत की संस्कृति मॉरीशस देश में सुरक्षित है। विभिन्न देशों और विदेशों को जोड़ने का काम यह मातृशक्ति अपनी मातृभाषा के माध्यम से कर रही है। मातृभाषाओं के महत्व को लेकर जो नई शिक्षा नीति बनाई गई है , जिसमें भारतीय भाषाओं को ज्यादा महत्व देने की बात कही जा है, लेकिन इस काम को पिछले 40 वर्षों से लगातार काम कर रही है डॉ.सरिता बुधू ने विश्व स्तर पर अकेले पहचान दिलाई।
कार्यक्रम की संयोजक एवं महानिदेशक श्री जया अभिषेक मिश्रा ने भारत और मॉरीशस के संबंधों पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भारत के लिए बड़ी गर्व की बात है कि डॉ. सरिता बुधू जैसी शख्सियत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारतीय भाषा को एक नई पहचान दिलाने का काम कर रही है। इस अवसर पर मंच का संचालन कुलसचिव, श्री पी.के. मिश्रा एवं हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. रविंद्र कुमार यादव ने किया। साथ ही इस अवसर पर विश्वविद्यालय के समस्त छात्र छात्राओं एवं सहायक प्राध्यापक और प्राध्यापिकाओं की गरिमामयी उपस्थिति रही ।

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