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राजनांदगांव। धान खरीदी प्रक्रिया अभी पूरी भी नहीं हुई है और इधर किलोमीटर अधिक दर्शाकर धान परिवहन भाड़ा से मोटी कमाई का खेल शुरू हो चुका है। दिगर जिलो के मिलर्स के लिए जारी डीओ (डिलीवरी आर्डर) में लोकल मिलर्स को धान सप्लाई की जा रही है। यही वजह है कि जिले के मिलर्स द्वारा उठाए गए धान का आकड़ा कम दिखा रहा है। यदि धान परिवहन में लगे मालवाहकों में जीपीएस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) लगाया जाता तो यह गड़बड़ी नहीं हो पाती। लेकिन यहां आदेश के बावजूद अभी तक सभी मालवाहको में जीपीएस नहीं लगाया गया है। ताकि गड़बड़ी करने में आसानी हो।

इस मामले को लेकर किए गए पड़ताल में काफी रोचक जानकारी सामने आई है। धान खरीदी के इस सीजन में अभी तक दुर्ग जिले के मिलर्स के लिए 22000 डीओ जारी किया जा चुका है, इसके विपरित वहां के मिलर्स ने बड़ी फुर्ती से जारी किए गए सभी डीओ से उठाव कर लिया है। इसी तरह रायपुर जिले के मिलर्स ने जारी किए गए 22500 डीओ में से 16000 डीओ के धान का उठाव कर लिया है। धमतरी के मिलर्स सभी 4400 डीओ से धान का उठाव कर चुके है। सक्ती के मिलर्स ने भी पूरे 4200 डीओ से धान का उठाव कर लिया है। सारंगढ़ के मिलर्स ने 49500 डीओ में से 49100 डीओ से उठाव किया है। जबकि राजनांदगांव के मिलर्स को जारी 186000 डीओ में से 155000 डीओ का उठाव किया गया है। 31000 डीओ से उठाव होना बाकी है।

*लोकल सप्लाई कम्प्लीट नहीं, दूसरों को दे रहे आर्डर*
आकड़े से स्पष्ट है कि लोकल मिलर्स को जारी किया गया डिलीवरी आर्डर अभी पूरा नहीं हुआ है, फिर भी मार्कफेड ने दिगर जिलो के मिलर्स को मनमाने डीओ जारी कर रहा है, अधिक दूरी होने के बावजूद वहां समय से पहले ही डीओ पूरा कर लिया जा रहा है। यानी इस बात को झुठलाया नहीं जा सकता है कि दिगर जिले के डीओ में लोकल मिल्स को सप्लाई की जा रही है।

*गड़बड़ी पकड़ने नहीं बनाई निगरानी समिति*
नियम तो स्पष्ट है किसी एक के डीओ में कोई दूसरा उठाव नहीं कर सकता है। ऐसा करते हुए कोई मिलर्स पकड़ा गया तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। हैरत की बात ये है कि इस तरह की गड़बड़ी पकड़ने के लिए जिला स्तर पर किसी तरह की निगरानी समिति नहीं बनाई गई है। ऐसे में गड़बड़ी पकड़ेगा कौन? मामले की जांच की जाएगी तो बड़े खुलासे हो सकते है।

*दावा के उलट है सच्चाई*
मार्कफेड और खाद्य विभाग दावा कर रहा है कि जिले में धान उठाव का कार्य तेजी से हो रही है, इसके उलट धान खरीदी समितियों में जाम की स्थिति निर्मित हो रही है। यानी जो दावा किया जा रहा है सच उससे बिलकुल अलग है। अभी तक 70 फीसदी किसानों से खरीदी पूरी की जा चुकी है। मगर परिवहन कछुआ गति पर है। परिवहन मामले में मार्कफेड और खाद्य विभाग के अफसर जानकारी देने से बच रहे हैं।

*कर्णकांत श्रीवास्तव*
(B.J.M.C.)
*सीनियर जर्नलिस्ट, फाउंडर एंड चीफ एडिटर-एक्स रिपोर्टर न्यूज वेबसाइट, ब्यूरोचीफ-दैनिक सत्यदूत संदेश, मीडिया प्रभारी- जिला पत्रकार महासंघ, राजनांदगांव, विशेष सदस्य-प्रेस क्लब राजनांदगांव।*
मो. 9752886730
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