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राजनांदगांव। शिक्षा विभाग में भ्रष्ट्राचार चरम सीमा पर पंहुच गया है, बिना पैसे लिए कोई काम नही हो रहा है। प्रायवेट स्कूलों को स्कूल संचालित करने के पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी से अनुमति मान्यता लेना अनिवार्य है अन्यथा आरटीई कानून के प्रावधानों के अनुसार स्कूल पर एक लाख रूपया का जुर्माना अधिरोपित करने का प्रावधान है लेकिन अविभाजित राजनांदगांव जिले में कई प्रायवेट स्कूल बिना अनुमति मान्यता लिए ही संचालित हो रही है लेकिन इसकी पूरी जानकारी विभाग के जिम्मेदार आरटीई नोडल अधिकारी व कक्ष प्रभारी को रहती है।
गौतम टेकनो स्कूल जो मोहला में बिना अनुमति लिए वर्ष 2021-22 में संचालित हुआ और इस शिक्षा सत्र 2022-23 में भी इस स्कूल को अनुमति मान्यता नही दिया गया है लेकिन इस स्कूल में वर्तमान में लगभग 42 बच्चे प्रवेशत है जिसमें 5 आरटीई के बच्चे अध्ययनरत् है।
नोडल प्राचार्य ने बताया कि उसने इस स्कूल को मान्यता देने की अनुशंसा नही की है बल्कि इस स्कूल की जांच प्रतिवेदन जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय राजनांदगांव में जून 6, 2022 को प्रस्तुत कर जानकारी दिया जा चूका है कि यह स्कूल बिना अनुमति मान्यता संचालित हो रहा है लेकिन विभाग ने आज पर्यन्त कोई कार्यवाही नही किया।
हैरत की बात यह कि इस स्कूल को वर्ष 2020 में एक लाख सैंतालिस हजार आरटीई प्रतिपूर्ति राशि दिया गया और बताया गया कि इस स्कूल में आरटीई के 21 बच्चे अध्ययनरत् है जबकि इस स्कूल का नाम आरटीई पोर्टल में पंजीकृत नही है। यानि इस स्कूल को स्कूल संचालित करने की ना तो अनुमति मान्यता मिला है और आरटीई के बच्चों को प्रवेश देने की अनुमति दिया गया है इसके बावजूद यह स्कूल दो वर्षो से बिना अनुमति लिए ही संचालित हो रहा है।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पाॅल ने बताया कि अविभाजित राजनांदगांव जिले में लगभग 50 सुविधाहीन प्रायवेट स्कूल बिना अनुमति संचालित हो रही है, जिसकी लिखित जानकारी विभाग में दी जा चूकी है लेकिन आरटीई नोडल अधिकारी और कक्ष प्रभारी इस स्कूलों के संचालकगणों से अनुचित आर्थिक लाभ काम रहे है और दोषीयों को पूरा संरक्षण प्राप्त है।

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