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कर्णकांत श्रीवास्तव
(B.J.M.C.)
सीनियर जर्नलिस्ट, फाउंडर एंड चीफ एडिटर, एक्स रिपोर्टर न्यूज वेबसाइट एवं मीडिया प्रभारी, जिला पत्रकार महासंघ, राजनांदगांव।
मो. 9752886730
राजनांदगांव। इनदिनों जिले में शासन-प्रशासन के सारे नियमों को ताक पर रखकर खेत-खलिहान की आवासीय प्लाट के रूप में खरीदी-बिक्री हो रही है। स्थिति यह है कि शहर के आसपास यहां तक की गांवों में रोज कहीं न कहीं कालोनी का नक्शा खींचा जा रहा है। शहर सहित आसपास के इलाकों में इन दिनों अवैध प्लाटिंग का कारोबार जोर-शोर से हो रहा है। रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (रेरा) को दरकिनार कर प्लाट बेचे जा रहे हैं। इसके चलते प्लाट खरीदने वाले लोग भविष्य में परेशानी में फंस सकते हैं।
मामला जिला मुख्यालय राजनांदगांव से लगभग 30 किलोमीटर वन चेतना केंद्र मनगटा और उससे लगे गांव झूराडबरी का है। इन दोनों जगहों पर लगभग 107+32 कुल 139 एकड़ की भूमि पर अवैध प्लाटिंग की गई। प्रशासन के नाक के नीचे मनगटा में तैयार किए गए अधिकांश अवैध प्लाट को बेच दिया गया, अब झूराडबरी में प्लाटिंग की जा रही है। दिलचस्प बात ये है कि यहां भू माफिया नियम कानून का पेंच समझकर कृषि भूमि पर ही फार्महाऊस बनाने के लिए 6-6 हजार वर्गफीट का प्लाट काट चुके है। प्रत्येक वर्ग फीट को 300 से 350 रुपए में बेचा जा रहा है। प्लाट तक पहुंचने के लिए बकायदा मुरूम की कच्ची सड़क और द्वार का निर्माण किया गया है।
स्विमिंग पूल के साथ अंदर बन रहा आलीशान रिसार्ट
खरीददारों को लुभाने के लिए अवैध प्लाटिंग के अंदर एक बड़े भूखंड में आलीशान रिसार्ट का निर्माण किया जा रहा है। रिसार्ट के अंदर स्विमिंग पूल भी बनाया जा रहा है। इस अवैध प्लाटिंग की देखरेख कर रहे मैनेजर की माने तो भिलाई के रसूखदारों ने ग्रामीणों से जमीन खरीदकर प्लाटिंग की है, चूंकि फार्महाऊस के लिए बिना डायवर्शन के कृषि भूमि का उपयोग किया जा रहा है, इसलिए प्रशासन भी उनका कुछ नहीं बिगाड़ सकता है।
कम का डायवर्शन और अधिक की हो रही खरीदी -बिक्री
क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग का खेल का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उक्त स्थानों पर भू माफिया दो-चार एकड़ जमीन का डायवर्शन कराकर 100 एकड़ से अधिक जमीन पर निर्माण करा रहे हैं। वहीं रेरा के नियमानुसार भूमि के डायवर्शन हो जाने के बाद ही उस भूमि का लेआउट पास किया जाता है लेकिन रेरा के नियमों को भी दरकिनार कर बिना डासवर्शन वाली भूमि का ले-आउट पास कर दिया जा रहा है।
छोटे मामलों में बाउंड्रीवाल तोड़कर वाहवाही लूट रहा प्रशासन
मनगटा और झूराडबरी क्षेत्र में अवैध प्लाटिंग मामले का खुलासा होने के बाद राजस्व विभाग के अधिकारी हड़बड़ा गए है। हड़बड़ाना लाजमी भी है क्योंकि अफसरों से साठगांठ किए बगैर इतने बड़े भूखंड में प्लाटिंग किया जाना मुमकिन नहीं है। मीडिया में लगातार खबरें प्रकाशित होने के बाद जिला प्रशासन और राजस्व अमला अवैध प्लाटिंग के छोटे मामलों में कार्रवाई कर वाहवाही लूटने और मामले से किनारा करने के प्रयास में जुटा हुआ है। महीनेभर के अंतराल में अभी तक दो कार्रवाई की गई है, यह कार्रवाई केवल औपचारिकता मात्र के कुछ भी नहीं है।
नियम कुछ ऐसा है
सरकारी नियमों के मुताबिक कृषि योग्य भूमि को प्लाट के रूप में विकसित कर खरीदी-बिक्री के लिए नियमानुसार डायवर्शन करना पड़ता है। एक से अधिक प्लाट काटने के बाद नियमानुसार कालोनाइजर एक्ट के तहत सभी फार्मेलिटी पूरी करने के बाद उसकी खरीदी -बिक्री होनी चाहिए, लेकिन यहां बिना पंजीयन के ही न केवल आवासीय कालोनी डेवलप हो रही हैं बल्कि खेत-खलिहान की आवास के रूप में धड़ल्ले से अवैध प्लाटिंग भी हो रही है। रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथारिटी (रेरा) के नियमानुसार किसी भी कालोनाइजर को जमीन की प्लाटिंग करने से पहले रेरा में रजिस्ट्रेशन कराना अनिवार्य है। इसके अलावा प्लाट बेचने से पहले वहां जन सुविधाओं से जुड़ी चीजें जैसे नाली, सड़क, बिजली व पानी का इंतजाम, सीवर, खेल मैदान आदि की सुविधा उपलब्ध कराएगा।
कार्रवाई और जुर्माना का प्रावधान
रेरा के नियमों का पालन नहीं होने पर कार्रवाई का प्रावधान है। गड़बड़ी करने वालों पर जहां रेरा उसकी योजना की लागत का दस प्रतिशत तक जुर्माना कर सकती है वहीं किसी मामले में एफआइआर होने पर तीन साल की सजा का भी प्रावधान एक्ट में है। रेरा के अनुसार एक्ट की वजह से यह भी तय है कि जिनका पंजीयन रेरा में होगा, उन कालोनाइजर पर लोग भरोसा कर सकेंगे।
सरकार को भारी राजस्व का नुकसान
यहां पर जमीन दलाल असली भूस्वामियों से एकड़ के भाव में जमीन का एग्रीमेंट कर उसे वर्गफीट के हिसाब से बेचते हुए करोड़ो रुपये की चपत सरकार को लगा रहे हैं। 6000 वर्गफीट तक के प्लाट लोगों को धोखे में रखकर अवैध तरीके से बेचा जा रहा है। भू माफिया जमीन को मनमाने कीमत पर बिक्री कर मालामाल हो रहे हैं। प्लाट खरीदने वालों के साथ तो धोखाधड़ी हो ही रही हैं, साथ ही शासन को राजस्व का भी चूना लग रहा है। इस अवैध कारोबार में राजस्व अमले की भूमिका संदिग्ध है और जमीन की हुई खरीद फरोख्त के मामले की उच्च स्तरीय टीम से जांच कराए जाने से कई चौकाने वाले तथ्य उजागर होंगे।
प्लाट खरीदने से पहले लें यह जानकारी
1. कालोनाइजर से उसका लाइसेंस जरूर देखे।
2. टाऊन एंड कंट्री प्लानिंग से मंजूर ले आउट देखें।
3. डेवलपमंट अनुमति जरूर मांगे।
4. भूमि का डायवर्सन भी जरूर जांच लें।
नहीं तो न लोन मिलेगा और न सुविधाएं
डायवर्सन नहीं होने से मकान बनाने के लिए बैंक से लोन नहीं मिलता है। कालोनी को बिजली, पानी, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं भी नहीं मिल सकती हैं। यहां विकास कार्य प्रशासन नहीं करा सकता है और ऐसे प्लाट लेने पर नामांतरण की गारंटी भी नहीं है।
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