IMG-20241026-WA0010
IMG-20241026-WA0010
previous arrow
next arrow
  • प्रबंधन विभाग के विद्यार्थियों ने किया औद्योगिक शैक्षणिक भ्रमण 

भिलाई। श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, भिलाई के प्रबंधन विभाग बीबीए एवं एमबीए के 87 विद्यार्थियों ने डॉ. नेहा सोनी, विभागाध्यक्ष, डॉ. वैभवशंकर सोनी, सहायक प्राध्यापक, श्रीमती रेशु चौरसिया, सहायक प्राध्यापक प्रबंधन विभाग एवं श्री सुधाकर राव, सहायक प्राध्यापक, कामर्स विभाग के नेतृत्व में पारले इंडस्ट्री, रायपुर (गणेश बेकरी प्राइवेट लिमिटेड) का शैक्षिक औद्योगिक भ्रमण किया। इस अवसर श्री नवीन सिंह, इंडस्ट्री कार्डिनेटर, पारले इंडस्ट्री रायपुर ने विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि भारत का शायद ही ऐसा कोई घर होगा जहां पर पारले जी बिस्किट नहीं आता होगा आज भी ऐसे कई लोग है जिनकी चाय की शुरुआत पारले जी बिस्किट के साथ होती है चाहे अमीर हो या गरीब चाहे वह बच्चा हो या बुढा सभी ने भी पारले जी बिस्किट खाया होगा बेहद ही सस्ता और स्वादिष्ट यह बिस्किट पूरी दुनिया में लोकप्रिय है। पारले जी समाज का हर वर्ग वह गरीब हो या अमीर, बच्चा हो बुड़ा सभी ने यह बिस्किट खाया ही होगा। मैं मानता हूं कि आज आपके पास बहुत सारे विकल्प उपलब्ध है और कई बेहतर बिस्किट मौजूद है लेकिन पुरानी यादों को कभी भूलाया नहीं जा सकता है।

उन्होंने बताया कि सन 1929 में जब भारत अंग्रेजों का गुलाम था उसी समय मुंबई के विले पार्ले में पारले नाम की एक छोटी सी कंपनी का निर्माण हुआ था जहां मुख्यता चॉकलेट का उत्पादन किया जाता था फिर करीब दस सालों के बाद पारले ने बिस्कीट का निर्माण करना शुरु कर दिया जिसके सस्ते दाम ओर अच्छी क्वालिटी की वजह से यह कंपनी जल्दी ही प्रसिद्ध होने लगी। उस समय पारले बिस्कीट का नाम पारले ब्लूको था। 1980 तक इस बिस्किट को पारले ग्लूको कहकर बुलाया गया लेकिन बाद मे इसका नाम बदलकर पारले जी कर दिया। पारले ग्लूको मे G का मतलब ग्लूकोज था मगर पारले जी मे G का मतलब जीनियस हो गया। दोस्तों इस बिस्किट की एक ओर अच्छी बात थी की इसे देखते ही पहचाना जा सकता था। यह बिस्किट पहले वैक्स पेपर के पैकेट में आता था लेकिन बाद में इसे प्लास्टिक में पैक किया जाने लगा। पारले जी एक ऐसा बिस्किट है, जो अधिकतर लोगों को पसंद आता है। कोरोना काल में इस बिस्किट की बिक्री के रेकॉर्ड टूट गए थे। साल 2020 में लॉकडाउन के समय पारले जी बिस्किट की जबरदस्त बिक्री हुई थी। यह बिक्री इतनी अधिक थी कि, 82 वर्षों का रेकॉर्ड टूट गया था। पारले जी के 5 रुपये के पैकेट की देश में जमकर बिक्री होती है। श्री सिंह ने बताया कि पारले जी ने समय के आधार पर अपने कार्य प्रणाली में बदलाव किए हैं लेकिन स्वाद और उपभोक्ताओं के विश्वास से समझौता नहीं किया है इसलिए आज भी पारले जी घर-घर की पसंद हैं। विभागाध्यक्ष डॉ. नेहा सोनी ने बताया कि औद्योगिक भ्रमण से प्रबंधन कोर्स के छात्रों को क्लास रूम टीचिंग में अर्जित ज्ञान का प्रैक्टिकल रूप से अनुभव करने का मौका मिलता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखते के छात्रों के लिए एक दिवसीय औद्योगिक भ्रमण वैलेंटीनो में किया गया। विद्यार्थियों ने बेकरी उद्योग में हो रहे नये-नये इनोवेशन की बारीकियां समझीं। साथ ही साथ-साथ उद्योग में तकनीकी, डिजाइन, प्रोडक्शन, मार्केटिंग, फाइनेंस, हयूमन रिसोर्स मैनेजमेंट के क्षेत्र में हो रहे बदलाव को बखूबी से समझा। साथ ही उन्होंने कहा कि छात्रों को नियमित शैक्षिक भ्रमण पर ले जाया जाता है जहाँ पर छात्र खुले वातावरण में शिक्षा को अपने व्यक्तिगत अनुभवों से परिभाषित करते है शैक्षिक भ्रमण के माध्यम से छात्रों में एक अनुभूति जागृत होती है, जिससे वे उद्योगों के कार्य प्रबंधन को व्यक्तिगत रूप से जान सकते है इसके अतिरिक्त छात्रों में समूह में रहने की प्रवृति, नायक बनने की क्षमता तथा आत्मविश्वास एवं भाईचारे की भावना प्रबल होती है।

By Amitesh Sonkar

Sub editor

error: Content is protected !!