राजनांदगांव, 08 अगस्त। आई टी बी पी के जवानों द्वारा आज स्थानीय गायत्री विद्या पीठ में अपने अधिकारियों की उपस्थिति में दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले युद्धक हथियारों की एक खुली प्रदर्शनी लगाई गई। जंगल के शेरों ने एक – एक हथियार की मारक क्षमता और उसकी विशेषताओं का विस्तार से वर्णन शुरू किया तो बच्चों के अंदर देश भक्ति की ललक स्वमेव दिखाई पड़ने लगी। आर्मी ऑफिसर ने बच्चों की विशेष मांग पर पूरी चयन प्रक्रिया से उन्हें अवगत कराया। गायत्री विद्या पीठ के ऑडिटोरियम में लगाए गए भारत माता के जयकारे से पूरी कॉलोनी गुंजायमान हो उठी। गायत्री विद्या पीठ की प्राचार्य श्रीमती वत्सला अय्यर ने बताया की आज सुबह 9 बजे आई टी बी पी के सेकंड इन कमांडर (सी आई सी) डॉ. एल. गजेंद्रकर सिंह ने प्रदर्शनी शुरू होने से पूर्व बच्चों से चर्चा करते हुए कहा कि आर्मी में आप जैसे जवानों की जरूरत है। आप ही इस देश के रक्षक हैं। उन्होंने वेपंस के विषय में भी चर्चा की। बच्चों के समक्ष जवानों ने छोटे से लेकर बड़े युद्धक औजारों का प्रदर्शन किया । विशेष रूप से ए के 47 , एल एम जी, एम एम जी , एच एम जी सहित मोर्टार, तोप, बम रोधी ऐसा औजार जो रात के अंधेरे में दुश्मन पर प्रहार करने में सक्षम है , का प्रदर्शन किया । आर्मी ऑफिसर्स ने आजादी का अमृत महोत्सव को हर घर झंडा, घर – घर झंडा से जोड़ते हुए सभी बच्चो घर पर फहराने झंडों का वितरण भी किया ।
बच्चों की उत्सुकता भरे सवालों का जवाब भी आर्मी ऑफिसर्स ने बड़े ही अच्छे अंदाज में देते हुए बच्चों की जिज्ञासा को शांत किया । आई टी बी पी की उक्त प्रदर्शनी अवसर पर आर्मी के सब – इंस्पेक्टर बिपिन तोमर, सब – इंस्पेक्टर पुष्पेंद्र एवं सब – इंस्पेक्टर अजीत टोपयाल सहित लगभग 15 जवानों ने भी अपने अनुभव साझा किए । उक्त अवसर पर गायत्री विद्या पीठ के अध्यक्ष नंदकिशोर सुरजन , सचिव हरीश गांधी ने भी उपस्थिति दर्ज कराते हुए आर्मी ऑफिसर्स द्वारा महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित करने पर उनका आभार माना ।
प्राचार्य सहित छात्राओं ने जवानों को बांधा राखी – देश के वीर जवानों की वीरता और देश सेवा के जज्बे को सैल्यूट करते हुए सभी शिक्षकों ने उनका हौसला अफजाई किया । शाला प्राचार्य श्रीमती वत्सला अय्यर द्वारा जवानों की कलाइयां राखियों से सजाए जाने पर जवानों ने हर्ष का अनुभव किया । शाला में अध्ययनरत छात्राओं ने भी जवानों को राखी बांधकर पर्व की अग्रिम बधाई दी ।

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