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फाइल फोटो

राजनांदगांव। एक तरफ जिला प्रशासन खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में प्रदेश में सर्वाधिक धान खरीदी का दावा कर वाहवाही लूटने में लगी है। वहीं दूसरी तरफ खरीफ विपणन वर्ष 2020-21 का कमीशन नहीं मिलने से धान खरीदी समितियों की आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी है। लगातार मांग करने के बावजूद अभी तक कमीशन का भुगतान नहीं किया गया है। स्थिति यह है कि समितियों में कार्यरत कर्मचारियों को पिछले 10-12 महीने से वेतन नहीं मिल पाया हैं, ऐसे में उनकी जिंदगी उधार में चल रही है।
धान खरीदी केंद्रों को पिछले वर्ष का कमीशन अभी तक नहीं मिला है। अफसरों के मुताबिक कमीशन की राशि 10 से 12 करोड़ रुपए के आसपास है। बकाया कमीशन नहीं मिलने की वजह से समितियों की हालत खस्ता हो गई है। प्रभारियों की माने तो व्यवस्था बनाने के लिए उन्हें उधार भी लेना पड़ा। गौरतलब है कि समितियों को प्रति क्विंटल धान खरीदी पर दो रुपए का कमीशन दिया जाता है। पिछले 9 वर्षों से राशि में एक पैसे की भी वृद्धि नहीं की गई है। प्रति क्विंटल 7 रुपए कमीशन दिए जाने की मांग लेकर शासन प्रशासन से पत्राचार भी किया जा चुका है , लेकिन अभी तक इस ओर कार्रवाई नहीं की गई है। जबकि इसी वर्ष मिलिंग दर में बढ़ोत्तरी कर प्रति क्विंटल 40 से 120 रुपए कर दिया गया है।

प्रशासन ने किया दावा

जिले में खरीफ विपणन वर्ष 2021-22 में प्रदेश में सर्वाधिक धान की खरीदी 825134.80 मीट्रिक टन की गई। इसके साथ ही सभी धान संग्रहण केन्द्रों से संपूर्ण धान का उठाव जिला प्रशासन की ऐतिहासिक उपलब्धि रही है। गौरतलब है कि जिले के 211940 किसान पंजीकृत है। कुल पंजीकृत किसानों का रकबा 270230.67 हेक्टेयर है। धान बेचने वाले किसानों की संख्या 1 लाख 96 हजार 35 किसानों ने अपने धान का विक्रय किया है। जो लगभग 92.50 प्रतिशत है। बेचे गए धान का रकबा 223009.41 हेक्टेयर है। जो लगभग 82.53 प्रतिशत है। धान संग्रहण केन्द्रों से डीओ के माध्यम से मिलरों को 256108.30 मीट्रिक टन धान जारी किया गया। जिले के मिलरों द्वारा 539355.13 मीट्रिक टन धान का उठाव किया गया। शेष धान का उठाव अन्य जिले के मिलर्स द्वारा किया गया। मिलरों द्वारा अब तक लगभग 70 प्रतिशत चावल जमा किया गया है।

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