IMG-20241026-WA0010
IMG-20241026-WA0010
previous arrow
next arrow

राजनांदगावं। शिक्षा विभाग में नामित आरटीई नोडल अधिकारी के द्वारा छ.ग. विधान सभा 2021 में दो बार यह जानकारी दिया जा चूका है कि कोरोना काल में बंद हुए सभी प्रायवेट स्कूलों में अध्ययनरत् सभी बच्चों को आस-पास के स्कूलों में प्रवेश दिलाया जा चूका है और कोई भी बच्चा शिक्षा से वंचित नही है, कोई भी बच्चा शालात्यागी नही है। वंही कुछ पालको ने उच्च अधिकारीयों को लिखित शिकायत कर यह बताया है कि उनके बच्चे बंद हुए प्रायवेट स्कूलों में आरटीई कानून के अंतर्गत अध्ययनरत् थे जिन्हे विगत दो वर्षो में शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारीयो के द्वारा किसी भी स्कूल में प्रवेश नही दिलाया गया है जिसकी जांच अब पुलिस विभाग कर रही है।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने मानव अधिकार आयोग को बताया है कि कोरोना काल में लगभग 40 प्रायवेट स्कूल बंद हुए है जिसमे आरटीई के लगभग 1500 गरीब बच्चे अध्ययनरत् थे जो आज भी निःशुल्क शिक्षा पाने शिक्षा विभाग के चक्कर काट रहे है जिस पर अब आयोग ने लोक शिक्षण संचालनालय से 30 जून से पूर्व जानकारी आयोग में प्रस्तुत करने को कहा है कि बंद हुए प्रायवेट स्कूलों में अध्ययनरत् बच्चों को किस-किस स्कूल में प्रवेश दिलाया गया है, जिससे शिक्षा विभाग में हडकंप मच गया है।
हैरत की बात यह कि जल्दबाजी में शिक्षा विभाग के आरटीई नोडल अधिकारी ने छ.ग. विधान सभा में यह बता दिया कि बंद हुए प्रायवेट स्कूलों के बच्चों को प्रायवेट स्कूलांे में भी प्रवेश दिलाया गया है जबकि डीपीआई ने स्पष्ट आदेश दिया था कि बंद हुए प्रायवेट स्कूलों में अध्ययनरत् गरीब बच्चों को सिर्फ सरकारी स्कूलों में ही प्रवेश दिलाया जाएगा।
विभाग अब यह जानकारी तैयार करने में लगा हुआ है कि बंद हुए प्रायवेट स्कूलों के बच्चों को वास्तव में किन-किन स्कूलों में प्रवेश दिलाया गया है क्योंकि अब जानकारी आयोग में प्रस्तुत करना है और यदि जानकारी में त्रुटि पाई गई तो जिम्मेदार अधिकारीयों पर गाज गिरना तय है।

error: Content is protected !!