किसी परीक्षा हेतु तैयारी करते है तब सर्वप्रथम पाठ्यक्रम का अवलोकन करें तथा अनुशासनपूर्वक कठोर मेहनत करें : आई.पी.एस. अधिकारी श्री राय
- आई.पी.एस. अधिकारी गौरव राय द्वारा दिये सफलता के टिप्स
राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ. के.एल. टांडेकर के मार्गदर्शन में इतिहास विभाग द्वारा मुख्य अतिथि आई.पी.एस. अधिकारी गौरव राय के उपस्थित में सम्पन्न हुआ।
आई.पी.एस. अधिकारी श्री राय ने ‘‘कैरियर में सफलता कैसे प्राप्त करें’’ विषय पर विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि अपने जीवन के अनुभवो और अपने सफल होने के पूर्व की गई तैयारियों पर विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने बताया कि मैं एक एवरेज सिविल इंजीनीयरिंग का छात्र था किंतु हार्ड वर्क ने मुझे इस मुकाम पर पहुंचाया। उन्होंने बताया कि जब आप किसी परीक्षा हेतु तैयारी करते है तब सर्वप्रथम पाठ्यक्रम का अवलोकन करें तथा अनुशासनपूर्वक कठोर मेहनत करें। अपनी सफलता के दो टिप्स उन्होंने विद्यार्थियों को बताया।
उन्होंने कहा कि रिपिटिंग स्पेस और इंस्टेंट स्किल का ध्यान रखिए अर्थात् पाठ्यक्रम के पूर्णतः की ओर अग्रसर होने के समय भी कक्षा में पढ़ाया गया पहला टाॅपिक आपका तैयार होना चाहिए तथा जिस टाॅपिक का पार्ट कठिन लगता है उसका लगातार रिविजन करते रहना चाहिए। श्री राम ने टेस्ट सीरीज को भी सफलता हेतु महत्वपूर्ण बताया तथा कहा कि टेस्ट से आपके कैलिबर की परीक्षा होती है। इसलिए टेस्ट द्वारा स्वयं को लगातार समझते रहिये।
इस अवसर पर महाविद्यालय के प्राचार्य डाॅ.के.एल. टांडेकर ने स्वागत करते हुए कहा कि एक उच्च स्तर के अधिकारी महाविद्यालय के छात्रों को मोटिवेट करते आए है। यह अत्यंत सौभाग्य का विषय है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए इतिहास विभाग के विभागाध्यक्ष डाॅ. शैलेन्द्र सिंह ने श्री गौरव राय का परिचय देते हुए बताया कि श्री गौरव राय इतने सहज और सरल है कि विद्यार्थियों को मोटिवेट करने के लिए उन्होंने तत्काल अपनी सहमति प्रदान की। इस अवसर पर इतिहास विभाग के प्राध्यापिका प्रो. हेमलता साहू, प्रो. संजय सप्तर्षि, प्रो. हेमंत नन्दागौरी, प्रो. विकास काण्डे, प्रो. शरद तिवारी तथा बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित हुए। उन्होंने श्री गौरव राय से अपनी अनेक विज्ञासाओं और प्रश्नों के उत्तर प्राप्त किए। एक विद्यार्थी प्रश्न का उत्तर देते हुए कहा कि सफलता हेतु समर्पण जरुरी है तथा त्यौहारों के वक्त अपना समय बर्बाद न कर तैयारी करते रहे। अतं में इतिहास विभाग के प्राध्यापक प्रो. हीरेन्द्र बहादुर ठाकुर ने धन्यवाद ज्ञापन दिया।

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