रसायन शास्त्र विभाग में “डीएनए की संरचना” पर अंतर्विभागीय व्याख्यान, स्वर्ग की सीढ़ी है डीएनए : डॉ. अली
- व्याख्यान से विभिन्न विषय विशेषज्ञों का ज्ञान विभिन्न संकायों के छात्रों में प्रसारित होता है : प्राचार्य टांडेकर
- रसायन शास्त्र विभाग में “डीएनए की संरचना” विषय पर अंतर्विभागीय व्याख्यान का आयोजन
राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय राजनांदगांव में प्राचार्य डॉ. के.एल. टांडेकर के निर्देशन, रसायन विभाग के विभागाध्यक्ष यूनुस रजा बेग के मार्गदर्शन में अंतर्विभागीय व्याख्यान के अंतर्गत रसायन शास्त्र विभाग में “डीएनए की संरचना”शीर्षक पर वर्चुअल व्याख्यान का आयोजन किया गया। अतिथि के रूप में प्रसिद्ध जीवविज्ञानी व जंतुविज्ञान के सहायक प्राध्यापक डॉ.माजिद अली उपस्थित थे।
प्राचार्य डॉ.के.एल.टांडेकर ने कहा कि अंतर्विभागीय व्याख्यान से विभिन्न विषय विशेषज्ञों का ज्ञान विभिन्न संकायों के छात्रों में प्रसारित होता है जिससे वे बहुआयामी ज्ञान से समृद्ध होते जाते हैं।
मुख्य अतिथि डॉ.माजिद ने डीएनए की संरचना को सहज,सरल व व्यावहारिक रूप से समझाया व डीएनए के जैविक महत्व को रेखांकित किया। उन्होंने बताया कि डीएनए न्यूक्लियोटाइड से मिलकर बना होता है जिसमें फॉस्फोरिक अम्ल, पेंटोज सुगर व नाइट्रोजनी क्षार उपस्थित होता है जो विशेष रासायनिक बंधो द्वारा बन्धित होते हैं।
वही डॉ. अली ने डीएनए के वाटसन क्रिक मॉडल को विस्तार से समझाया। उन्होंने कहा कि डीएनए में उपस्थित जीन ही विशेष प्रोटीन के संश्लेषण के लिए जिम्मेदार होते हैं। डीएनए की लंबाई करीब 45 करोड़ किलोमीटर होती है तथा डीएनए में अच्छे जीन होने से अच्छे प्रोटीन बनते हैं जिससे मानव का स्वभाव भी अच्छा होता है जिससे वह अच्छा कार्य करता है जिससे समाज, राष्ट्र व विश्व में प्रसिद्धि प्राप्त कर सद्गति को प्राप्त करता है चूंकि डीएनए की संरचना सीढ़ीनुमा होती है इसलिए उन्होंने जैविविज्ञानिक व आध्यात्मिक रूप से डीएनए को स्वर्ग की सीढ़ी कहा।
कार्यक्रम का संचालन अतिथि व्याख्याता रसायन शास्त्र लिकेश्वर सिन्हा ने किया। व्याख्यान में रसायन शास्त्र के विभागाध्यक्ष यूनुस रजा बेग, प्राध्यापक डॉ.प्रियंका सिंह, गोकुल निषाद,रीमा साहू, डॉ.डाकेश्वर वर्मा, विकास कांडे, डॉ.अश्वनी शर्मा, अतिथि व्याख्याता शरद तिवारी, भारती यारदा, विभा विश्वकर्मा और एम.एससी. रसायन शास्त्र व जंतु विज्ञान के समस्त छात्र उपस्थित रहे।

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