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जनभागीदारी शुल्क लिया जाता है महाविद्यालय के विकास, अधोसंरचना व परीक्षार्थियों की सुविधा हेतु, अवैध वसूली नहीं : रईस अहमद शकील

राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के जनभागीदारी अध्यक्ष रईस अहमद शकील ने दिग्विजय महाविद्यालय में अमहाविद्यालयीन परीक्षार्थियों से लिये जा रहे जनभागीदारी शुल्क का विरोध करने के संबंध में कहा कि पूर्व वर्षो की भांति ही जनभागीदारी शुल्क लिया जा रहा है। यह शुल्क विगत कई वर्षो से परीक्षा व्यवस्था, महाविद्यालय अधोसंरचना व विकास हेतु लिया जा रहा है। विगत वर्ष कोविड-19 संक्रमण के चलते विश्वविद्यालय द्वारा जनभागीदारी शुल्क न लिये जाने का आदेश हुआ था जिसका दिग्विजय महाविद्यालय से जनभागीदारी समिति द्वारा छात्रहित में समर्थन करते हुए आर्थिक कठिनाईयों को ध्यान में रखते हुए जनभागीदारी शुल्क नहीं लिये जाने का निर्णय लिया गया था। विगत वर्ष आॅनलाईन परीक्षा ली गई थी जिसमें दस हजार से अधिक प्रायवेट विद्यार्थियों की हार्ड कापी महाविद्यालय में ही जमा करवाई गई थी, इसमें व्यवस्था, स्टेशनरी इत्यादि में जो भी व्यय हुआ वह महाविद्यालय द्वारा वहन किया गया, इसके लिए शासन द्वारा किसी भी प्रकार की राशि प्रदान नहीं की गई। इस वर्ष विश्वविद्यालय द्वारा इस संबंध में किसी भी प्रकार निर्देश जारी नहीं हुआ है अतः विश्वविद्यालय के सभी महाविद्यालयों द्वारा इस वर्ष सभी प्रायवेट परीक्षार्थियों से जनभागीदारी शुल्क लिया जा रहा है अतः शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय द्वारा भी पूर्व वर्ष की भांति ही 400/- का जनभागीदारी शुल्क लिया जा रहा है। यह राशि पूर्व वर्षो से ही इतनी ली जा रही है, इस वर्ष जनभागीदारी शुल्क में किसी भी प्रकार की वृद्धि नहीं की गई है। प्रारंभ में कुछ दिन विश्वविद्यालय के अधिसूचना में संसय की स्थिति में यह शुल्क नहीं लिया गया था परंतु जब सभी महाविद्यालयों द्वारा यह शुल्क लिया जाना प्रारंभ किया गया तो दिग्विजय महाविद्यालय ने भी शुल्क लेना प्रारंभ किया। जिन परीक्षार्थियों से यह शुल्क नही लिया गया है उनसे भी लिया जाएगा। कुछ छात्रों द्वारा प्रायवेट के विद्यार्थियों को भ्रमित किया जा रहा है जो उचित नहीं है। आज दिनांक तक महाविद्यालय में सात हजार आवेदन जमा हो चुके है जिसमें से विगत दो दिवस में ही चार हजार से अधिक परीक्षार्थियों ने चार सौ रुपये जनभागीदारी शुल्क के साथ फार्म जमा किया है। यदि शासन स्तर पर या विश्वविद्यालय स्तर से जनभागीदारी शुल्क न लिये जाने के संबंध में स्पष्ट आदेश जारी किया जाता है तो छात्रहित में जिस परीक्षार्थियों से शुल्क लिया गया है उन्हें रसीद दिखाने पर शुल्क वापस किया जाएगा।

By Amitesh Sonkar

Sub editor

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