राजनांदगांव। शहर सहित जिलेभर में कुकुरमुत्ता की तरह फैल चुके डायग्नोस्टिक सेंटर्स में सफेद पोशाक के आड़ में काले खेल को अंजाम दिया जा रहा है। इन सेंटर्स में जल्दी और मोटी कमाई के चक्कर में मरीजों को गलत रिपोर्ट बेची जा रही है। इन सेंटर्स को काम देने के एवज में डॉक्टरों को मोटा कमीशन मिल रहा है। चाहे इन सेंटरों से मिलने वाली डायग्नोस्टिक रिपोर्ट से मरीज की जान पर क्यों न बन आए, किसी को कोई परवाह नहीं है। क्योंकि इनकी अति को रोकने वाला स्वास्थ्य महकमा कुंभकर्णी नींद में है। अफसरों को जितनी चाहे शिकायत कर लो लेकिन कार्रवाई किसी पर होती ही नहीं है। इसी तरह के गलत डायग्नोस्टिक रिपोर्ट देने का मामला शहर में सामने आया है। जीवनदान सेवा संस्था के पदाधिकारी राजा सिंह ने गलत सोनोग्राफी रिपोर्ट देने के कारण पारस डायग्नोस्टिक सेंटर के खिलाफ सीएमएचओ से लिखित शिकायत कर कार्रवाई की मांग की है।
बुधवार को प्रेस वार्ता लेकर राजा सिंह ने बताया कि उन्होंने हाल ही में डॉ सुरभि महोबे के कहे अनुसार पत्नी की प्रेगनेंसी की सोनोग्राफी पुराना बस स्टैंड चौक मैं गौरीशंकर पेट्रोल पंप के सामने स्थित पारस डायग्नोस्टिक सेंटर में करवाई। डॉ नरेश बडवानी द्वारा सोनोग्राफी रिपोर्ट दी गई, जिसके मुताबिक गर्भ में पल रहे शिशु के शरीर के कुछ अंग अविकसित बताए गए। इस रिपोर्ट के अनुसार संबंधित डॉक्टर ने गर्भपात कराने की सलाह दे डाली। ऐसे में पूरा परिवार सदमे में आ गया। परिवार के बुजुर्ग के सुझाव अनुसार उन्होंने दूसरे डायग्नोस्टिक सेंटर में सोनोग्राफी करवाई, जिसकी रिपोर्ट सहीं निकली।
दूसरे सेंटर की रिपोर्ट को मानने से किया इंकार
इसके बाद उन्होंने सही रिपोर्ट को डॉक्टर को दिखाया तो डॉक्टर ने दूसरे सेंटर के रिपोर्ट को मानने से इंकार कर दिया और रायपुर नागपुर में जांच कराने की सलाह दी। इस घटना से मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से आहत हुए राजा सिंह ने कहा कि संस्कारधानी में इन दिनों विश्वास का कत्ल किया जा रहा है। इस कांड को कोई क्रिमिनल नहीं बल्कि समाज के बुद्धिमान व मरीजों का भगवान समझे जाने वाले डॉक्टर कर रहे हैं। जिन पर किसी भी तरह की कार्रवाई नहीं की जा रही है। इस मामले की लिखित शिकायत सीएमएचओ से करते हुए उन्होंने संबंधित के खिलाफ ठोस कार्रवाई की मांग की है।
प्रत्येक डायग्नोस्टिक सेंटर में बंधा है मोटा कमीशन
गौरतलब है कि शहर सहित जिलेभर में संचालित डायग्नोस्टिक सेंटर और पैथोलॉजी लैब में जांच करवाने के एवज में डॉक्टरों को मोटा कमीशन दिया जा रहा है। डायग्नोस्टिक सेंटर में प्रवेश करते ही मरीज और उनके परिजनों से डॉक्टरों का नाम पूछ लिया जाता है और कमीशन के हिसाब से जांच का शुल्क तय किया जाता है। जबकि मानव स्वास्थ्य से जुड़ी सेवा होने के कारण इन डायग्नोस्टिक सेंटर्स और पैथोलॉजी मैं जांच की शुल्क शासन-प्रशासन द्वारा निर्धारित की जानी चाहिए। ऐसा करना इसलिए भी जरूरी है क्योंकि सरकारी अस्पतालों में मरीजों को एडवांस टेक्नोलॉजी से जांच की सुविधा नहीं मिल पा रही है, ऐसे में मरीजों को ना चाहते हुए भी प्राइवेट डायग्नोस्टिक सेंटर्स और पैथोलॉजी का सहारा लेना पड़ रहा है।
कृष्णा हॉस्पिटल मामले की जांच में अब तक एक कदम भी आगे नहीं बढ़ पाए स्वास्थ्य अधिकारी
बीते दिनों शहर में संचालित कृष्णा हॉस्पिटल मैं मरीज के परिजन से स्मार्ट कार्ड के अलावा अतिरिक्त 35 हजार रुपए डिमांड का मामला सामने आया था। इस मामले की लिखित शिकायत परिजन ने स्वास्थ विभाग में की थी लेकिन अफसोस इस मामले में विभाग द्वारा जांच की कार्रवाई अब तक शुरू ही नहीं की गई है। ऐसे में स्वास्थ विभाग की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ चुकी है।
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कर्णकांत श्रीवास्तव
(B.J.M.C.)
सीनियर जर्नलिस्ट, फाउंडर एंड चीफ एडिटर-एक्स रिपोर्टर न्यूज वेबसाइट, ब्यूरोचीफ-दैनिक सत्यदूत संदेश, मीडिया प्रभारी- जिला पत्रकार महासंघ, राजनांदगांव, विशेष सदस्य-प्रेस क्लब राजनांदगांव।
