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रिसर्च मेथोडोलॉजी में राष्ट्रीय कार्यशाला का तृतीय दिवस : तुलनात्मक अध्ययन के फ्रंसीस सिद्धांत, अमेरिकी सिद्धांत एवं रूसी सिद्धांतों से अवगत कराया : डॉ. मधु

  • रिसर्च मेथोडोलॉजी में 5 दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का तृतीय दिवस

राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय एवं इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के संयुक्त तत्वाधान में बेसिक्स ऑफ रिसर्च मेथाडोलॉजी विषय पर अंग्रेजी विभाग के द्वारा आयोजित पांच दिवसीय वर्चुअल राष्ट्रीय कार्यशाला के तीसरे दिन के प्रारंभ में प्रथम सत्र की वक्ता प्रोफेसर डॉ. मधु कामरा लोक साहित्य तुलनात्मक साहित्य शोध कुछ नए आयाम विषय पर शोधार्थियों प्राध्यापकों के बीच विस्तार से अपने विचार प्रस्तुत किए।  साहित्य शोध के क्षेत्र में तुलनात्मक अध्ययन की परिभाषा तथा महत्व से वक्तव्य की शुरुआत की, वर्तमान परिवेश में लोक साहित्य एवं अकेदेमिक शोध की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए शोधार्थियों को बताया तुलनात्मक शोध में दो साहित्यिक कृतियों की समानताएं , असमानताएं, प्रभाव, भाषा, संस्कृति, काल आदि क्षेत्र का अध्ययन किया जा सकता है।  डॉ. कामरा ने बताया कि तुलनात्मक साहित्य शोध के अनेक लाभ हैं जैसे पाश्चात्य एवं अन्य के बीच की खाई को पाटना साहित्यिक विधाओं में कालांतर में होने वाले परिवर्तन एवं विकास यात्रा का ज्ञान होना। इस प्रकार शोधार्थियों को विश्व साहित्य के नवीन आयामों का ज्ञान होगा। तुलनात्मक अध्ययन के फ्रंसीस सिद्धांत, अमेरिकी सिद्धांत एवं रूसी सिद्धांतों से अवगत कराया।

कार्यशाला के द्वितीय वक्ता के रूप में डॉ. अनिल श्रीवास्तव ने सर्वप्रथम भारत में शोध हेतु देश की जीडीपी में कुल बजट की तुलना चीन अमेरिका फ्रांस इंग्लैंड देश से की और बताया कि भारत में शोध बजट कम होने के बावजूद शोध के वैश्विक परिदृश्य में भारतीय शोधार्थियों की उपस्थिति सराहनीय है। भारत वैश्विक शोध में नौवें स्थान पर है। भारत में प्रति 1000000 में मात्र 225 शोधार्थी होना यह दर्शाता है कि शोध पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। विज्ञान के क्षेत्र में प्रमुख शोध फंडिंग एजेंसी के बारे में विस्तृत जानकारी देते हुए उन्होंने सी. एस. एस आर., डी. एस. टी., आई. सी. एस. एस. आर. जैसी एजेंसियों की जानकारी दी। डॉ. श्रीवास्तव ने कहा कि कला एवं विज्ञान के विषय में संयुक्त शोध द्वारा समाज कल्याणकारी अनेकों प्रोजेक्ट पर शोध कार्य किया जा सकता है। महिला वैज्ञानिक योजना के तहत 55 वर्ष की आयु तक महिलाएं शोध हेतु उपलब्ध संसाधनों का उपयोग कर सकती है।

By Amitesh Sonkar

Sub editor

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