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फोटो/ वीडियो: बुधवार को स्थानीय जैन बगीचा में आयोजित प्रेस वार्ता में मुमुक्षु मयंक लोढ़ा जी ने दीक्षा लेने के संबंध में जानकारी दी।
राजनांदगांव। शहर के युवा व्यवसायी मुमुक्षु मयंक लोढ़ा दीक्षा लेने जा रहे है। संयम जीवन में प्रवेश करने से पूर्व संयम सौंदर्य उत्सव मनाया जा रहा है। उत्सव की शुरुआत बुधवार से हो चुकी है। उत्सव का आयोजन जैन बगीचा में किया जा रहा है। इसी संबंध में बुधवार को पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। जिसमें मुमुक्षु मयंक लोढ़ा जी ने कहा कि साधु जीवन एकमात्र ऐसा मार्ग है जिस पर चलकर स्वयं का आत्म कल्याण तो किया ही जा सकता है औरों का भी मार्गदर्शन किया जा सकता है। संयम जीवन में ही अहिंसा का पूर्ण रुप से पालन होता है।
उन्होंने आगे बताया कि उन्हें बचपन से ही आध्यात्म रूचि रही है। इसके बाद वे जैसे-जैसे बड़े हुए कई ऐसी घटनाएं हुई, जिसने उन्हें संयम जीवन जीने के लिए प्रेरित किया। आध्यात्म योगी परमपूज्य श्री महेन्द्र सागर जी म.सा., युवा मनीषी परम पूज्य मनीष सागर जी म.सा. के प्रेरणा से आज वे दीक्षा लेने के लिए तैयार है। इस पूण्य कार्य के लिए परिवार से उन्हें पूरा सहयोग मिला है। वे संयम के मार्ग पर चलकर लोगों का मार्गदर्शन करने की चाह रखते है। जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ के अध्यक्ष नरेश डाकलिया ने कहा कि मुमुक्षु मयंक लोढ़ा जी भगवान महावीर के बताए मार्ग पर चलने का फैसला ले चुके है। यह पुण्य कार्य है। जिसके लिए समाज की ओर से उन्हें शुभकामनाएं देते है।

मुमुक्षु मयंक लोढ़ा का सांसारिक परिचय

नाम- मयंक लोढ़ा

जन्म तिथि- 30 जनवरी 1994

जन्म स्थान- राजनांदगांव छग

शिक्षा- बीकॉम

धार्मिक अध्ययन- पंचप्रतिक्रमण , चार प्रकरण , वैराग्य सतक मोक्षमाला , बारह भावना ।। लगभग 1200 कि.मी. पद यात्रा ( विहार ) ( धमतरी से कोटा राजस्थान ), एकासना (एक टाइम का भोजन), ब्यासना

प्रेरणा स्त्रोत- आध्यात्म योगी परमपूज्य श्री महेन्द्र सागर जी म.सा. , युवा मनीषी परम पूज्य मनीष सागर जी म.सा.

गुरु का सानिध्य – सात साल से

तपस्या- उपधान तप , नव्वाणु यात्रा , अठाई , वर्धीतप , 84 प्रहरीतप

जैन साधु के आचार- पैसा , रूपये बैंक बैलेंस नहीं रखते , भवन , मकान , सम्पत्ति , चल – अचल नहीं होती , नाई , दर्जी , धोबी , जूते चप्पल , सिले वस्त्र का प्रयोग नहीं करते । परिवार से रिश्ते नहीं रखते / समाज को प्रबोध करते है । भ्रमण पदयात्रा , भिक्षा से भोजन । वाहनों का प्रयोग नहीं करते । ( सांसारिक व्यावहारिक सभी रिश्ते – नातों एवं सभी सुख सुविधाओं का आजीवन त्याग एवं आजीवन ब्रह्मचर्य व्रत का पालन )

व्यवसाय- सोने – चांदी ( चंद महिनों के लिये )

दादा जी – स्व . श्री हमीरमल जी लोढ़ा

दादी जी- श्रीमती विमला देवी लोढ़ा

बड़े पिता जी- श्री प्रकाशचंद जी लोढ़ा

बड़ी माता जी- श्रीमती चंदाबाई लोढ़ा

पिता श्री- श्री संतोष जी लोढ़ा

माता जी- श्रीमती ललिता जी लोढ़ा

बड़े भाई- रितेश जी लोढ़ा, निलेश जी लोढ़ा, दिनेश जी लोढ़ा
बड़ी बहन- श्रीमती सोनम श्री कुशल जी भंसाली, कोण्डागांव
निवास- गुड़ाखू लाईन, राजनांदगाँव ( छ.ग. ) मो . 98271-61213 ( रितेश लोढ़ा )

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