एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव
स्वास्थ्य विभाग द्वारा ठोस कार्रवाई के अभाव में इन दिनों शहर में संचालित निजी अस्पतालों की मनमानी हावी हो चुकी है। आए दिन इन निजी अस्पतालों के खिलाफ शिकायतें सामने आ रही है। शुक्रवार को निजी अस्पताल की शिकायत लेकर लोगों ने नेशनल हाईवे पर लगभग पौन घण्टा चक्का जाम कर दिया। सड़क पर महिला की लाश रखकर प्रदर्शन कर रहे परिजन ओम पटेल (मृतका के पति) और ओम प्रकाश कवंर (मृतका के पिता) निवासी ग्राम मेरेगाँव, डोंगरगढ़ ने श्री कृष्णा और संजीवनी हॉस्पिटल पर संगीन आरोप लगाए और अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने की मांग करते रहे।
परिजनों के मुताबिक 21 वर्षीय सरोज कंवर गर्भ से थी। बीते शनिवार आधी रात सिर में दर्द के चलते उसे श्री कृष्णा हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। यहां डॉक्टरों ने सिर दर्द का इलाज करने के बजाय महिला की सिजेरियन डिलीवरी करा दी। ऑपरेशन से महिला की तबीयत और बिगड़ गई और वह अचेत अवस्था में चली गई। जब परिजनों ने डॉक्टर पर सही इलाज नहीं करने का आरोप लगाया तो प्रबंधन ने महिला मरीज को दूसरे अस्पताल ले जाने की सलाह दे दी। परिजनों के तैयार नहीं होने के बावजूद महिला मरीज को एंबुलेंस में चढ़ा दिया गया। मरीज की दिक्कत और ना बढ़े इसलिए परिजनों ने आनन फानन में रविवार दोपहर उसे चिखली स्थित संजीवनी हॉस्पिटल में भर्ती करवा दिया। यहाँ भर्ती रहने के दौरान भी महिला अचेत अवस्था में थी। डॉक्टर ने महिला का ब्रेन डेड होने की जानकारी दी। शुक्रवार सुबह संजीवनी हॉस्पिटल में महिला की मौत हो गई। इसके बाद परिजनों ने आक्रोश में आकर कृष्णा हॉस्पिटल के सामने नेशनल हाईवे पर चक्का जाम कर दिया।
आयुष्मान कार्ड होते हुए भी लिए नकद रुपए
परिजनों ने बताया कि आयुष्मान कार्ड होते हुए भी अस्पताल प्रबंधन ने इलाज के लिए उनसे नकद रुपए लिए। कृष्णा हॉस्पिटल प्रबंधन ने उन्हें लगभग 80 हजार रुपए का बिल थमाया, तो वहीं संजीवनी हॉस्पिटल ने लगभग 50 रुपए का बिल फाड़ दिया। पेशे से मजदूरी करने वाले परिजनों के लाख मिन्नतों के बावजूद अस्पताल प्रबंधन बिल राशि कम करने को तैयार नहीं हुआ। मामले को लेकर किसी तरह का विरोध ना हो इसलिए अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों से कोरे कागज पर दस्तखत करवा लिए। परिजनों के मुताबिक सिजेरियन डिलीवरी से बेटा हुआ है, जिसकी हालत भी नाजुक है।
समाजसेवी संगठनों ने किया विरोध प्रदर्शन
परिजनों के साथ मिलकर समाजसेवी संगठनों द्वारा श्री कृष्णा हॉस्पिटल के सामने जमकर विरोध प्रदर्शन किया गया और अस्पताल के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई। लोगों में आक्रोश को देखते हुए जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और पुलिस से अधिकारियों की टीम मौके पर भेजी गई। इसके बावजूद प्रदर्शनकारी रुकने को तैयार नहीं थे क्योंकि अस्पताल प्रबंधन की ओर से एक भी डॉक्टर सामने नहीं आ रहे थे। स्वास्थ्य विभाग से आए अधिकारी डॉ. बीएल तुलावी ने कहा कि मामला गंभीर है। आरोप के आधार पर श्री कृष्णा और संजीवनी हॉस्पिटल मामले की जांच निष्पक्ष तरीके से की जाएगी।
ब्रेन डेड होने के बाद भी करते रहे इलाज का दिखावा
एक्सपर्ट की माने तो ब्रेन डेड पेसेंट के शरीर में कुछ जीवन प्रक्रियाएं अभी भी चल रही होती हैं, जैसे कि हृदय की धड़कन और रक्त संचार, लेकिन उनके मस्तिष्क की मृत्यु हो चुकी होती है और वे अपने आसपास के वातावरण के प्रति कोई प्रतिक्रिया नहीं कर सकते हैं। चिकित्सा क्षेत्र में, ब्रेन डेड पेसेंट को मृत माना जाता है, क्योंकि उनके मस्तिष्क की मृत्यु हो चुकी होती है और वे कभी भी होश में नहीं आ सकते हैं। ऐसे में डॉक्टर तत्काल परिवार को सूचना देते है। लेकिन इस केस में ऐसा नहीं हुआ जानकारी होते हुए भी महिला मरीज को अस्पताल में ही कई दिनों तक भर्ती रख कर बिल बढ़ाया जाता रहा। जो कि गलत है।
***********


