*वन परिक्षेत्र अधिकारी द्वारा उड़ाई जा रही सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धज्जियां*
कवर्धा । इन दिनों कवर्धा जिले में शासकीय कार्यालय द्वारा सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धज्जियां उड़ाने में कोई कसर नहीं छोड़ी जा रही है। जिसका जीता जगता नमूना कवर्धा वन परिक्षेत्र कार्यालय में देखने को मिल रहा है। सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 को नागरिकों को सशक्त बनाने, सरकार के कामकाजी में पारदर्शिता, जवाबदेही बढ़ाने, भ्रष्टाचार को रोकना और लोकतंत्र को लोगों के लिए कामयाब बनाना के उद्देश्यों को लेकर इस अधिनियम को बनाया गया है।
परंतु इन सभी उद्देशों को वन परिक्षेत्र कवर्धा के तत्कालीन जन सूचना अधिकारी लक्ष्मी नारायण सोनी द्वारा ठेंगा दिखाते हुवे सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत कवर्धा वन परिक्षेत्र में किये आवेदन में जानकारी देना जरूरी नहीं समझा जाता है। आवेदक द्वारा वर्ष 2024 को वन परिक्षेत्र कार्यालय कवर्धा में आवेदन कर कार्यालय द्वारा बनाई गई रोकड़ बही, बिल व्हाउचर, प्रमाणक का अवलोकन करने के लिए आवेदन किया गया था जिसमें आज दिनांक तक आवेदक को सूचना से वंचित रखा गया है। उक्त अधिकारी के इस करतूत से अंदाजा लगाया जा सकता कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के नियमों का किस प्रकार से गला घोटा जा रहा है।
ऐसे अधिकारियों के वजह से शासकीय कार्यालयों में जंगल राज की स्थापना हो रही है, जहां शासकीय पैसे का जमकर बंदरबाट किया जा रहा है और इनके यही कारनामे उजागर होने के डर से इस प्रकार की हरकते की जाती है। 2024 को वन परिक्षेत्र कार्यालय कवर्धा में आवेदन कर कार्यालय द्वारा बनाई गई रोकड़ बही, प्रमाणक, बिल व्हाउचर का अवलोकन करने के लिए आवेदन किया गया था जिसमें आज दिनांक तक आवेदक को सूचना से वंचित रखा गया है।

Bureau Chief kawardha