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राजनांदगांव। गौ संस्कृति अनुसंधान संस्थान राजनांदगांव के मार्गदर्शन में शिव मंदिर बंगाली चाल बसंतपुर एवं माँ पंचगव्य गौशाला ग्राम लिटिया में वैदिक होलिका दहन का आयोजन किया गया। वैदिक होलिका दहन का आयोजन वैदिक परंपराओं के आधार पर किया गया। जिसमें गोवर कंडे, घी, कपूर, हवन सामग्री सहित अन्य पूजन सामग्री का उपयोग किया गया।

संस्थान के सदस्य गव्यसिद्ध डिलेश्वर साहू ने बताया कि होली का त्यौहार सदियों और गर्मियों के मौसम के बीच में आता है, इस दौरान वायरस की संख्या बहुत अधिक होती है। जब होलिका दहन वैदिक परंपरा से मनाई जाती है, तो वातावरण में वायरस को नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि होलिका दहन में अज्ञानतावश लोगों द्वारा हरे-भरे वृक्ष, टायर, ट्यूब, प्लास्टिक अन्य का उपयोग किया जाता है, जो अनुचित है। वैदिक होलिका दहन में गोवर कंडे का शत-प्रतिशत उपयोग किया जाता है। जिससे वातावरण शुद्ध होता है, बीमारियों से बचाव के साथ गौमाता का संवर्धन एवं वृक्षों की रक्षा भी होती है।

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