राजनांदगांव। दिनांक 07 मार्च 2024 को भा.कृ.अनु.प.- राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान, रायपुर एवं कृषि विज्ञान केन्द्र, राजनांदगांव के संयुक्त तत्वाधान में ’’सूत्रकृमि जागरूकता दिवस-सह कृषक प्रशिक्षण’’ कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
इस कार्यक्रम केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डाॅ. गुंजन झा के मृदा में गहरी जुताई के लाभ जिससे सूत्र कृमि का नियंत्रण हो सके के बारे में जानकारी की दी साथ ही प्राकृतिक खेती से होने वाले लाभ के बारे में बताया गया जिसमें अवयव का उपयोग कर वातावरण एवं मृदा की उपजाऊ क्षमता, मृदा में उपस्थित विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीव एवं देशी केचुओं की संख्या में वृद्धि होती है। भा.कृ.अनु.प.- राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान, रायपुर के वैज्ञानिक मल्लिकार्जुन द्वारा फसलों में सूत्रकृमि की पहचान, उसके लक्षण एवं उससे होने वाली हानि को विभिन्न फसलों में बताया तथा सूत्रकृमि से फसलों को नियंत्रण हेतु विभिन्न भौतिक जैविक व रासायनिक प्रबंधन के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई।
केन्द्र के मृदा वैज्ञानिक श्रीमती अंजली घृतलहरे द्वारा प्राकृतिक खेती के अतंर्गत कृषि में बीजों के उपचार के लिए बीजामृत एवं मृदा में पोषक तत्व एवं उर्वरकता बढोने के लिए घनजीवामृत व खड़ी फसलों में पोषक तत्व के छिड़काव के लिए जीवामृत बनाने व फसलों के विभिन्न अवधि के अनुसार उपयोग करने की विधि के बारे में बताया गया।
तत्पश्चात् श्री आशीष गौरव शुक्ला, प्रक्षेत्र प्रबंधक द्वारा दलहनी फसलों को बढ़ावा देने बीजोत्पादन कार्यक्रम के अंर्तगत ग्रीष्म कालीन मूंग फसल की उन्नत किस्म शिखा (IPM-4103) एवं विराट (IPM-205-7) के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई जिससे दलहनी फसलों के रकबा में के साथ-साथ उनकी आमदनी में वृध्दि हो सके। इस कार्यक्रम में केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. गुंजन झा, वैज्ञानिक श्रीमती अंजली घृतलहरे, श्री मनीष कुमार, डाॅ. योगेन्द्र श्रीवास, प्रक्षेत्र प्रबंधक श्री आशीष गौरव शुक्ला, एवं अन्य कर्मचारीगण उपस्थित थे।
