एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव/डोंगरगढ़
इनदिनों धर्मनगरी डोंगरगढ़ में शराब का अवैध कारोबार आम हो चुका है। होटल, ढाबा संचालक खुलेआम लोगों को शराब परोस रहे है। हर गली, मोहल्ले में कोचिए सक्रिय है, जहां ब्लैक में लोगों को शराब मिल रही है। यह अवैध कारोबार फलफूल रहा है सत्ता सरकार बदलने के बाद भी। आखिर किसके संरक्षण में ये खेल खेला जा रहा है?
मांई की नगरी डोंगरगढ़ में भले ही कोई शराब दुकान नहीं है, लेकिन वहां इतने कोचिए हैं कि गली-गली शराब बिक रही है। इतना ही नहीं अब तो कमाई के चक्कर में खुद पुलिस और आबकारी अधिकारी भी इन कोचियों को संरक्षण दे रहे हैं। बड़ी बात यह है कि डोंगरगढ़ में छत्तीसगढ़ के अलावा मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र की शराब बड़े पैमाने पर खपाई जा रही है। गौरतलब है कि धार्मिक स्थल होने के कारण डोंगरगढ़ में वर्षों पहले शराबबंदी की जा चुकी है। जनसंख्या वाले मापदंडों के चलते आसपास की भी शराब दुकानें बंद करा दी गई हैं। इसके बाद भी वहां लोगों को आसानी से शराब मिल जा रही है। जब, जहां और जिस ब्रांड की मांगो, शराब मिल जाया करती है। ढाबा, होटल संचालक और कोचिए बिना किसी भय के अवैध रूप से शराब बेच रहे हैं।
आबकारी के अलावा पुलिस भी मौन
शराब की अवैध बिक्री के मामले में आबकारी विभाग की सुस्ती भी संदेहों को जन्म दे रही है। शराब की अवैध बिक्री और परिवहन को रोकने का काम आबकारी विभाग का है, लेकिन आबकारी विभाग इस ओर कार्रवाई नहीं कर रही है। बीच में पुलिस ने आबकारी मामलों में कार्रवाई करने के लिए रूचि दिखाई थी लेकिन अब वे भी मौन हो चुके है। इस कारण पुलिस की भूमिका पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं।
माफियाओं को छूट, कर रहे छुटपुट कार्रवाई
डोंगरगढ़ में जब कभी भी शराब के अवैध कारोबार के खिलाफ आवाज उठाई जाती है, उस दौरान पुलिस छुटपुट कार्रवाई कर औपचारिकता निभा देती है। जबकि माफियाओं के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जाती है। परिवहन में शराब पकड़ा भी जाए तो परिवहनकर्ता और कोचिए को छोड़ दिया जाता है, अज्ञात के नाम से केस दर्ज कर फाइल दबा दी जाती है। लोगों द्वारा यह भी आरोप लगाया गया है कि शराब के अवैध कारोबार को नजरअंदाज करने के लिए पुलिस और आबकारी अधिकारियों को मोटी रकम दी जा रही है।
ढाबो में सज रही शराबियों की महफिल, बगैर लाइसेंस के चल रहा है बार
प्रारंभिक पड़ताल में हमने पाया कि डोंगरगढ़ के ढाबो में शराब का अवैध विक्रय खुलेआम किया जा रहा है। एक तरह से देखा जाए तो ढाबा संचालक बगैर लाइसेंस के बार का संचालन कर रहा है। किसी भी ब्रांड की शराब वहां आसानी से उपलब्ध हो जाती है। संचालक की माने तो उसे किसी का भय नहीं है, उसे नेताओं का संरक्षण मिला हुआ है। इसके अलावा इलाके के होटल में शराब का अवैध कारोबार हो रहा है। गली मोहल्ले में सक्रिय कोचिए शराब की होम डिलीवरी कर रहे है। लगातार शिकायतों के बाद भी इस ओर कार्रवाई नहीं की जा रही है।
जंगल और पहाड़ी इलाकों में डंप की जा रही शराब
सूत्रों की माने तो डोंगरगढ़ में सर्वाधिक खपत महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश निर्मित शराब की ही होती है। यह शराब बार्डर से गाड़ियों में भरकर नजदीकी पहाड़ी व जंगल के इलाकों में पहुंचाई जाती है, यहां शराब को डंप किया जाता है। वहां से थोड़ी-थोड़ी मात्रा में शराब नगरीय क्षेत्र और गांवों तक पहुंचाई जाती है। छोटी खेप में शराब पहुंचाने के लिए दो पहिया वाहनों का इस्तेमाल किया जाता है। ये दो पहिया वाहन बिना किसी चेकिंग के पुलिस और आबकारी के नाक के नीचे से पास हो रही है।
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