IMG-20241026-WA0010
IMG-20241026-WA0010
previous arrow
next arrow

कर्णकांत श्रीवास्तव

एक्स रिपोर्टर न्यूज। राजनांदगांव

पूर्व सीएम डॉ. रमन सिंह के गोद ग्राम सुरगी मार्ग पर वर्षों से बड़ा गड्ढा बना हुआ है, जिसे पाटने के लिए किसी को फूर्सत नहीं है, चाहे राहगिरो की जान पर क्यों न बनी हो। बीते महीनों में पेचवर्क के नाम पर लगभग 80 लाख रुपए निकलने की बात सामने आती रही, लेकिन इन रुपयों से कहां और किस मार्ग का कायाकल्प किया गया, इसका जवाब तो पीडब्ल्यूडी विभाग के अफसर भी नहीं दे पा रहे है। पूछने पर नई स्वीकृति का हलावा देकर गोल-गोल जलेबी छान देते है।
हद तो तब हो गई जब सूचना का अधिकार लगाने के बाद भी लोक निर्माण विभाग के अफसरों ने जवाब नहीं दिया। सवाल यही था कि सुरगी मार्ग का पेचवर्क नहीं किया तो फिर स्वीकृत राशि से कौन से मार्गों का पेचवर्क किया गया? अधिकारियों के इस तरह की जवाबदेही से मामले में संदेह के बादल मंडरा रहे है। जांच हुई तो चौकाने वाले खुलासे हो सकते है। डामरीकरण की नई स्वीकृति की बात सुनते हुए भी महीनों गुजर गए है, पहले अफसर बारिश का बहाना बनाते रहे, फिर आचार सहिंता का। अब फिर से कार्रवाई तेज होने की बात कही जा रही है। लेकिन सड़क बनेगी कब ये अभी तक किसी को पता नहीं है। इन सबके बीच सुरगी और आसपास गांव के ग्रामीण बुरी तरह फंसे हुए है। इन गांवों के लोग हर रोज जान हथेली पर लेकर अति जर्जर मार्ग से आवागमन करते है, धूप खीली तो धूल, बारिश आई तो किचड़ के बीच हिचकोले खाते हुए कार्यस्थल और फिर घर पहुंचते हैं।

दो जिलो को जोड़ने वाला मार्ग
बता दें कि हल्दी से सुरगी होते हुए कुम्हालोरी तक राजनांदगांव जिला है। इसके बाद भरदा से बालोद जिला शुरू हो जाता है। इस सड़क की लंबाई लगभग 10.4 किमी है, जिसका लंबे समय से पुर्ननिर्माण नहीं होने के कारण पूरी सड़क गडढों में तब्दील हो गई है। बारिश का पानी गड्ढों में भरने से लोग दुर्घटना का शिकार होते रहते है। दो जिलों को जोड़ने वाला मुख्य मार्ग होने के कारण यहां से दिनभर बस सहित अन्य सवारी वाहनों की आवाजाही रहती है, लेकिन इस मार्ग से सफर तय करने में एक घंटे का समय लग जाता है।

इन गांवों के ग्रामीण परेशान
हल्दी से लेकर कुम्होलोरी के बीच दर्जनभर से अधिक गांव आते हैं। जिसमें ढोड़िया, भोड़िया, धामनसरा, उसरीबोड़, सुरगी, मुड़पार, आरला, मोखला, कुम्होलोरी, बेलटिकरी, भरदा, बुचीभरदा सहित अन्य गांव शामिल हैं। इन गांवों के लोग रोजाना इस मार्ग से होकर कामकाज के लिए जिला मुख्यालय आना-जाना करते हैं। इन गांवों के सैंकड़ों ग्रामीणों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

दौड़ती है रेत से भरी हाइवा
गौरतलब है कि सुरगी-कुम्हालोरी मार्ग पर दिनभर हैवी वाहन दौड़ रहे हैं। धमतरी की ओर से रेत तस्करी करने वाले डंफर भी इसी रूट से गुजरते है ऐसे में सड़क पर पैदल चलना तक दूभर हो चुका है। हैवी वाहनों के प्रवेश पर प्रतिबंध नहीं होने से ग्रामीणों को हादसे का शिकार होना पड़ रहा है। बीते महीने इस मार्ग पर हुए हादसे में ग्रामीण की मौत हो गई थी, इस घटना के बाद ग्रामीणों ने जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया था।

सवालसड़क निर्माण में देरी थी तो क्यों नहीं कराया पेचवर्क?
सभी जानते है कि किसी भी कार्य की नई स्वीकृति मिलने में समय लगता है। काफी सारी प्रक्रिया पूरी करनी पड़ती है। ऐसे में लोगों को त्वरित सुविधा दिलाना चुनौतीपूर्ण कार्य होता है। लोक निर्माण विभाग के अफसरों के पास फंड था तो उन्हें तत्काल पेचवर्क करा देना चाहिए था, इसके बाद नई स्वीकृति में देरी होती भी तो किसी को दिक्कत नहीं होती। लेकिन अफसरो ने ऐसा किया नहीं। नई स्वीकृति की बात कहकर पेचवर्क नहीं कराया, जिसका खामियाजा आज भी लोग भुगत रहें हैं।

****************

error: Content is protected !!