कर्णकान्त श्रीवास्तव
एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव
औचित्यहीन और गुणवत्ताहीन कार्य की वजह से पहले ही विवाद में घिरे म्युनिसिपल स्कूल घास मैदान पर अब पटाखा दुकान लगने से नुकसान की आशंका और बढ़ गई है। जानकारी सामने आई है कि नगर निगम प्रशासन ने राजस्व के चक्कर में पटाखा दुकानों को स्टेट स्कूल की जगह म्युनिसिपल स्कूल घास मैदान में लगवा दिया है। अब इस घास मैदान में बिना किसी रोक-टोक के दो पहिया और चार पहिया वाहन दौड़ रहे हैं यही हाल रहा तो कुछ ही दिनों में हरा घास का मैदान मरुस्थल में तब्दील हो जाएगा और शासन के लाखों रुपए पानी में बह जाएंगे।
जानकारी अनुसार जिला खनिज न्यास निधि से 31.96 लाख रुपए खर्च कर हाल ही में म्युनिसिपल स्कूल मैदान में घास लगवाया गया है। इस कार्य के लिए कार्य एजेंसी उद्यानिकी विभाग को बनाया गया। कार्य का ठेका भिलाई के द्वारका प्रसाद चौहान कंपनी को दिया गया था। पूरी गर्मी निकालने के बाद बारिश के सीजन में कार्य को किया गया। इस दौरान स्कूल स्टाफ और स्टूडेंट को आवागमन करने में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा था। मैदान में लगाने के लिए घास कहां से लाया गया, इसकी जानकारी आज तक उद्यानिकी विभाग के अफसराे ने छिपाकर रखी है।
शुरू से विविध कार्यों के लिए आरक्षित रहा है म्युनिसिपल स्कूल मैदान
गौरतलब है कि म्युनिसिपल स्कूल मैदान शहर के प्रमुख पुराने मैदानो में से एक है। शुरुआत से ही इस मैदान का उपयोग विविध कार्यों के लिए जैसे धार्मिक, सांस्कृतिक कार्यक्रम, मेला, खेल और पार्किंग आदि के लिए किया जाता रहा है। इस लिहाज से इस मैदान को केवल खेल के लिए आरक्षित करना बिल्कुल भी उचित नहीं था। इसके बावजूद जिला प्रशासन ने इस मैदान में घास लगाने का फैसला कर लिया और विरोध के बावजूद घास लगवा दी गई। घास लग जाने के कारण अब आवागमन की परेशानी भी शुरू हो चुकी है। हाल ही में हुए चुनावी सभा और मतदान के समय भी पार्किंग और आवागमन को लेकर लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा।
गुणवत्ताहीन कार्य से सूखने लगी है घास
एक्सपर्ट की माने तो मैदान में घास लगाने का काम भी गुणवत्ताहीन तरीके से किया गया है। विरोध के बावजूद प्रशासन ने जब म्युनिसिपल स्कूल मैदान में घास लगाने का फैसला कर ही लिया था तो कार्य को गुणवत तरीके से पूर्ण करवाना था। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। मैदान में गड्ढा कर मिट्टी डालने के बजाय मैदान के ऊपर ही 2 फुट से ऊंची मिट्टी की चादर बिछा दी गई, इससे हुआ यह की मिट्टी सूखते ही घास मरने लगी है। यदि जमीन को खोदकर मिट्टी डाली गई होती तो घास को पर्याप्त मात्रा में नमी मिलती रहती। अफसोस ऐसा हुआ नहीं।
दशहरा उत्सव के समय मैदान हो गया था बदहाल
विरोध के बावजूद जिला प्रशासन की ओर से दशहरा उत्सव के लिए मैदान को दे दिया गया। दशहरा उत्सव के कारण मैदान की हालत बदहाल हो चुकी थी। घास उखड़ गए और घेरा टूट चुका था। फिर से नगर निगम प्रशासन ने गलती दोहराते हुए पटाखा व्यापारियों को दुकान का आवंटन कर दिया। जानकारी अनुसार फटाका दुकान की नीलामी से निगम को लगभग तीन लाख रुपये का राजस्व प्राप्त हुआ है इसके अलावा घास मैदान की नुकसान की भरपाई के लिए व्यापारियों से एक लाख रुपए अतिरिक्त लिए गए हैं। लेकिन आने वाले दिनों में मैदान की जो क्षति होने वाली है, इस राशि से उसकी पूर्ति कर पाना असंभव है।
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कर्णकांत श्रीवास्तव
(B.J.M.C.)
सीनियर जर्नलिस्ट, फाउंडर एंड चीफ एडिटर- सेंट्रल रिपोर्टर समाचार पत्र एवं एक्स रिपोर्टर न्यूज वेबसाइट, ब्यूरो चीफ- दैनिक सत्यदूत संदेश, सिटी चीफ- दैनिक अग्रदूत समाचार पत्र, मीडिया प्रभारी- जिला पत्रकार महासंघ, राजनांदगांव एवं विशेष सदस्य- प्रेस क्लब राजनांदगांव।
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