Rajnandgaon : शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय के राजनीति विज्ञान विभाग एवं आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (IQAC) के संयुक्त तत्वाधान में मानव अधिकार शिक्षा विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का ऑनलाइन माध्यम से आयोजन किया गया। विषय विशेषज्ञ के रूप में आभासी पटल पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मानव अधिकार प्रशिक्षक, परामर्शदाता, व्याख्याता एवं विश्व के कई देशों में कार्य कर चुकी सुश्री शालीन दास उपस्थिति रही जिन्होंने अपने व्याख्यान में मानव अधिकारों के इतिहास, कानून एवं इसके संरक्षण के लिए किए गए उपायों का वर्णन किया उन्होंने अपने व्याख्यान की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 10 दिसंबर 1948 को स्वीकृत सार्वभौम मानव अधिकार घोषणा पत्र से की और यह बताया कि इस घोषणा पत्र में 30 अनुच्छेद हैं जो मानव मानव के मध्य किसी भी प्रकार से कोई विभेद नहीं करते हैं तथा लोगों को प्राप्त विभिन्न प्रकार के मानवाधिकारों की चर्चा करते हैं।
उन्होंने अपने व्याख्यान के दौरान महिलाओं के अधिकारों की भी चर्चा की एवं महिलाओं के साथ होने वाली किसी भी प्रकार के हिंसाओं के बारे में बताया उन्होंने कहा कि हिंसा केवल शारीरिक ही नहीं होती है बल्कि किसी महिला पर की गई अभद्र टीका टिप्पणी एवं मानसिक रूप से परेशान करना भी हिंसा ही माना जाएगा क्योंकि ऐसी हिंसा मौखिक हिंसा की श्रेणी में आती है उन्होंने आगे पुरुषों के विभिन्न प्रकार के अधिकारों की भी चर्चा की एवं कार्यशाला के अंतिम दिन विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार के टास्क दिए उनसे चर्चा भी की तथा फीडबैक भी लिया।
कार्यशाला की शुरुआत में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. के. एल. टांडेकर ने मानव अधिकारों को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह अधिकार मनुष्य के अस्तित्व से जुड़े हुए हैं एवं इन्हें किसी भी प्रकार से मनुष्य से अलग करके नहीं देखा जा सकता ।अतिथि का स्वागत प्राचार्य ने किया कार्यक्रम का संचालन राजनीति विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक संजय सप्तर्षि ने किया धन्यवाद ज्ञापन IQAC की संयोजक डॉ. अनीता साह ने किया। कार्यशाला के आयोजन में राजनीति विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ अंजना ठाकुर, डॉ राजकुमार बंजारे का विशेष योगदान रहा। उक्त अवसर पर बड़ी संख्या में तीनों संकायो के विद्यार्थी उपस्थित रहे। राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय वर्कशाप का आयोजन राजनीति विज्ञान विभाग एवं आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ(IQAC) के संयुक्त तत्वाधान में मानव अधिकार शिक्षा विषय पर तीन दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का ऑनलाइन माध्यम से आयोजन किया गया। विषय विशेषज्ञ के रूप में आभासी पटल पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मानव अधिकार प्रशिक्षक, परामर्शदाता, व्याख्याता एवं विश्व के कई देशों में कार्य कर चुकी सुश्री शालीन दास उपस्थिति रही जिन्होंने अपने व्याख्यान में मानव अधिकारों के इतिहास, कानून एवं इसके संरक्षण के लिए किए गए उपायों का वर्णन किया उन्होंने अपने व्याख्यान की शुरुआत संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा 10 दिसंबर 1948 को स्वीकृत सार्वभौम मानव अधिकार घोषणा पत्र से की और यह बताया कि इस घोषणा पत्र में 30 अनुच्छेद हैं जो मानव मानव के मध्य किसी भी प्रकार से कोई विभेद नहीं करते हैं तथा लोगों को प्राप्त विभिन्न प्रकार के मानवाधिकारों की चर्चा करते हैं।
उन्होंने अपने व्याख्यान के दौरान महिलाओं के अधिकारों की भी चर्चा की एवं महिलाओं के साथ होने वाली किसी भी प्रकार के हिंसाओं के बारे में बताया उन्होंने कहा कि हिंसा केवल शारीरिक ही नहीं होती है बल्कि किसी महिला पर की गई अभद्र टीका टिप्पणी एवं मानसिक रूप से परेशान करना भी हिंसा ही माना जाएगा क्योंकि ऐसी हिंसा मौखिक हिंसा की श्रेणी में आती है उन्होंने आगे पुरुषों के विभिन्न प्रकार के अधिकारों की भी चर्चा की एवं कार्यशाला के अंतिम दिन विद्यार्थियों को विभिन्न प्रकार के टास्क दिए उनसे चर्चा भी की तथा फीडबैक भी लिया। कार्यशाला की शुरुआत में महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. के. एल. टांडेकर ने मानव अधिकारों को स्पष्ट करते हुए कहा कि यह अधिकार मनुष्य के अस्तित्व से जुड़े हुए हैं एवं इन्हें किसी भी प्रकार से मनुष्य से अलग करके नहीं देखा जा सकता। अतिथि का स्वागत प्राचार्य ने किया कार्यक्रम का संचालन राजनीति विज्ञान विभाग के सहायक प्राध्यापक संजय सप्तर्षि ने किया धन्यवाद ज्ञापन IQAC की संयोजक डॉ. अनीता साह ने किया। कार्यशाला के आयोजन में राजनीति विज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. अंजना ठाकुर, डॉ. राजकुमार बंजारे का विशेष योगदान रहा। उक्त अवसर पर बड़ी संख्या में तीनों संकायो के विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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