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राजनांदगांव। राज्य शासन द्वारा एस्मा लगाए जाने से हड़ताली संविदा कर्मचारी और भी ज्यादा आक्रोशित हो चुके हैं। इसके चलते शुक्रवार को हड़ताली संविदा कर्मियों ने कलेक्टर को अपना सामूहिक इस्तीफा दे दिया। कर्मचारियों का कहना है कि सरकार एस्मा लगाकर हम पर दबाव बनाने की कोशिश कर रही है। लेकिन हम किसी भी प्रकार के दबाव में नहीं आने वाले है। हमारी मांगे जायज है और इसे हम पूर्ण करवा कर ही दम लेंगे।

शुक्रवार सुबह कलेक्टर को सामूहिक इस्तीफा देने से पूर्व हड़ताली संविदा कर्मियों ने सीएमएचओ ऑफिस के सामने विरोध प्रदर्शन किया। इसके बाद सभी कलेक्ट्रेट पहुंचे। प्रदर्शन के दौरान हड़ताली संविदा कर्मी अखिलेश नारायण सिंह, दीपक कुमार, हेमंत कुमार साहू, रुपाली कुंजाम और नीरा नेताम सहित साथी कर्मचारियों ने बताया कि पूरे प्रदेश में संविदा कर्मचारी 15 से 20 वर्षों से काम कर रहे हैं। नौकरी से निकाले जाने का भय और पारिवारिक सुरक्षा के दृष्टिकोण को लेकर लगातार नियमितीकरण की मांग कर्मचारियों द्वारा की जा रही है। नियमितीकरण नहीं होने से संविदा कर्मचारियों को स्थायीकरण, वरिष्ठता का लाभ, वेतन, ग्रेच्युटी, क्रमोन्नति, पदोन्नति, सामाजिक सुरक्षा, अनुकंपा नियुक्ति, पेंशन और अवकाश का लाभ नहीं मिल पा रहा है। कोरोना काल के दौरान रेगुलर से ज्यादा संविदा कर्मचारियों ने ही जान जोखिम में डालकर ड्यूटी की थी। इसके बावजूद संविदा कर्मचारियों को किसी तरह का प्रोत्साहन नहीं दिया गया। सत्ताधारी कांग्रेस पार्टी संविदा कर्मचारियों के नियमितीकरण करने की घोषणा के साथ ही सत्ता में आई। लेकिन आज पर्यंत तक कर्मचारियों का नियमितीकरण नहीं किया गया। राज्य सरकार के इस वादाखिलाफी के विरोध में अब जब कर्मचारी आंदोलन कर रहे हैं तो एस्मा लगाकर कर्मचारियों पर आंदोलन वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है। शासन का यह फैसला आग में घी डालने का काम कर रहा है। एस्मा लगाने से कर्मचारी और भी ज्यादा उग्र हो चुके हैं और इसी के परिणाम स्वरूप छत्तीसगढ़ सर्व विभागीय संविदा कर्मचारी महासंघ के आवाहन पर शुक्रवार को सामूहिक इस्तीफा दिया गया। गौरतलब है कि संविदा कर्मचारियों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाने से स्वास्थ्य विभाग समेत अन्य शासकीय कार्यालयों में कामकाज ठप पड़ चुका है। क्योंकि शासकीय विभागों में ज्यादातर संविदा कर्मचारी ही ड्यूटी करते आए हैं। विभागीय काम प्रभावित होने से आम लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। राज्य शासन को इस मामले में गंभीरता दिखाने की जरूरत है।

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