एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव।
इन दिनों जिले में ड्रग लाइसेंस रेवड़ी की तरह बांटे जा रहे हैं। यही वजह है कि जगह जगह मेडिकल स्टोर्स की बाढ़ सी आ गई है। और इन्हीं मेडिकल स्टोर्स की आड़ में झोलाछाप डॉक्टर अपनी दुकान चला रहे हैं। कायदे से औषधि प्रशासन विभाग को मेडिकल स्टोर्स का नियमित निरीक्षण करना है लेकिन यहां तो अफसर दफ्तर की चारदीवारी में ही आराम फरमा रहे हैं। ऐसे में ड्रग कंट्रोलर डिपार्टमेंट की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में आ गई है। आरोप यह भी है कि अफसर इसलिए मौन है क्योंकि उनके मुंह पर कमीशन का ताला लगा हुआ है।
पिछले कुछ वर्षों में जिले में झोलाछाप डॉक्टर की संख्या में बेतहाशा वृद्धि देखी गई है। बिना डिग्री और लाइसेंस के यह डॉक्टर अपनी दुकान धड़ल्ले से चला रहे हैं। ज्यादातर स्थानों में मेडिकल की आड़ में ही यह डॉक्टर मोटी कमाई कर रहे हैं। क्योंकि इन डॉक्टरों को मेडिकल लाइसेंस आसानी से मिल जा रही है।
अफसरों की मेहरबानी से दूसरों के नाम से ले रहे लाइसेंस
जिले में संचालित ज्यादातर मेडिकल स्टोर्स के पास अपना खुद का लाइसेंस नहीं है। वे अपने स्टोर्स में काम कर रहे हैं फार्मासिस्ट या फिर किसी दूसरे फार्मासिस्ट के नाम से लाइसेंस लेकर बड़ी आसानी से मेडिकल स्टोर्स का संचालन कर रहे हैं। इसके पीछे वजह ड्रग डिपार्टमेंट के अफसर की मेहरबानी ही है। कुछ महीने पहले शहर में ऐसा मामला सामने आ चुका है। जिसमें मेडिकल स्टोर के संचालक में अपने यहां काम कर रहे फार्मासिस्ट के नाम से लाइसेंस ले रखा था उसके जाने के बावजूद भी मेडिकल संचालन धड़ल्ले से किया जा रहा था। शिकायत करने के बावजूद ड्रग अफसर ने कोई कार्यवाही नहीं की थी।
बिना भय के धड़ल्ले से बेची जा रही नशीली दवाइयां
जिले के मेडिकल स्टोर्स में बिना डॉक्टर की पर्ची के लोगों को आसानी से दवाई उपलब्ध करा दी जा रही है। मेडिकल स्टोर से प्रतिबंधित व नशीली दवाइयां लोगों को बेची जा रही है। कुछ महीने पूर्व पुलिस की कार्रवाई में नशीली दवाइयां बरामद हुई थी। उस समय नियमित निरीक्षण और कार्रवाई को लेकर औषधि प्रशासन विभाग सवालों के घेरे में आ गया था। इसके बाद फिर मामला ठंडे बस्ते में चला गया।
आयुर्वेदिक दवाई के नाम पर चल रहा है गोरखधंधा
एलोपैथिक दवाई के अलावा जिले में आयुर्वेदिक दवाई के नाम पर लंबे समय से गोरखधंधा चल रहा है। अपने आप को एक्सपर्ट डॉक्टर बताने वाले झोलाछाप मरीजों को महंगे दामों पर अनब्रांडेड और अमानक आयुर्वेदिक दवा बेच रहे हैं। बाजार में मालिश करने वाले तेल से लेकर शुगर बीपी जैसे गंभीर बीमारियों के लिए आयुर्वेदिक दवा चॉकलेट की तरह बेची जा रही है।
लगातार शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं, सीएमएचओ भी नहीं कर पा रहे मॉनिटरिंग
अवैध रूप से संचालित मेडिकल स्टोर्स और अमानक एवं नशीली दवाई खुलेआम बिकने को लेकर कई बार शिकायत की जा चुकी है। इसके बावजूद अब तक मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा सकी है। सीएमएचओ भी ड्रग डिपार्टमेंट की मॉनिटरिंग करने में असमर्थ दिखाई दे रहे हैं। इन हालातों में विभागीय अफसर और भी ज्यादा मनमानी और कार्य में लापरवाही बरतने लगे हैं।
वर्षों से जमे है अफसर, संभाल रखा है एक से अधिक जिलों का प्रभार
गौरतलब है कि स्थानीय औषधि प्रशासन विभाग में जमे अधिकारियों का वर्षों से तबादला नहीं हुआ है। एक ही अफसर एक से अधिक जिलों का प्रभार संभाल रहे है। ऐसे में कार्य की गुणवत्ता नजर नहीं आ रही है, उल्टा लापरवाही का आलम बना हुआ है। जानकारी मिली है कि गड़बड़ी को नजरअंदाज कर संरक्षण देने की एवज में अफसर प्रत्येक मेडिकल स्टोर से महीने और साल में राशि की अवैध वसूली कर रहे हैं। यही वजह है कि अभी तक एक भी मेडिकल स्टोर के खिलाफ कार्यवाही नहीं की जा सकी है। मामला गंभीर है शासन प्रशासन के उच्च अफसरों को चाहिए कि वे प्रकरण में दिलचस्पी दिखाएं और विभागीय कार्यप्रणाली में सुधार लाएं।
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