एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव
शिक्षा का अधिकार कानून के अंतर्गत बड़े-बड़े नामी निजी स्कूलों में गरीब बच्चों को एड़मिशन दिलाना कोई खेल नही है।
बड़े -बड़े नामी इंटरनैश्नल स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए आधा दर्जन सीटे आरक्षित कर जिला शिक्षा अधिकारी पर एहसान करने वाले स्कूलों की जिस दिन उपस्थिति पंजी और और यूडाईस कोर्ड की जांच हुई, तो उनकी मान्यता समाप्त हो सकती है, क्योंकि एंट्री क्लास में सैकड़ो बच्चों को अलग- अलग सेक्शन बना कर एडमिशन देने वाले बड़े -बड़े नामी इंटरनैश्नल स्कूलों में गरीब बच्चों के लिए शिक्षा अधिकार कानून के अंतर्गत सिर्फ आधा दर्जन सीट ही आरक्षित रहता है, जो बात हजम करने लायक नही है।
वंही दुसरी ओर जिन बच्चों का किसी तरह एडमिशन हो जाता है, उनके एडमिशन रिजेक्ट कराने में भी कोई कसर नही छोड़ा जाता है, यानि कुल मिलाकर गरीब बच्चों को बड़े -बड़े नामी इंटरनैश्नल स्कूलों में प्रवेश से वंचित रखने का हर प्रयास किया जाता है।
नीरज बाजपेयी इंटरनैश्नल स्कूल, ग्राम बोरी में आरटीई के अंतर्गत गरीब बच्चों के लिए सिर्फ दस सीट आरक्षित है। इस सत्र 2023-24 में 10 बच्चों का चयन हुआ था जिसमें से छह का एडमिशन जिला शिक्षा अधिकारी श्री राजेश सिंह के रिक्वेस्ट पर डीपीआई ने 8 जुलाई को रिजेक्ट कर दिया, बताया जा रहा है कि, पालको ने गलत किरायानामा प्रस्तुत किया था, जिन बच्चों का चयन हुआ है, उनके पालक गांव में नही रहते, इसी आधार पर डीईओ ने उन छह चयनित बच्चों का एडमिशन रिजेक्ट करा दिया।
पीड़ित पालको का कहना है कि, उनके द्वारा प्रस्तुत किरायानामा, शासन द्वारा नियुक्त नोटरी के प्रमाणित है, जिसमें मकान मालिक का और दो गवाहों के हस्ताक्षर है। इतना ही नही नोडल प्राचार्या शासकीय उ.मा. शाला, ग्राम- बोरी के द्वारा उनके द्वारा प्रस्तुत समस्त दस्तावेजों का सुक्षमता से जांच पड़ताल कर उनके दस्तावेजो को सही व पूर्ण पाया जाकर ऑनलाईन लॉटरी हेतु आवेदनों को अप्रुड किया था, जिसके पश्चात् डीपीआई के द्वारा उनके बच्चों का ऑनलाईन लॉटरी के माध्यम से चयन किया गया था।
पीड़ित पालको का यह भी कहना है, कि कुछ राजनीतिक से जूड़े लोग, जिनके बच्चों का चयन नही हुआ, वे लॉटरी निकलने के पश्चात् डीईओ और नोडल के साथ दुरभिसंधि कर उनके बच्चों के एडमिशन को निरस्त कराने में सफल हो गए, ताकि अब उनके बच्चों को एडमिशन दिया जाएगा।
पीड़ित पालको का आरोप है कि उनके पक्ष को नही सुना गया, उन्हे युक्तियुक्त अवसर नही दिया गया, राजनीतिक दबाब में आकर कुछ लोगों को अनुचित लाभ दिलाने की मंशा से डीईओ के द्वारा उनके चयनित बच्चों के एडमिशन को निरस्त करा दिया गया और वे अब कानूनी लड़ाई लड़ने तैयार है, क्योकि उनके पास वैधानिक दस्तावेज उपलब्ध है, उनके द्वारा अधिवक्ता के माध्यम से डीईओ और नोडल प्राचार्या को विधिक नोटिस भेजा गया है।
