राजनांदगांव। नामांकन का सीजन आते ही जिले के स्कूलों की मनमानी बढ़ने लगी है। कुछ स्कूल दाखिले के लिए आवश्यक दस्तावेजों के नाम पर आधार की भी मांग कर रहे हैं, जिले में आलम यह है कि माननीय सर्वोच्च न्यायालय का स्पष्ट आदेश रहने के बाद भी प्राचार्य अभिभावकों को बच्चों के आधार कार्ड के लिए परेशान कर रहे हैं। अभिभावक जब बच्चों के एडमीशन के लिए स्कूल जाते हैं, तो उनसे बच्चों का आधार कार्ड मांगा जाता है, नहीं देने पर प्रवेश नहीं देने की बात कही जा रही है। सरकारी अथवा प्राइवेट स्कूलों में नामांकन के वक्त आधार की बाध्यता नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने बच्चों के एडमिशन को लेकर कहा कि 6 से 14 साल के बच्चों का स्कूल में एडमिशन करवाने के लिए आधार कार्ड जरूरी नहीं है। अभिभावक जो भी पहचान पत्र मुहैय्या कराएंगे, स्कूलों का दायित्व बनता है कि वह बच्चों को नामांकन दें। इसके बावजूद कुछ प्राचार्यो के द्वारा जान-बुझकर अभिभावकों को परेशान करने की नियत से बच्चों के आधार कार्ड की मांग की जा रही है। इतना ही नहीं, शिक्षा का अधिकार कानून की धारा 14 में यह स्पष्ट लिखा हुआ है कि बिना जन्म प्रमाण पत्र के बच्चों को प्रवेश दिया जावे, अभिभावक स्वय अपने बच्चों की जन्म तिथि लिखकर दे सकते है।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने कलेक्टर और जिला शिक्षा अधिकारी को लिखित शिकायत कर सर्वेश्वरदास नगर पालिक निगम स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम की प्राचार्य के विरूद्ध सख्त कार्यवाही करने की मांग की गई है, क्योंकि उनके द्वारा बिना आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र के बच्चों को प्रवेश देने से इंकार किया जा रहा है।
श्री पॉल का कहना है कि स्कूलों में आधार और जन्म प्रमाण पत्र की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है, स्कूलों को चाहिए कि वे बच्चों को बिना आधार और जन्म प्रमाण पत्र के प्रवेश दें। प्रवेश के समय आधार कार्ड और जन्म प्रमाण पत्र की मांग करना सीधा-सीधा उच्चतम न्यायालय के आदेश की अवहेलना और शिक्षा का अधिकार कानून का उल्लघंन है।
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