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भिलाई। श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सटी, भिलाई में संलग्न इकाई श्री शंकराचार्य कालेज ऑफ़ फार्मास्युटिकल्स साइंसेस भिलाई द्वारा छत्तीसगढ़ काउन्सिल ऑफ़ साइंस एंड डीएसटी, भारत सरकार, एपीटीआई एवं सीजी कॉस्ट के सहयोग से “ग्लोबल साइंस फॉर ग्लोबल वेलबीइंग” की थीम के तहत राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के उपलक्ष्य में एक दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।

मुख्य अतिथि के रूप में श्री. आई.पी. मिश्रा, कुलाधिपति, श्री शंकराचार्य, प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, भिलाई, अति विशिष्ट अतिथि के रूप में श्री पी. के. मिश्रा, कुलसचिव, एसएसपीयू एवं डॉ. ए.के. झा. अधिष्ठाता अकादमिक, एसएसपीयू की गरिमामई उपस्थिति रही। वक्ता के रूप में डॉ. अमित रॉय, प्राचार्य, कोलंबिया इंस्टिट्यूट ऑफ़ फार्मेसी एवं डॉ. के.पी. नामदेव, प्रोफ़ेसर, केन्द्रीय विश्व विद्यालय, बिलासपुर, श्री अभिषेक चंद्रवंशी, प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर, पीएमआरयू, श्री गौरव गुप्ता, नोडल अधिकारी, प्रधानमंत्री जनऔषधि परियोजना एवं डॉ. अंबर व्यास, प्रेसिडेंट, एपीटीआई, रायपुर उपस्थित रहें।

कार्यक्रम में विद्यार्थियों ने माडल मेकिंग, डिबेट, ड्राइंग कम्पीटीशन, साइंस स्टाल एक्जीबिशन, रील मेकिंग के साथ छत्राओं द्वारा आकर्षक राजस्थानी नृत्य प्रस्तुत किया गया। तत्पश्चात मुख्य अतिथि कुलाधिपति श्री आई.पी. मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्राचीन काल में चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में चरक और सुश्रुत, खगोल विज्ञान व गणित के क्षेत्र में आर्यभट्ट, ब्रह्मगुप्त और आर्यभट्ट द्वितीय और रसायन विज्ञान में नागार्जुन की खोजों का बहुत महत्त्वपूर्ण योगदान है। इनकी खोजों का प्रयोग आज भी किसी-न-किसी रूप में हो रहा है। कुलाधिपति ने बताया कि जगदीश चंद्र बोस ने उचित साधनों और उपकरणों के अभाव में भी अपना कार्य जारी रखा। उन्होंने लघु रेडियो तरंगों का निर्माण किया। विद्युत चुंबकीय तरंगों के प्रयोग उन्होंने मारकोनी से पहले ही पूरे कर लिए थे। पौधों में जीवन के लक्षणों की खोज उनकी महत्त्वपूर्ण उपलब्धि है।

एस. रामानुजम असाधारण प्रतिभावान गणितज्ञ थे। गणितीय सिद्धान्तों के क्षेत्र में उनके अनुसन्धान के कारण उन्हें बहुत यश और ख्याति मिली। इसी विद्वत-शृंखला में एक प्रसिद्ध वनस्पति और भूभर्ग शास्त्री बीरबल साहनी भी थे। बीसवीं शताब्दी के पूर्वार्द्ध का शिखर छूने वाले वैज्ञानिकों में एम. एन. साहा, एस.एन. बोस, डी. एन. वीजिया और प्रफुल्लचंद्र राय के नाम उल्लेखनीय हैं। अतिविशिष्ट अतिथि कुलसचिव श्री मिश्रा ने कहा कि आजादी के इतने सालों बाद भी यह विज्ञान की प्रगति को लेकर मूल प्रश्न बनकर खड़ा है। “ग्लोबल साइंस फॉर ग्लोबल वेलबीइंग” तभी सफल हो पाएगी, जब अंधविश्वास के साये में जी रहा हमारा भारतीय समाज वैज्ञानिक सोच के साथ सोचना और समझना शुरू करेगा। दुसरे अतिविशिष्ट अतिथि डॉ. झा ने कहा कि आज भारतीय वैज्ञानिक सफलताएं प्रयोगशाला से धरातल तक पहुंच गई हैं और अब वास्तव में जन सामान्य के लिए “जीवन में सुगमता” लाने के लिए हर घर में विज्ञान के अनुप्रयोगों का उपयोग किया जा रहा है। कार्यक्रम डॉ. स्वर्नाली दास पॉल, निदेशक एवं अधिष्ठाता, एसएससीपीएस, भिलाई के संजोजन में आयोजित किया गया।

कार्यक्रम का संचालन पूजा गडकरी, सहायक प्राध्यापक, एसएससीपीएस, भिलाई ने किया। इस अवसर पर डॉ. अजहरुद्दीन, प्राचार्य, आरआईपीईआर, डॉ. अलंकार, प्राचार्य, रावतपुरा सरकार फार्मेसी कालेज एवं एसएसपीयू यूनिवर्सिटी परिवार के विद्यार्थियों, प्राध्यापकों कर्मचारियों-अधिकारियों व अन्य दुसरे महाविद्यालयों, विश्वविद्यालयों के प्राध्यापकों की गरिमामई उपस्थिति रहीं।

By Amitesh Sonkar

Sub editor

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