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राजनांदगांव। शिफ्टिंग के बाद से वेंटिलेटर पर पड़े शासकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल को ऑक्सीजन देने के लिए भाजयुमो ने कमर कस ली है। अस्पताल में पनपी अव्यवस्थाओं को सुधारने के लिए भाजयुमो जल्द आंदोलन करेगी। इसी संबंध में जानकारी देने के लिए भाजयुमो जिला अध्यक्ष मोनू बहादुर सिंह ने रविवार को प्रेसवार्ता ली। इस अवसर पर संगठन के दक्षिण मंडल प्रभारी प्रखर श्रीवास्तव, उत्तर मंडल प्रभारी सज्जन सिंह ठाकुर और जिला उपाध्यक्ष देवाशिष झा उपस्थित थे।

पेंड्री में संचालित मेडिकल अस्पताल की माली स्थिति किसी से छुपी नहीं है। जानकारी अनुसार दुर्ग संभाग के सबसे बड़े चिकित्सा केंद्र के रूप में लगभग 400 करोड़ रुपए की लागत से राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज अस्पताल का निर्माण कराया गया। 400 करोड़ रुपए केवल बिल्डिंग में ही खर्च किए गए। सूत्रों की माने तो अस्पताल में हाइटेक मेडिकल उपकरणों (इक्विपमेंट) की खरीदी के लिए करीब 300 करोड़ रुपए का फंड और दिया जाना था। इस बीच विधानसभा चुनाव की घोषणा हो गई। 15 वर्षों से सत्ता पर काबिज भाजपा की हार हुई, कांग्रेस का राज शुरु हुआ। सत्ता परिवर्तन होते ही फंड पर ब्रेक लगा दिया गया या यूं कहे कि कांग्रेस वर्सेस भाजपा के चलते फंड गायब हो गया और मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए जरुरी उपकरणों की खरीदी नहीं हो पाई। फिर भी वाहवाही लूटने के लिए बसंतपुर जिला अस्पताल बिल्डिंग में संचालित मेडिकल कॉलेज अस्पताल को आनन फानन में पेंड्री के नवनिर्मित भवन में शिफ्ट कर दिया गया। जैसे तैसे व्यवस्था कर अस्पताल की शिफ्टिंग तो कर दी गई, लेकिन जरुरी मेडिकल उपकरणों के अभाव में दुर्ग संभाग का सबसे बड़ा अस्पताल मात्र दवाखाना बनकर रह गया। गंभीर बीमारियों के मरीज को आज भी रेफर कर दिया जा रहा है।

विपक्ष ने समय पर नहीं दिया ध्यान

शासन-प्रशासन की इस तरह की मनमानी को देखते हुए भी विपक्ष में बैठी भाजपा ने इस मामले में प्राथमिकता से ध्यान नहीं दिया। जबकि मुद्दा गंभीर था, मेडिकल कॉलेज की देन भाजपा सरकार की ही है। इसको मूर्तरूप देते तक भाजपा को अड़िग रहना था। लेकिन सत्ता जाते ही भाजपा ने इस मामले पर फोकस करना बंद कर दिया। यदि शिफ्टिंग के समय ही विरोध प्रदर्शन और सिलसिलेवार आंदोलन किए जाते तो आज मेडिकल कॉलेज अस्पताल की दशा कुछ और रहती।

अब सरकार को घेरेने की तैयारी

खैर अब भाजयुमो (भाजपा) ने विधानसभा चुनाव को करीब देखते हुए इस बड़े मुद्दे पर सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है। देखना है इस बार के आंदोलन का क्या परिणाम आता है। अस्पताल की अव्यवस्थाओं को सुधारने के लिए भाजयुमो की ओर से शासन-प्रशासन को सप्ताह भर का अल्टीमेटम दिया गया है। इसके बाद भी कार्रवाई नहीं होने पर चरणबद्ध तरीके से आंदोलन, विरोध प्रदर्शन, चक्का जाम करने की चेतावनी दी गई है।

मुख्यमंत्री की खामोशी समझ से परे- मोनू बहादुर सिंह

भाजयुमो जिला अध्यक्ष मोनू बहादुर सिंह ने कहा कि शासकीय मेडिकल कॉलेज अस्पताल की अव्यवस्थाओं पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की खामोशी समझ से परे है। राज्य सरकार की उदासीनता का खामियाजा मरीज और उनके परिजन भोग रहे हैं। विपक्ष दल ही नही बल्कि जिम्मेदार नागरिक होने के चलते हमारी जिम्मेदारी है कि हम इस विषय पर बात कर समस्याओं के समाधान पर मिल जुलकर काम करें, लेकिन स्वास्थ्य क्षेत्र में ऐसा मुमकिन नहीं हो पा रहा है। राज्य सरकार, कॉलेज प्रबंधन, स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए हमारी और नागरिकों की वास्तविक मांगों पर किसी तरह का अमल नहीं किया जा रहा है। मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सिटी स्कैन मशीन व एमआरआई मशीन का वर्षों से अभाव बना हुआ है। इसके चलते मरीजों और परिजनों को निजी डायग्नोस्टिक सेंटरों में अधिक राशि का भुगतान कर जांच कराने मजबूर होना पड़ रहा है। निजी डायग्नोस्टिक सेंटरों की चांदी हो चुकी है। स्टॉफ कर्मचारियों के साथ दवाईयों का टोटा है। अस्पताल पहुंचने के लिए नेशनल हाईवे पर मिडिल कट नहीं दिया गया है, इससे दुर्घटना की आशंका बनी हुई है। साथ ही अस्पताल पहुंचने के लिए परिवहन की सुविधा भी सुगम नहीं है, कायदे से इसके लिए सिटी बस का संचालन किया जाना चाहिए, लेकिन इसपर भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इन सभी समस्याओं को लेकर आगामी दिनों में विरोध प्रदर्शन किया जाएगा।

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कर्णकांत श्रीवास्तव
(B.J.M.C.)
सीनियर जर्नलिस्ट, फाउंडर एंड चीफ एडिटर-एक्स रिपोर्टर न्यूज वेबसाइट, ब्यूरोचीफ-दैनिक सत्यदूत संदेश, मीडिया प्रभारी- जिला पत्रकार महासंघ, राजनांदगांव, विशेष सदस्य-प्रेस क्लब राजनांदगांव।

मो. 9752886730

 

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