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राजनांदगांव। स्पोर्ट ग्रांट के नाम से प्रतिवर्ष खेल सामग्री क्रय करने हेतु समग्र शिक्षा विभाग से स्कूलों को राशि भेजी जा रही है। सरकारी प्राईमरी, माध्यमिक, हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों मे पढ़ने वाले बच्चों के अभिरूचि के अनुसार खेल सामग्री खरीदी के लिए खेल गढ़िया योजना के अंतर्गत मानव संसाधन विकास मंत्रालय नई दिल्ली के द्वारा राशि भेजा जा रहा है।
इस योजना के तहत प्राइमरी स्कूलो को पांच हजार, मिडिल स्कूलो को 10 हजार, हाई और हायर सेकेंडरी स्कूलों को 25 हजार रूपये खेल सामग्री खरीदने हेतु जारी किया जाता है क्योंकि केन्द्र सरकार के द्वारा खेलो को बढ़ावा देने के लिए इस योजना को आरंभ किया गया है। कही तो छोड़ दो जनाब स्कूली बच्चों के कम से कम खेलने कूदने के सामान पर तो डाका नही डालो लेकिन राजनांदगांव के शिक्षा विभाग ने इस योजना को भी नही छोड़ा, विभाग में बैठे कुछ कदावर कर्मचारियों ने खेल गढ़िया योजना मे भी बड़ा खेला कर रहे है अब जब मामले ने तुल पकड़ा तो मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है।
इस मामले में छत्तीसगढ़ पैरेंटस एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल ने उच्चस्तरीय जांच की मांग कर दोषियों के विरूद्ध एफआईआर दर्ज कराने की मांग करते हुए प्रमुख सचिव, स्कूल शिक्षा विभाग, छ.ग. शासन को पत्र लिखा है। सूत्र बताते है कि स्पोर्ट ग्रांट के नाम से प्रतिवर्ष करोड़ों का आबंटन आता है और बच्चो को इस योजना के अंतर्गत घटिया खेल सामग्री सप्लाई किया जा रहा और यही काम इस वर्ष भी हुआ क्योंकि जो खेल सामग्री स्कूलों को सप्लाई की जा रही है वह गुणवत्ताहीन है जबकि इस योजना के अंतर्गत बच्चों के अभिरूचि के अनुसार गुणवत्तापूर्ण खेल सामग्री दिया जाने का प्रावधान है। कई प्राचार्याे और प्रधान पाठको को तो मालूम ही नही की सप्लायर एंव वेंडर कौन है? स्कूलो में दबिश देकर भौतिक सत्यापन करने पर और कई खुलासे हो सकते है।

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