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राजनांदगांव। इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय खैरागढ़ के शोध विभाग द्वारा आयोजित पीएच डी ओपन वायवा में डॉ. बी. एन. जागृत, प्राध्यापक, शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय, राजनांदगांव, विषय विशेषज्ञ के रूप में उपस्थित हुई।

इस अवसर पर डॉ. जागृत ने हिन्दी विभाग विभागाध्यक्ष डॉ. राजन यादव एवं विश्वविद्यालय ग्रंथालय के ग्रंथपाल श्री जे . मोहन को अपनी पुस्तकें “नागार्जुन की हिन्दी कविताओं में लोक संस्कृति” एवं “आंचलिक उपन्यासों में छत्तीसगढ़ की ग्रामीण चेतना” भेंट की।

डॉ. यादव ने कहा कि उपन्यासों में छत्तीसगढ़ की ग्रामीण चेतना को जानना रोचक होगा। शोध प्रभारी डॉ. मृदुला शुक्ल का कथन है कि बाबा नागार्जुन लोक कुशल चितेरे हैं। उन्होंने कविताओं में लोक सांस्कृतिक परिवेश का चित्रण अत्यंत सूक्ष्मता से किया है। डॉ. देवमाईल मिज ने कहा कि दोनों पुस्तकें शोध परक हैं। शोधार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी हैं।

कला संकाय अधिष्ठाता डॉ. काशीनाथ तिवारी का मानना है कि दोनों पुस्तकें विद्यार्थियों के ज्ञान – वृद्धि में सहायक होंगी। ग्रंथपाल श्री जे. मोहन ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि ग्रंथालय में जितने अधिक ग्रंथों का समावेश होगा उतना ही ग्रंथालय उपयोगी होगा। इस अवसर सभी प्राध्यापकों ने डॉ. जागृत को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।

By Amitesh Sonkar

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