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भिलाई। श्री शंकराचार्य प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, भिलाई द्वारा आज़ादी का अमृत महोत्सव के तहत दो दिवसीय संविधान दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया गया। आयोजन के प्रथम दिवस 26 नवंबर 2022 को यूनिवर्सिटी के कुलसचिव श्री पी. के. मिश्रा द्वारा यूनिवर्सिटी परिवार के सदस्यों को संविधान का प्रस्तावना का वाचन कराया गया। तत्पश्चात विद्यार्थियों के लिए भाषण प्रतियोगिता, पोस्टर, रंगोली प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. इस अवसर पर कुलसचिव श्री मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि संविधान 26 नवंबर संविधान दिवस मानाने का मुख्य उद्देश्य भारत के नागरिकों में मौलिक अधिकारों और कर्तव्यों की समझ विकसित करने के लिये संवैधानिक मूल्यों के बारे में जागरूकता बढ़ाना है। साथ ही यह नागरिकों को गौरवशाली संवैधानिक यात्रा से परिचित कराने और जीवन के अधिकार, व्यक्तिगत स्वतंत्रता एवं गोपनीयता के मुद्दों सहित देश के सर्वोच्च कानून की समझ विकसित करना है। कार्यक्रम के दुसरे दिन दिनांक 28 नवंबर 2022 को पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। विद्यार्थियों को पुरस्कार कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो. (डॉ.) एल. एस. निगम द्वारा प्रदान किया गया। इस अवसर पर प्रो. निगम ने कहा कि स्वतंत्रता के बाद भारत का लोकतंत्र कितना सफल रहा, यह देखने के लिये इन वर्षों का इतिहास, देश की उपलब्धियाँ, देश का विकास, सामाजिक-आर्थिक दशा, लोगों की खुशहाली आदि पर गौर करने की ज़रूरत है। भारत का लोकतंत्र बहुलतावाद पर आधारित राष्ट्रीयता की कल्पना करता है। यहाँ की विविधता ही इसकी खूबसूरती है। उन्होंने बताया कि सिर्फ दक्षिण एशिया को ही लें, तो भारत और क्षेत्र के अन्य देशों के बीच यह अंतर है कि पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान और श्रीलंका में उनके विशिष्ट धार्मिक समुदायों का दबदबा है। लेकिन धर्मनिरपेक्षता भारत का एक बेहद सशक्त पक्ष रहा है। सूचकांक में भारत का पड़ोसी देशों से बेहतर स्थिति में होने के पीछे यह एक बड़ा कारण है। इसमें कोई शक नहीं कि देश का विकास तो हुआ है, लेकिन देखना यह होगा कि विकास किन वर्गों का हुआ और सामाजिक समरसता के धरातल पर विकास का यह दावा कितना सटीक बैठता है। दरअसल, किसी लोकतंत्र की सफलता इस बात पर निर्भर करती है कि सरकार ने गरीबी, निरक्षरता, सांप्रदायिकता, लैंगिक भेदभाव और जातिवाद को किस हद तक समाप्त किया है। लोगों की सामाजिक और आर्थिक स्थिति कैसी है और सामाजिक तथा आर्थिक असमानता को कम करने के क्या-क्या प्रयास हुए हैं।

कुलपति प्रो. निगम ने कहा कि। लोकतंत्र की कामयाबी के लिये ज़रूरी है कि सरकार अपने निहित स्वार्थों से ऊपर उठकर जनता की आकांक्षाओं को पूरा करने की कोशिश करे। विकास के तमाम दावों के बावजूद देश में गरीबी, भुखमरी, बेरोज़गारी आदि बेहद गंभीर समस्याएँ है लोकतांत्रिक व्यवस्था को लेकर बुनियादी सवाल कहीं पीछे छूट गए हैं और लोकतंत्र में जनता की भागीदारी और लोकतांत्रिक संस्कृति को विकसित करने के लिये पहले बुनियादी समस्याओं को हल किया जाना ज़रूरी है ताकि लोकतांत्रिक व्यवस्था को सफल बनाया जा सके। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत की खूबियों और खामियों के किसी भी आकलन में एक निष्कर्ष साफ तौर पर उभरता है कि भारत ने अपनी क्षमताओं और संभावनाओं का पूरा उपयोग नहीं किया है। ऐसे में हमें एक सुनियोजित व संकल्पित प्रयास की ज़रूरत है ताकि हमारा तंत्र कारगर और आधुनिक हो सके। संयुक्त रूप से उक्त कार्यक्रम का संयोजन डॉ. प्राची निमजे, अधिष्ठाता छात्र एवं डॉ. रविन्द्र कुमार यादव, कार्यक्रम अधिकारी, राष्ट्रीय सेवा योजना द्वारा किया गया। इस अवसर पर यूनिवर्सिटी परिवार के विद्यार्थियों, प्राध्यापकों, कर्मचारियों एवं अधिकारियों की गरिमामई उपस्थिति रहीं।

By Amitesh Sonkar

Sub editor

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