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महादेव सोनी नेउर:-

विशेष पिछड़ी जनजाति समूहों के विकास से संबन्धित विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई।

छत्तीसगढ़ शासन योजना आयोग ने जनजातीय विकास के लिए टास्क फोर्स समिति का गठन किया है। मुख्यमंत्री के सलाहकार राजेश तिवारी की अध्यक्षता में इस टास्क फोर्स समिति की बैठकें विगत कुछ महीने से चल रहा है। मुख्य मंत्री की अनुशंसा से टास्क फोर्स समिति ने विषय आधारित 8 अन्य उप समिति जिसे कार्यसमूह बोला जाता है। इनमें से एक कार्यसमूह विशेष पिछड़ी जनजाति समूह के समग्र विकास के लिए भी बनाया गया है।

आज इस कार्यसमूह का ऑनलाइन बैठक हुई जिसमे मुझे खुशी है कि इस कार्यसमूह के सदस्य रूप में मुझे भी (नरेश बिश्वास, केंद्रीय जनजातीय कार्य मंत्रालय के हैबिटेट राइट्स विशेषज्ञ समिति के सदस्य) बैठक में भाग लेने का मौका मिला।
दुर्भाग्य से इस विशेष पिछड़ी जनजाति समूह के समग्र विकास के दिये जो समिति बना है उसमें सिर्फ बैगा जनजाति से एक सदस्य है जबकि केंद्र सरकार से मान्यता प्राप्त बैगा, अबूझमाड़िया, पहाड़ी कोरवा, बिरहोर, कमार सहित 5 विशेष पिछड़ी जनजातियाँ निवास करते हैं। वैसे छत्तीसगढ़ सरकार की माने तो छत्तीसगढ़ में 7 विशेष पिछड़ी जनजाति समूह रहते है। पंडो और मांझी को छत्तीसगढ़ शासन विशेष पिछड़ी जनजाति समूह मानता है।
वैसे तो इस टास्क फोर्स समिति में 4 कार्य समूह वन अधिकार और विकास से संबन्धित है जैसे-वन अधिकार और सामुदायिक अधिकार, वन तथा वन्यजीव प्रबंधन, जनजाति समूह का आजीविका विकास और विशेष पिछड़ी जनजाति समूह का समग्र विकास। इन कार्य समूह के गठन से यह तो माना जा सकता है कि छत्तीसगढ़ सरकार भी मानता है कि जनजाति समूह का विकास वनों से जुड़ा है। इनमें विशेष पिछड़ी जनजाति समूहों का जंगल और वनों से गहरा संबंध है। खास-तौर पर विशेष पिछड़ी जनजाति समूह का अस्तित्व, अस्मिता, पहचान और विकास वनों अधिक संबंध है।
इस बैठक में विशेष पिछड़ी जनजाति समूहों के विकास से संबन्धित विभिन्न विषयों पर चर्चा की गई। नरेश बिश्वास ने प्रमुख रूप से FRA के धारा 3 (1)(E) जिसे Habitat Rights (पर्यावास अधिकार) के मुद्दा को विशेष पिछड़ी जनजाति समूह के समग्र विकास की कार्यसमूह संबंध शर्तों में जोड़ने की बात को प्रमुखता से रखा है। इसके साथ ही अबूझमाड़ क्षेत्र के पर्यावास अधिकार के प्रक्रिया को बीच में रोक देना, रायगढ़ जिला में निवासरत पहाड़ी कोरवा को विशेष पिछड़ी जनजाति समूह की मान्यता नहीं देना, रायगढ़ जिला में पहाड़ी कोरवा के समग्र विकास के लिए पहाड़ी कोरवा विकास प्राधिकरण नही खोला जाना और विशेष पिछड़ी जनजाति समूह के किए संचालित संरक्षण सह सामुदायिक विकास (CCD योजना) की पारदर्शिता के विषय को उठाया है।
ताज्जुब है कि इन चारों कार्यसमूहों की संबंध शर्तों (Terms of Refrence) में विशेष पिछड़ी जनजाति समूहों को अनुसूचित जनजाति और अन्य परंपरागत वन निवासी (वन अधिकारों की मान्यता) अधिनियम (FRA) में दिया गया विशेष प्रावधान धारा 3 (1)(E) जिसे Habitat Rights या पर्यावास अधिकार बोला जाता है, को संबंध शर्तों में नहीं जोड़ा गया है। यह धारा सिर्फ विशेष पिछड़ी जनजाति समूहों के लिए ही लागू होता है। बैठक में कार्यसमूह के 7 सदस्य शामिल थे। अंत में कार्यसमूह के संचालक वर्जिनियस खाखा (पूर्व प्रोफेसर TISS) के धन्यवाद ज्ञापन के साथ बैठक का समापन किया गया है।

By Rupesh Mahobiya

Bureau Chief kawardha

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