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आजादी के अमृत महोत्सव : किसान भागीदारी प्राथमिकता हमारी के अवसर पर किसान मेला का आयोजन

कवर्धा। कृषि विज्ञान केन्द्र, कवर्धा एवं कृषि विभाग के संयुक्त तत्वाधान में आज आजादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर किसान मेला का आयोजन वीर सावरकर भवन कवर्धा में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पंडरिया विधायक ममता चंद्राकर विधायक एवं जिला पंचायत अध्यक्ष सुशीला भट्ठ, जिला पंचायत सदस्य  रामकुमार भट्ठ, उपसंचालक कृषि एम.डी डड़सेना, सहायक संचालक उद्यान आर. एन. पाण्डेय एवं अधिष्ठाता, संत कबीर कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, कवर्धा डॉ. आर. बी. तिवारी की गरिमायी उपस्थिति में संपन्न हुआ।

इस अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द, कृषि विभाग, उद्यानिकी, मात्स्यिकी विभाग, मात्स्यिकी महाविद्यालय एवं जिले के तीन प्रगतिशील कृषकों द्वारा मेले में प्रदर्शनी लगाई गई थी, जिससे किसान नई तकनीकों से रूबरू हो सके।
आजादी का अमृत महोत्सव कार्यक्रम की शुरूआत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् द्वारा देश के 700 कृषि विज्ञान केन्द्रों में किया जा रहा है, जिसका मुख्य उद्देश्य देश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देना है। कार्यक्रम की शुरूआत में 11.30 बजे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद्, नई दिल्ली द्वारा ऑनलाईन माध्यम से केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने देशभर के कृषकों को संबोधित किया। इस अवसर पर उन्होने संबोधित करते हुए कहा मेरा भारत स्वस्थ भारत, आत्मनिर्भर भारत, आत्मनिर्भर किसान अभियान को बढ़ावा देने के प्रेरित किया।
मुख्य अतिथि पंडरिया विधायक ममता चंद्राकर ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि शासन की नरवा, गरवा, घुरवा, बाड़ी योजना से किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर अग्रसर होने में सफलता मिलेगा इस योजना से किसानों की खेती में लागत कम होने के साथ ही आमदनी दोगुनी हुई है। जिला पंचायत सदस्य रामकुमार भट्ठ भारत सरकार की विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं के विषय में कृषकों को जानकारी देते हुए कहा गया कि इससे किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर रूझान बढ़ेगा। एक समय था जब देश में खाद्यान्न की कमी थी तब उत्पादन बढ़ाने के लिए अनुसंधान और रसायनों का उपयोग किया जाता था। लेकिन आज भारत कृषि उत्पादन के मामले में बहुत अच्छी स्थिति में है और निर्यात में भी अग्रणी है।
किसानों को संबोधित करते हुए वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. बी.पी. त्रिपाठी ने कहा कि प्राकृतिक खेती बाहरी आदानो पर किसानों की निर्भरता को कम करने, खेती की लागत कम करने और किसानों की आय बढ़ाने का एक आशाजनक साधन है। सरकार पारंपरिक स्वदेशी प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए परंपरागत कृषि विकास योजना की उपयोजना के रूप में भारतीय प्राकृतिक खेती प्रणाली को बढ़ावा दे रही है। उपसंचालक कृषि एम.डी. डड़सेना ने कृषि विभाग द्वारा संचालित विभिन्न शासकीय योजनाओं की जानकारी देते हुए संबोधित किया कि प्राकृतिक कृषि पद्धति में वृद्धि के साथ पशुपालन का उपयोग बढ़ेगा जिससे किसानो की आमदनी को बढ़ाने में मदद मिलेगी। अधिष्ठाता, संत कबीर कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, कवर्धा ने कृषकों को संबोधित करते हुए कहा कि समन्वित कृषि प्रणाली प्राकृतिक खेती की दिशा में अग्रणी पहल होगी जिसमें लघु एवं सीमांत कृषक भी कृषि,पशुपालन,सब्जी उत्पादन, मछली पालन, दलहन,तिलहन एवं अनाज की समन्वित खेती कर कम लागत में अच्छी आमदनी प्राप्त कर सकते है। इस अवसर पर पंडरिया विधायक ममता चंद्राकर द्वारा जिले के 6 उन्न्तशील कृषकों को कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, मछली पालन के क्षेत्र में उत्कृष्ठ कार्य करने के लिए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। कृषि विभाग द्वारा स्प्रेयर पंप, मक्का बीज मिनीकीट एवं मछली पालन विभाग द्वारा आईस बाक्स, तराजू एवं मछली जाल का वितरण किया गया। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र, कवर्धा द्वारा प्रसारित त्रैमासिक पत्रिका इंदिरा किसान मितान का भी विमोचन किया गया। इस अवसर पर कृषि विज्ञान केन्द्र, कवर्धा के इंजीनियर टी. एस. सोनवानी, विषय वस्तु विशेषज्ञ, कृषि अभियांत्रिकी, राजेश्वरी साहू, विषय वस्तु विशेषज्ञ, उद्यानिकी, डॉ. तृप्ति ठाकुर, प्रक्षेत्र प्रबंधक,  योगेश कुमार कौशिक, कार्यक्रम सहायक, कम्प्यूटर एवं जिले के सैकड़ों कृषकों ने भाग लिया।

By Rupesh Mahobiya

Bureau Chief kawardha

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