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वैदिक होलिका दहन में गोवर के कंडे, गौघृत एवं औषधि हवन सामग्री, शहरवासियों से आयोजन में अधिक से अधिक संख्या में उपस्थित होने की अपील

  • वैदिक होलिका दहन का आयोजन म्युनिसिपल स्कूल मैदान में

राजनांदगांव। शहर के मध्य स्थित म्युनिसिपल स्कूल मैदान में वैदिक होलिका दहन का आयोजन 17 मार्च 2022 को संध्या 7 बजे माँ पंचगव्य चिकित्सा व अनुसंधान केन्द्र ग्राम लिटिया द्वारा किया जाएगा। आयोजन को सफलता पूर्वक संपन्न कराने के लिए अनुसंधान केन्द्र द्वारा महावीर चौक में बैठक आयोजित की गई। बैठक में बताया गया कि पर्यावरण रक्षा, गौरक्षा और विभिन्न प्रकार के वायरस की रोकथाम के लिए प्राचीन परम्पराओं के अनुसार वैदिक होलिका दहन का आयोजन किया जाएगा। वैदिक होलिका दहन में देशी गोवंश के गोवर के कंडे, बड़ी संख्या में गौघृत के दीप, औषधि हवन सामग्री का उपयोग किया जाएगा। बैठक में आयोजन से जुड़े सभी सदस्यों को वैदिक होलिका दहन के लिए आवश्यक दायित्व सौंपे गए। वैदिक होलिका दहन आयोजन के संयोजक पूर्व पार्षद एवं समाजसेवी श्री राधेश्याम गुप्ता एवं आयोजन के अन्य सदस्य पूर्व पार्षद एवं समाजसेवी श्री अशोक फडऩवीश, पार्षद श्री राजेश गुप्ता, पार्षद श्री अवधेश प्रजापति, अध्यक्ष तृतीय श्रेणी कर्मचारी संघ श्री अरूण देवांगन, गौसेवक श्री  राज बहादुर सिंह, श्री अभिनव श्रीवास्तव, श्री संजय श्रीवास्तव, श्री नरेन्द्र तिवारी, श्री धीरज द्विवेदी, श्री राकेश सोनी सहित अनुसंधान केन्द्र से आर्य प्रमोद, श्री डिलेश्वर साहू, श्री हार्दिक कोटक, श्री प्रज्ञानंद मौर्य एवं श्री आनंद श्रीवास्तव है।

क्या है वैदिक होली? –  माँ पंचगव्य चिकित्सा व अनुसंधान केन्द्र ग्राम लीटिया के प्रभारी आर्य प्रमोद ने बताया कि होली का त्यौहार सर्दियों और गर्मियों के मौसम के बीच आता है। इस दौरान वायरस की संख्या बहुत अधिक होती है। इस समय बीमारी का खतरा अधिक होता है। गाय के गोवर के कंडे, गौघृत, कपूर, हवन सामग्री और विभिन्न औषधियों के उपयोग कर वैदिक रित से होली मनाने से वातावरण में वायरस को नियंत्रित कर सकते है। वर्तमान समय में अज्ञानतावश होलिका दहन में लकड़ी सहित अन्य वस्तुओं का उपयोग किया जा रहा है, जो गलत है। वैदिक होलिका दहन से पेड़ों को कटने से रोका जा सकेगा। जिससे पेड़ों की रक्षा होगी,गाय बचेगी और वायू प्रदूषण भी रूकेगा तथा बीमारियों से भी बचा जा सकता है। गाय के गोवर के कंडे से होली मनाने से भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन उत्पन्न होता है, जो वातावरण को सुखद बनाता है।

इस वर्ष वैदिक होलिका दहन का आयोजन शहर में- आर्य प्रमोद ने बताया कि पिछले वर्ष वैदिक होलिका दहन का आयोजन शहर से लगे ग्राम लिटिया में किया गया था। इस वर्ष शहरवासियों को वैदिक होलिका दहन के प्रति जागरूक करने के उद्देश्य से शहर के मध्य स्थित म्युनिसिपल स्कूल मैदान में आयोजन रखा गया है। इसके अलावा अनुसंधान केन्द्र के सहयोग से रिद्धि-सिद्धि कॉलोनी, कौरिनभांठा में भी वैदिक होलिका दहन का आयोजन किया जाएगा।

अपील- माँ पंचगव्य चिकित्सा व अनुसंधान केन्द्र ग्राम लिटिया द्वारा म्यूनिसिपल स्कूल मैदान में आयोजित वैदिक होलिका दहन में शहरवासियों को अधिक से अधिक संख्या में सम्मिलित होने की अपील की गई है। प्राचीन वैदिक होलिका दहन को अपनाकर अपनी सांस्कृतिक गरिमा और बेहतर स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर सकते है। साथ ही होली को प्राचीन परम्पराओं के अनुसार मनाएं। प्राचीन परम्पराओं में होलिका दहन से लेकर होली के रंग तक के उपयोग में पर्यावरण सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखा जाता है।

By Amitesh Sonkar

Sub editor

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