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राजनांदगांव। राज्य सरकार ने जिला मुख्यालय में एक उत्कृष्ट हिन्दी मिडियम स्कूल संचालित करने का निर्णय लिया गया है और महंत राजा बलराम दास शासकीय बहुउदेशीय उच्चतर माध्यमिक शाला(स्टेट स्कूल), जिला राजनांदगांव को उत्कृष्ट हिन्दी माध्यम स्कूल में परिवर्तित किया जा रहा है जिसमें वर्तमान में 978 बच्चे अध्ययनरत् है।
छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन ने सोमवार को कलेक्टर को पत्र लिखकर चार मांगों पर गंभीरतापूर्वक विचार करने का आग्रह किया गया है।
एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल का कहना है कि स्टेट स्कूल को उत्कृष्ट हिन्दी माध्यम स्कूल में परिवर्तित किया जा रहा है इसलिए हमारी मांग है कि महंत राजा बलराम दास का नाम यथावत रखा जाना चाहिए और जो बच्चे इस स्कूल में पूर्व से अध्ययनरत् है उन्हे टीसी देकर नही निकाला जाना चाहिए क्योंकि जब मुनिसपल स्कूल को उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल में परिवर्तित किया गया तो हिन्दी माध्यम के अनेक बच्चों को टीसी देकर निकाल दिया गया, ऐसी स्थिति स्टेट स्कूल में निर्मित नही किया जाना चाहिए क्योंकि इस स्कूल में वर्तमान में 978 बच्चे अध्ययनरत् है।
शहर में उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल(मुनिसपल स्कूल) में हिन्दी माध्यम के लगभग 140 बच्चे पढ़ रहे है और अब उत्कृष्ट हिन्दी माध्यम स्कूल(स्टेट स्कूल) में अंग्रेजी माध्यम स्कूल भी संचालित हो रहा है और इस स्कूल में अंग्रेजी माध्यम के लगभग 200 बच्चे पढ़ रहे है इन बच्चों का भविष्य क्या होगा इसका जवाब शायद जिला प्रशासन के पास नही है जबकि अंग्रेजी माध्यम के बच्चों को उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम स्कूल(मुनिसपल स्कूल) में ट्रांसफर कर दिया जाना चाहिए और हिन्दी माध्यम के बच्चों को उत्कृष्ट हिन्दी माध्यम स्कूल(स्टेट हाई स्कूल) में ट्रांसफर कर दिया जाना चाहिए।
श्री पॉल ने बताया कि स्टेट स्कूल में आस-पास यानि टांकापारा, गौरी नगर, स्टेशनपारा, बलदेवबाग, शंकरपूर, तुलसीपूर, चिखली, शांतीनगर, सोनारपारा, मोतीपूर, बजरंगपूर नवागांव, नया/पुराना ढांबा के गरीब बच्चे प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में प्रवेश लेते है इसलिए उत्कृष्ट हिन्दी माध्यम स्कूल में बच्चों की संख्या सीमित नही किया जाना चाहिए इसलिए जिला प्रशासन को जरूरत पड़े तो दो पालियों में शाला का संचालन किया जाना चाहिए लेकिन बच्चों को प्रवेश देने से इंकार नही किया जाना चाहिए क्योंकि इस स्कूल की तस्वीर बदलने के लिए करोड़ो खर्च किए जाएंगे तो ज्यादा से ज्यादा बच्चों को प्रवेश दिया जाना चाहिए।

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