हनुमान चालीसा के आत्मसात से बनते हैं अच्छा इंसान : माणिकपुरी
- दिग्विजय महाविद्यालय के अंग्रेजी विभाग द्वारा गठित “अंग्रेजी साहित्य परिषद” का आयोजन
- “Communicative English” पर तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारंभ
राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय महाविद्यालय, प्राचार्य डॉ. के. एल. टांडेकर के निर्देशन एवं अंग्रेजी विभाग, विभागाध्यक्ष डॉ. अनीता शंकर के मार्गदर्शन में नव गठित अंग्रेजी साहित्य परिषद के प्रथम आयोजन के रूप में तीन दिवसीय “communicative English” विषय पर कार्यशाला 14 फरवरी से शुभारंभ किया गया। कार्यशाला में मुख्य वक्ता, भाषा एजुकेशन, हब संचालक एवं प्रशिक्षक ऋषम माणिकपुरी थे।
कार्यक्रम की शुरुआत सस्वती वन्दना से की गई। प्राचार्य डॉ. टांडेकर ने अंग्रेजी भाषा के महत्व तथा कैरियर निर्माण में संचार के महत्व पर प्रकाश डाला एवं छात्र – छात्राओं को संबोधित करते हुए कहा की इस आयोजन से महाविद्यालय की सभी संकाय के विद्यार्थी लाभांवित होंगे। साथ ही प्राचार्य ने नव गठित – साहित्य परिषद के सभी सदस्यों – अध्यक्ष आर्या साहू (MA – IV Sem.), उपाध्यक्ष साक्षी शुक्ला (MA – II Sem.), ऐश्वर्या श्रीवास्तव, सचिव (MA – IV Sem.), कोमल बघेल सहसचिव, (MA – II Sem.) तथा कोषाध्यक्ष आयुषी श्रीवास्तव को बधाई एवं शुभकामनाएं दी।
अंग्रेजी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. अनीता शंकर ने तीन दिवसीय कार्यशाला की रूपरेखा प्रस्तुत की। इस अवसर पर साहित्य परिषद के सभी सदस्यों तथा एड ऑन स्पोकन इंग्लिश एण्ड क्रियेटिव राइटिंग कोर्स के विद्यार्थियों को प्राचार्य द्वारा प्रमाण पत्र वितरित किए।
अंग्रेजी कार्यशाला के पहले दिन आमंत्रित विशेषज्ञ ऋषम मानिकपुरी ने स्वयं का परिचय देने के लिए एक रोचक व प्रेरणादायी कविता सुनाई। बातचीत में मन के भाव वोइस मोडूलेशन, विनम्रता तथा आदर से उत्पन्न होने वाले मन मोहक प्रभाव के बारे में विस्तार से चर्चा की। एवं बात – चीत को प्रभावशाली बनाने के गुर सिखाए।
श्री मानिकपुरी ने अच्छी शक्सीयत बनाने के लिए हनुमान चालीसा से आत्मसात किया। आठ प्रमुख गुणों को प्राप्त करने का क्रमवार तरीका बताया गया। साथ ही प्रभावी तरीके से अपना परिचय देने की कला के बारे में सिखाए।
कार्यक्रम का संचालन साहित्य परिषद की सचिव रिश्वर्या श्रीवास्तव ने किया। सजल पटेल व साक्षी शुक्ला ने अपने एड ऑन कोर्स के अनुभव साझा किए। कार्यशाला का आयोजन 15 फरवरी व 16 फरवरी को भी जारी रहेगा।

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