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अंतर्विभागीय व्याख्यान में :- पेस्टीसाइड के दुष्प्रभाव को खत्म करता है हाइड्रोक्सेमिक अम्लः सिन्हा

  • वनस्पति शास्त्र विभाग में अंतर्विभागीय व्याख्यान का आयोजन

राजनांदगांव। शासकीय दिग्विजय स्नातकोत्तर महाविद्यालय राजनांदगांव में प्राचार्य डॉ. के.एल. टांडेकर के मार्गदर्शन एवं वनस्पति शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. अनिता महिस्वर के निर्देशन में बुधवार को अंतर्विभागीय व्याख्यान के अंतर्गत वनस्पति शास्त्र विभाग में वर्चुअल व्याख्यान का आयोजन किया गया। अतिथि वक्ता के रूप में महाविद्यालय के रसायन विभाग के लिकेश्वर सिन्हा ने अपने रिसर्च कार्य “मिसेल माध्यम में एसिड द्वारा फॉस्फेट एस्टर के जल-अपघटन” को व्यवहारिक तरीके से विस्तार पूर्वक समझाया।

उन्होंने बताया कि मस्तिष्क में उपस्थित एक कार्बनिक यौगिक एसिटाइल कोलिन न्यूरोट्रांसमीटर के रूप में कार्य करता है जो मस्तिष्क से सम्पूर्ण शरीर में तंत्रिकीय संवेगों के आदान-प्रदान में सहायक है। एसिटाइल कोलिन की अतिरिक्त मात्रा को एंजाइम एसिटाइल कोलिन एस्टरेज जल अपघटित कर देता है। उन्होंने बताया कि पेस्टीसाइड में प्रयुक्त हानिकारक फॉस्फेट एस्टर, एसिटाइल कोलिन एस्टेरेज एंजाइम को इन्हीबिट कर देता है जिससे एसिटाइल कोलिन की सांद्रता बढ़ जाती है जिसका तंत्रिका तंत्र पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है जिससे मांसपेशियों में ऐंठन व मस्तिष्क लकवा ग्रस्त हो सकते है। लिकेश्वर सिन्हा ने अपने रिसर्च के दौरान क्वार्टरनाइज्ड -3 पिरिडीन हाइड्रोक्सेमिक अम्ल का संश्लेषण किया तथा विभिन्न फॉस्फेट एस्टरों का जल- अपघटन मिसेलर माध्यम में कराया और इनके शोध से प्राप्त आंकड़ों से यह स्पष्ट हुआ कि विभन्न पीएच, हाइड्रोक्सेमिक अम्ल व अपमार्जकों के भिन्न सांद्रताओं पर फॉस्फेट एस्टर युक्त पेस्टीसाइड को जल अपघटित कर उनके हानिकारक प्रभाव को खत्म किया जा सकता है। इस कार्यक्रम का संचालन वनस्पति शास्त्र विभाग के सहायक प्राध्यापक डॉ. त्रिलोक कुमार ने किया। इस व्याख्यान में बड़ी संख्या में बी.एस.सी. तथा एम.एस.सी. के विद्यार्थी लाभान्वित हुए।

By Amitesh Sonkar

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