राजनांदगांव। बांकल रेत उत्खनन मामला तुल पकड़ने लगा है। प्रशासन द्वारा मामले की जांच के लिए बनाए गए दल में कोविड संक्रमित सदस्यों के शामिल होने के खबर के बाद दूसरे दिन सदस्यों को बदलकर नए सदस्यों को शामिल किया गया है। संभवता नव गठित जांच दल 20 जनवरी को उत्खनन स्थल का निरीक्षण करने जाएगी। एसडीएम अरूण वर्मा ने इसकी पुष्टि की है। वहीं एक दो अधिकारी बुधवार दोपहर को मामले की जांच करने मौके पर पहुंचे थे, ग्रामीण इसकी जानकारी दे रहे है। वहां पर अधिकारियों ने क्या देखा और क्या कार्रवाई की। इसकी जानकारी अभी तक नहीं मिल पाई है। इधर इसी मामले को लेकर बुधवार को छग राज्य पर्यटन मंडल के सदस्य व प्रदेश युवा कांग्रेस मीडिया विभाग के अध्यक्ष निखिल द्विवेदी ने कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा।
ज्ञापन में श्री द्विवेदी ने कहा कि शिवनाथ नदी राजनांदगांव जिले की जीवनदायिनी नदी है। लाखों लोग इस नदी के जल से प्यास बुझाते हैं तो वही निस्तारी भी होती है। पर्यावरण और जलीय संपदा के रूप में लोग शिवनाथ नदी को पूजते हैं पर यहां अवैध रेत उत्खनन से लेकर नदी की दिशा से छेड़छाड़ करने व नदी के बीचों बीच रेत की सड़क बनाकर शिवनाथ नदी का बहाव रोकने की लगातार शिकायतें सामने आ रही है। समाचार पत्रों में बाकल के पास शिवनाथ नदी की जो तस्वीर और जमीनी हकीकत बताई जा रही है, वह भयावह है। रेत निकालने की होड़ में नदी के मूल रूप से ही छेड़छाड़ की जा रही है। मामले में मनमानी करने वाले लीज धारक के खिलाफ धारा 409 का प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए। पूर्व में भी नदी की दिशा से छेड़छाड़ किए जाने पर एक रेत कारोबारी के खिलाफ इस धारा के तहत कार्रवाई हो चुकी है। यह भी इसी प्रवृत्ति का अपराध प्रतीत हो रहा है। इस पूरे मामले की गंभीरता से जांच होनी चाहिए। बताया जा रहा है कि लीज धारक को इस शर्त पर ही लीज दी गई है कि वह नदी का पानी सुखने के बाद ही इंडस्ट्रीयल उपयोग के लिए ही रेत का इस्तेमाल कर सकता है। इस कंडिका के तहत जांच कर यह सार्वजनिक किया जाए कि उक्त लीजधारक ने कितनी रेत इंडस्ट्रीज और बाजार में खुलेआम बेचा है। कितनी मात्रा में अब तक रेत निकासी हुई है। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से लीज अवधि बढ़ाए जाने पर कब सर्वे किया गया। सर्वे रिपोर्ट प्रशासन के पास है या नहीं इसकी भी जांच कराई जाए। वहीं किस शर्त पर लीज अवधि बढ़ी है। इसकी जांच कर सार्वजनिक किया जाए। लीज धारक ने दावा किया है कि नदी के सुखने के बाद रेत निकासी होती है पर वर्तमान में जिस जगह से रेत निकाल रहे हैं, वहां पर पानी का भराव है और डीजल मशीन का इस्तेमाल कर पानी को प्रदूषित किया जा रहा है। इससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। इस मामले की जल्द जांच कर कार्रवाई की जाए।
