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कर्णकांत श्रीवास्तव
(B.J.M.C.)
सीनियर जर्नलिस्ट, फाउंडर एंड चीफ एडिटर, एक्स रिपोर्टर न्यूज वेबसाइट, मीडिया प्रभारी, जिला पत्रकार महासंघ, राजनांदगांव, विशेष सदस्य, प्रेस क्लब राजनांदगांव।
मो. 9752886730

राजनांदगांव। जिले में बिना लाइसेंस के क्लीनिक और दावाखाना के संचालन का मामला गर्माया हुआ है। दिलचस्प बात ये है कि इस मामले में गंभीरता दिखाने के बजाय स्वास्थ विभाग के अफसर सुस्त रवैया अपनाए हुए है। हाल ये है कि ऐसे क्लीनिक के जांच के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन तो कर लिया गया है, लेकिन अफसरों के पास जांच के लिए समय नहीं है। ऐसे में बगैर लाइसेंस नवीनीकरण के क्लीनिक और दवाखाना का संचालन धड़ल्ले से किया जा रहा है।

Health reporter राजनांदगांव: न डिग्री, न पंजीकरण, धड़ल्ले से चल रहे अस्पताल, अधिकारियों की मिलीभगत से मरीजों की जान से हो रहा खिलवाड़, ठंडे बस्ते में फर्जी अस्पताल के खिलाफ अभियान…

हाल ही में पुलिस ने आयुर्वेद उपचार का झांसा देकर दंपत्ति से डेढ़ लाख रुपए की धोखाधड़ी करने का मामला उजागर किया है, इस मामले ने उन तमाम झोलाछाप डॉक्टरों को शक के दायरे में ले लिया है, जो बिना लाइसेंस या पंजीयन के एलोपैथी, आयुर्वेदिक और युनानी इलाज की दुकान सजाए बैठे हैं। वक्त रहते इन पर कार्रवाई नहीं की गई तो आने वाले समय में इलाज के बहाने इस प्रकार की ठगी के और भी मामले सामने आ सकते है। बता दें कि राजनांदगांव जिले में सैकड़ों की संख्या में क्लीनिक और दावाखाना का संचालन किया जा रहा है। इन क्लीनिक में मरीजों की गंभीर से गंभीर बीमारी के इलाज का दावा किया जाता है। जिला और ब्लॉक मुख्यालय में ऐसे अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है। जो नर्सिंग होम एक्ट की गाइडलाइन पर खरे नहीं उतरते है, इन अस्पतालों पर कार्रवाई करने के बजाय स्वास्थ विभाग के अफसर काला चश्मा चढ़ाए बैठे हुए है।

Crime reporter राजनांदगांव: ‘आयुर्वेदिक इलाज और झाड़फूंक का मायाजाल’… दंपत्ति से 1.50 लाख रु. की ठगी, फर्जी पुलिस बनकर धमकाया, बंधक बनाकर मांगी 5 लाख रु. की फिरौती, लूट लिया आभूषण, एक महिला समेत 9 शातिर…

ऑफिस से बाहर नहीं निकलते ड्रग इंस्पेक्टर

गांव-कस्बो में संचालित दावाखाना में मरीजों को दवाईयां भी बेची जा रही है। कायदे से दवा विक्रय करने के लिए ड्रग लाइसेंस लेना अनिवार्य होता है, लेकिन यहां पर बिना लाइसेंस के ही स्वास्थ का व्यापार खुलेआम किया जा रहा है, पूरे जिले में थोक में ऐसे मामले सामने आ जाएंगे। इस मामले में कार्रवाई का अधिकार ड्रग विभाग को दिया गया है, लेकिन ड्रग इंस्पेक्टर निरीक्षण के बजाय ऑफिस में ही आराम फरमाने में लगे हुए है।

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