फोटो:- इनदिनों जिला अस्पताल के सोनोग्राफी लैब के बाहर कुछ इस तरह सन्नाटा पसरा रहता है।
एक्स रिपोर्टर न्यूज। राजनांदगांव
मेडिकल कॉलेज अस्पताल के पेंड्री में शिफ्ट होने के बाद से बसंतपुर स्थित जिला अस्पताल की मेडिकल व्यवस्था लड़खड़ा गई है। कहने को तो यहां सुबह और शाम दो वक्त ओपीडी का संचालन किया जा रहा है, लेकिन मरीजों को मिलने वाली तमाम जरुरी सुविधाएं भगवान के ही भरोसे है। सबसे बड़ा मुद्दा है रेडियोलॉजिस्ट का। जिला अस्पताल में रेडियोलॉजिस्ट नहीं है। इसके कारण सोनोग्राफी बंद है। ऐसे में मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मजबूरन मरीजों को प्राइवेट पैथोलॉजी में जाकर रिपोर्ट निकलवानी पड़ रही है, जो महंगा साबित हो रहा है। सीधे कहे तो प्रबंधन की लचर व्यवस्था के चलते निजी लैब संचालकों की चांदी हो गई है।
मदर एंड चाइल्ड केयर यूनिट, फिर भी व्यवस्था में ढिलाई
गौरतलब है कि जिला अस्पताल परिसर में मदर एंड चाइल्ड केयर यूनिट का संचालन किया जा रहा है। यहां गर्भवती महिलाएं चेकअप और प्रसव के लिए पहुंचती है। इसलिए सोनोग्राफी और जरुरी हो जाती है। इसके बावजूद अधिकारी व्यवस्था बनाने में नाकाम है। गर्भवतियों को निजी लैब से सोनोग्राफी करवाना पड़ रहा है।
प्रतिदिन 300 से ज्यादा मरीज पहुंच रहे ओपीडी में
पेंड्री दूर होने व आवागमन का पर्याप्त साधन नहीं होने के कारण ज्यादातर मरीज बसंतपुर जिला अस्पताल में ही इलाज कराने पहुंच रहे है। प्रतिदिन 300 से अधिक मरीज ओपीडी में चेकअप के लिए आ रहे है। ऐसे में जरुरी मेडिकल सुविधाओं का होना आवश्यक है, इस ओर प्रबंधन को जल्द से जल्द ध्यान देना चाहिए।
डॉयरेक्टर को पत्र लिखा गया है: सिविल सर्जन
जिला अस्पताल के सिविल सर्जन डॉ. केके जैन ने कहा कि रेडियोलॉजिस्ट की नियुक्ति करने के संबंध में डायरेक्टर और उच्च अधिकारियों से पत्राचार किया गया है। सोनोग्राफी के लिए व्यवस्था बनाने मेडिकल कॉलेज अस्पताल के स्टॉफ से मदद ली जा रही है।

B.J.M.C.
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