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*कृषक सहयोग संस्थान द्वारा अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया गया*

कवर्धा। जस्ट राइट्स फॉर चिल्ड्रन नेटवर्क के सहयोगी संगठन, कृषक सहयोग संस्थान ने कबीरधाम जिले के बोड़ला ब्लॉक की ग्राम पंचायत घोंघा स्थित शासकीय प्राथमिक विद्यालय में अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस मनाया। 19 दिसंबर, 2011 को संयुक्त राष्ट्र महासभा ने बालिकाओं के अधिकारों और दुनिया भर में उनके सामने आने वाली विशिष्ट चुनौतियों को मान्यता देते हुए 11 अक्टूबर, 2012 को अंतर्राष्ट्रीय बालिका दिवस घोषित किया। यह दिवस बालिकाओं के लिए अधिक अवसरों का समर्थन करता है और दुनिया भर में लड़कियों के सामने लिंग के आधार पर होने वाली लैंगिक असमानता के बारे में जागरूकता बढ़ाता है। इस असमानता में शिक्षा, पोषण, कानूनी अधिकार, चिकित्सा देखभाल, भेदभाव, महिलाओं के खिलाफ हिंसा और जबरन बाल विवाह से सुरक्षा जैसे क्षेत्र शामिल हैं। इसका उद्देश्य बालिकाओं के जीवन में संघर्षों और चुनौतियों को कम करना, उनके अधिकारों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और उन्हें सामाजिक भेदभाव और सामाजिक बुराइयों से लड़ने के लिए सशक्त बनाना है।

आज भी, बाल विवाह, बाल श्रम और बाल यौन शोषण जैसी कई सामाजिक बुराइयाँ मौजूद हैं।  बाल विवाह मुक्त भारत अभियान के तहत, स्कूलों में बच्चों को बाल विवाह के दुष्प्रभावों का सामना करना पड़ता है, जिसमें स्वास्थ्य समस्याएँ और आर्थिक बोझ शामिल हैं। कानूनी दंड में 18 वर्ष से कम उम्र की लड़की और 21 वर्ष से कम उम्र के लड़के के लिए दो साल की जेल और एक लाख रुपये का जुर्माना शामिल है। इसके अलावा, ऐसे विवाह संपन्न कराने वालों, रिश्तेदारों, बैंड-बाजे वालों, रसोइयों, विवाह मंडप/उद्यान के कर्मचारियों, पुजारियों, मौलवियों, पुजारियों और बाल विवाह में शामिल अन्य लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। यह भी सलाह दी गई कि अगर कोई आपको किसी भी तरह से परेशान करता है, तो आप अपने माता-पिता, अपने स्कूल शिक्षक को सूचित करें और 1098 पर भी रिपोर्ट कर सकते हैं। मन लगाकर पढ़ाई करें और अपने परिवार, समाज और देश का नाम रोशन करें। संस्था के सामाजिक कार्यकर्ता आशाराम चंद्रवंशी ने संस्था के कार्यों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि संस्था जिले में बाल विवाह, बाल यौन शोषण और बाल श्रम सहित विभिन्न मुद्दों पर लगातार काम कर रही है। उन्होंने आगे कहा कि लड़कियों में समाज और समुदायों को आकार देने की क्षमता होती है, बस उन्हें पहचान और अवसर की आवश्यकता होती है।  दुनिया भर में लड़कियों को बाल विवाह, शिक्षा की कमी, भेदभाव और हिंसा सहित कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। यह दिन हमें याद दिलाता है कि हर लड़की को शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा, आत्मनिर्भरता और सम्मान, और निर्णय लेने और नेतृत्व करने का अवसर पाने का अधिकार है। शिक्षा, स्वास्थ्य देखभाल, कानूनी सुरक्षा और सामाजिक सशक्तीकरण के माध्यम से लड़कियों को सशक्त बनाना न केवल एक नैतिक दायित्व है, बल्कि सामाजिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण आवश्यकता भी है। हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि लड़कियों को बढ़ने और सीखने के समान अवसर मिलें। तभी हम एक संतुलित, न्यायपूर्ण और समृद्ध समाज का निर्माण कर पाएंगे। प्रधानाचार्य ने छात्राओं को बताया कि लड़कियां शिक्षित होकर दो घरों, अपने माता-पिता और शादी के बाद अपने ससुराल को रोशन करती हैं और जब आप शिक्षित होती हैं तो समाज में बदलाव दिखता है। लड़कियां न केवल भविष्य की आशा हैं, बल्कि आज बदलाव लाने की असली शक्ति भी हैं। कार्यक्रम के बाद संस्था की ओर से सभी छात्राओं को पेन वितरित किए गए।  कार्यक्रम में विद्यालय के शिक्षक मनोज देवांगन, शरद यादव, उमा मानिकपुरी, प्रीति मेरावी, कृषक सहयोग संस्थान के जिला समन्वयक ललित सिन्हा, आशाराम चंद्रवंशी सहित विद्यालय की 83 छात्राएं उपस्थित रहीं।

By Rupesh Mahobiya

Bureau Chief kawardha

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