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महिला एवं बाल विकास विभाग की मनमानी, बंद रहते हैं आंगनबाड़ी केंद्र, उठ रहे सवाल

कवर्धा। महिलाओं एवं बच्चों के सर्वांगीण विकास तथा उनके संवैधानिक हितों के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए विभिन्न कार्यक्रमों एवं योजनाओं को सुव्यवस्थित ढंग से क्रियान्वित करने हेतु महिला एवं बाल विकास विभाग का गठन किया गया है।
समेकित बाल विकास सेवा विभाग की फ्लैगशिप सेवा है, जो 02 अक्टूबर 1975 से प्रारंभ किया गया है तथा कार्यक्रम के विस्तार के दृष्टि से पूरे विश्व की सबसे बड़ी संचालित परियोजना है। समेकित बाल विकास सेवाएं अंर्तगत गर्भवती, शिशुवती महिलाएं एवं 6 वर्ष आयु तक के बच्चों के स्वास्थ्य एवं पोषण की स्थिति सुधार हेतु सेवाएं प्रदाय की जाती है। इस कार्यक्रम के साथ-साथ महिलाओं एवं बालिकाओं के सशक्तिकरण हेतु राज्य एवं केन्द्र सरकार की विभिन्न योजनाएँ विभाग द्वारा संचालित की जाती है।

कबीरधाम जिले में बीते एक साल से महिला,बाल विकास विभाग की मनमानी देखी जा रही है। केन्द्र सरकार की महती योजना युवा भारत को प्रगति की ओर स्वास्थ्य के साथ साथ शिक्षा मुहैया कराने अनेका नेक मुहिम चलाई जा रही है पर जिले तथा परियोजना स्तर पर बैठे शासकीय वेतमान प्राप्त करने वाले अधिकारी इस मुहिम को पलीता लगाते नजर आ रहे हैं।
वनांचल क्षेत्र होने के वजह से परियोजना कुकदुर जिसका कार्यक्षेत्र बहुत ही दुर्गम इलाकों व बीहड़ वनों में फैला हुआ है। जहा पर्यवेक्षक जाते तो ज़रूर है पर मानो ऐसा की घूमने गए हैं, आंगन बाड़ी कार्यकर्ता सहायिका आराम से अपने घरों में तथा खेत खलिहानों मे काम करते हैं या फिर आराम फरमाते हैं।

आंगनबाड़ी केंद्रों की निर्धारित संचालन समय 9: 30 बजे से 3:30 बजे तक है। जिससे छोटे बच्चो का विकास मानसिक, शारीरिक तथा भौतिक रूप से हो सके जिसके लिए उन्हें नाश्ता तथा भोजन के साथ साथ शिक्षा और खेल खेल में भौतिक तथा मानसिक ज्ञान विकास कराना होता है।
आंगन बाड़ी केंद्र समय से पहले बंद हो जाने पर इन सुविधाओ से बच्चे वंचित हो जाते हैं जिसके कारण कुपोषण के साथ साथ अशिक्षा का शिकार हो रहे हैं जो सरकार की मंशा पर पानी फेरने का कार्य करती है।

जब से तनख्वाह में वृद्धि हुई है तब से आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओ का मनमानी और कार्य में वित्तीय अनियमितता ज्यादा देखने को मिल रहा है जबकि आग जला खाना बनाने व बच्चों को खाना खिला उनके घर लाने तथा ले जाने के साथ साथ उनके अन्य आपातकाल सेवा सहायिकाओं के द्वारा ही किया जाता है पर फिर भी आंगनबाड़ी की कार्यकर्ताएं सहायिका की उपस्थिति दे अक्सर केंद्र से नदारद रहती जिसके चलते केंद्र संचालन सही ढंग से क्रियान्वित नही हो पाता है जो बच्चो के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है वहीं परियोजना तथा जिला कार्यक्रम अधिकारी के नाक में दम करने का काम कर रही है।

बीहड़ वनों तथा वनवासी आदिवासी बैगाओ के नन्हे मुन्ने बच्चो को सरकार की योजनाओं का लाभ सही ढंग से मुनासिब नहीं हो पा रहा।
कुकदुर परियोजना अंतर्गत आंगनबाड़ी केंद्र क्रमांक बोहिल 2 में आंगन बाड़ी केंद्र अक्सर बंद देखने को मिलता है जो विडंबना कहा जाए या पर्यवेक्षक की सांठगांठ कहा जाए जो अपने अधीनस्थ केंद्रों का सही ढंग से संचालन न करा पा रहे हैं।
इन जैसे पर्यवेक्षकों का इंक्रीमेंट रोकना कोई गलत नहीं होगा जो अपने कार्य में निष्क्रियता बरतते हुए अपने अधीनस्थ केंद्रों को कंट्रोल नही कर पा रहे हैं।
केंद्र कभी 2 :00 बजे बंद तो कभी 2:30 पर ही बंद कर दिए जा रहे हैं,और अक्सर बच्चों को नाश्ता, खाना खिलाने के बाद भेज केंद्र बंद कर देते हैं।
वहीं इस तरह की कोताही बरतने पर महतारी जतन योजना के तहत गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक आहार प्रदान करने का भी लक्ष्य है जो संचालित होते नही दिख रही जिसका मुख्य कारण भी यहीं है।

पर्यवेक्षक कमलेश साहू के क्षेत्र में अक्सर इस तरह की अनियमितताएं देखने को मिलता है। इस मामले में जिला प्रशासन और महिला एवं बाल विकास विभाग को तत्काल ध्यान देने की आवश्यकता है।

By Rupesh Mahobiya

Bureau Chief kawardha

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