एक्स रिपोर्टर न्यूज़ । राजनांदगांव
जिला मुख्यालय में इन दिनों नर्सिंग होम एक्ट का जमकर मजाक बनाया जा रहा है। नियम कायदों को ताक पर रखकर पैथोलॉजी लैब का संचालन धड़ल्ले से किया जा रहा है। विशेष कर लार्ज लैब के नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है। गंभीर बात तो यह है कि शिकायत के बावजूद मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी द्वारा किसी तरह की कार्रवाई नहीं की जा रही है। जबकि राज्य शासन के निर्देश पर प्रदेश के तमाम जिलों में स्वास्थ्य विभाग द्वारा अवैध पैथोलॉजी और झोला छाप डॉक्टर के खिलाफ सिलसिले वार कार्रवाई की जा रही है। लेकिन राजनांदगांव में स्वास्थ्य विभाग के अफसर अपनी मनमानी करने में हावी है।
बीते दिनों सीएमएचओ से शिकायत कर बताया गया कि शहर के एक इलाके में ऑनलाइन आवेदन सबमिट करने के तुरंत बाद लार्ज पैथोलॉजी लैब खोल लिया गया है, यह पैथोलॉजी अपने द्वारा दिए गए स्टार्टिंग डेट से पहले से ही संचालित की जा रही है। पैथोलॉजी संचालन के लिए सरकारी अस्पताल में कार्यरत डॉक्टर से अनुबंध किया गया है। जो कि नाकाफी है। क्योंकि लार्ज लैब संचालन के नियमों के मुताबिक एमडी पैथोलॉजिस्ट डॉक्टर को पैथोलॉजी खुलने से बंद होने तक अपनी ड्यूटी केंद्र में ही देनी है। डिजिटल सिग्नेचर के बदले वास्तविक सिग्नेचर का इस्तेमाल किया जाना है। लेकिन यहां पर हम बता दे कि सरकारी डॉक्टर अस्पताल के सुबह शाम ओपीडी के टाइम घण्टों केंद्र में अपनी उपस्थित नहीं दे पाएंगे। ऐसे में प्रमाणित रिपोर्ट जारी करने में गड़बड़ी की आशंका बनी रहेगी। यह भी आशंका है कि मरीज को गलत रिपोर्ट दे दी जाए। शिकायत को 10 दिन से ज्यादा समय हो चुके है लेकिन स्वास्थ्य विभाग की ओर से किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई है। स्वास्थ्य विभाग के इसी मनमानी रवैया की वजह से शहर सहित जिले भर में अवैध रूप से पैथोलॉजी लैब और क्लीनिक संचालित करने वाले झोलाछाप डॉक्टर के हौसले और बुलंद हो चले हैं। बता दें कि बीते महीनो में अस्पताल में बेसुध हालत में भर्ती डॉक्टर का डिजिटल सिग्नेचर लगाकर पैथोलॉजी जांच रिपोर्ट जारी करने का मामला सामने आया था। इन हालातो में नियम कायदों को ताक पर रखकर पैथोलॉजी लैब और क्लीनिक का संचालन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है।
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